डेंगू हुआ और जानलेवा: अस्पताल पहुंचने के 48 घंटे में सबसे ज्यादा हो रहीं मौतें, लगातार बढ़ रही मरीजों की संख्या

परीक्षित निर्भय, अमर उजाला, नई दिल्ली

द्वारा प्रकाशित: Vikas Kumar
अपडेट किया गया मंगल, 02 नवंबर 2021 12:43 AM IST

सार

डॉक्टरों ने कहा कि डेंगू ने कोरोना जैसे हालात बना दिए हैं। वार्ड में बिस्तरों का अभाव पहले जैसा है। पश्चिम यूपी के जिलों में डेंगू का कहर है। यहां से आने वाले मरीजों में डेथ रेट भी काफी अधिक है।

डेंगू वार्ड में भर्ती मरीज
– फोटो : अमर उजाला

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महीने भर बाद दिल्ली के अस्पतालों में डेंगू और अधिक जानलेवा होता दिखाई दे रहा है। अस्पताल पहुंचने के 48 घंटे के भीतर ही कई मरीजों की मौत हो रही है। वहीं 15 से 20 फीसदी मौतें पहले 24 घंटे में ही हो रही हैं। इन्हें देख डॉक्टर भी काफी हैरान हैं क्योंकि अस्पताल में दाखिल होने के बाद सही तरह से उपचार शुरू होने से पहले ही मरीजों की मौत देख रहे हैं।

यह स्थिति राजधानी के लगभग सभी अस्पतालों में है लेकिन एम्स, सफदरजंग और आरएमएल सहित केंद्र सरकार के अस्पतालों में सबसे अधिक गंभीर है। डॉक्टरों का कहना है कि पश्चिम यूपी के जिलों में डेंगू का सबसे अधिक कहर देखने को मिल रहा है। यहां से आने वाले मरीजों में मृत्युदर काफी है। डॉक्टरों का यह भी कहना है कि बिस्तरों का अभाव पहले जैसा है लेकिन कोरोना की तरह डेंगू संक्रमण में भी मरीजों की मौतें हो रही हैं।

सफदरजंग अस्पताल के डॉ. महेश बताते हैं कि उनके यहां अब तक 16 से ज्यादा मरीजों की डेंगू से मौत हो चुकी है। इनमें से छह मरीजों की मौत अस्पताल में भर्ती होने के 72 घंटे के भीतर हुई हैं। जबकि चार मरीजों की मौत 48 और दो की मौत भर्ती होने के 24 घंटे में ही हुई। उन्होंने बताया कि आसपास के इलाकों से मरीजों को दिल्ली रैफर किया जा रहा है लेकिन इन मरीजों की हालत इतनी गंभीर है कि उपचार शुरू करते-करते मरीज दम तोड़ दे रहा है। या फिर उसकी हालत वेंटिलेटर पर जाने लायक हो जा रही है।

वहीं नई दिल्ली स्थित डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉ. अमित कुमार का कहना है कि डेंगू संक्रमण के मामले लगभग सभी क्षेत्रों से उनके यहां आ रहे हैं लेकिन दिल्ली से ज्यादा मरीज आसपास के क्षेत्रों से हैं। उन्होंने यह स्वीकार किया है कि सफदरजंग अस्पताल की तरह उनके यहां भी डेंगू के मरीज गंभीर हालत में पहुंच रहे हैं जिन्हें समय रहते बचाया भी नहीं जा रहा। डॉ. अमित ने कहा, ‘एक डॉक्टर होने के नाते सबसे दुखी पल अपने मरीज की मौत होना है। मरीज की जान बचाने के लिए रात-दिन डॉक्टर अपना पूरा अनुभव लगा देते हैं लेकिन यहां स्थिति ही अलग है। यहां इलाज शुरू करने से पहले ही मरीज की जान चली जा रही है और यह काफी गंभीर बात है।’

बिस्तर बढ़ाना भी आसान नहीं
डॉक्टरों का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में बिस्तरों की कमी लंबे समय से बनी हुई है लेकिन इनदिनों मरीजों की संख्या इस कदर बढ़ रही है कि बिस्तर बढ़ाने से भी कोई बड़ा बदलाव होना संभव नहीं है। हालांकि बिस्तर बढ़ाने के साथ साथ अस्पताल में स्टाफ इत्यादि पर भी ध्यान देना जरूरी है। अन्यथा बिस्तर बढ़ाकर मरीज को भर्ती करना ही विकल्प नहीं है बल्कि उन्हें उपचार देना भी जरूरी है। एक डॉक्टर 100 या 200 मरीजों का इलाज एक साथ नहीं कर सकता।

विस्तार

महीने भर बाद दिल्ली के अस्पतालों में डेंगू और अधिक जानलेवा होता दिखाई दे रहा है। अस्पताल पहुंचने के 48 घंटे के भीतर ही कई मरीजों की मौत हो रही है। वहीं 15 से 20 फीसदी मौतें पहले 24 घंटे में ही हो रही हैं। इन्हें देख डॉक्टर भी काफी हैरान हैं क्योंकि अस्पताल में दाखिल होने के बाद सही तरह से उपचार शुरू होने से पहले ही मरीजों की मौत देख रहे हैं।

यह स्थिति राजधानी के लगभग सभी अस्पतालों में है लेकिन एम्स, सफदरजंग और आरएमएल सहित केंद्र सरकार के अस्पतालों में सबसे अधिक गंभीर है। डॉक्टरों का कहना है कि पश्चिम यूपी के जिलों में डेंगू का सबसे अधिक कहर देखने को मिल रहा है। यहां से आने वाले मरीजों में मृत्युदर काफी है। डॉक्टरों का यह भी कहना है कि बिस्तरों का अभाव पहले जैसा है लेकिन कोरोना की तरह डेंगू संक्रमण में भी मरीजों की मौतें हो रही हैं।

सफदरजंग अस्पताल के डॉ. महेश बताते हैं कि उनके यहां अब तक 16 से ज्यादा मरीजों की डेंगू से मौत हो चुकी है। इनमें से छह मरीजों की मौत अस्पताल में भर्ती होने के 72 घंटे के भीतर हुई हैं। जबकि चार मरीजों की मौत 48 और दो की मौत भर्ती होने के 24 घंटे में ही हुई। उन्होंने बताया कि आसपास के इलाकों से मरीजों को दिल्ली रैफर किया जा रहा है लेकिन इन मरीजों की हालत इतनी गंभीर है कि उपचार शुरू करते-करते मरीज दम तोड़ दे रहा है। या फिर उसकी हालत वेंटिलेटर पर जाने लायक हो जा रही है।

वहीं नई दिल्ली स्थित डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉ. अमित कुमार का कहना है कि डेंगू संक्रमण के मामले लगभग सभी क्षेत्रों से उनके यहां आ रहे हैं लेकिन दिल्ली से ज्यादा मरीज आसपास के क्षेत्रों से हैं। उन्होंने यह स्वीकार किया है कि सफदरजंग अस्पताल की तरह उनके यहां भी डेंगू के मरीज गंभीर हालत में पहुंच रहे हैं जिन्हें समय रहते बचाया भी नहीं जा रहा। डॉ. अमित ने कहा, ‘एक डॉक्टर होने के नाते सबसे दुखी पल अपने मरीज की मौत होना है। मरीज की जान बचाने के लिए रात-दिन डॉक्टर अपना पूरा अनुभव लगा देते हैं लेकिन यहां स्थिति ही अलग है। यहां इलाज शुरू करने से पहले ही मरीज की जान चली जा रही है और यह काफी गंभीर बात है।’

बिस्तर बढ़ाना भी आसान नहीं

डॉक्टरों का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में बिस्तरों की कमी लंबे समय से बनी हुई है लेकिन इनदिनों मरीजों की संख्या इस कदर बढ़ रही है कि बिस्तर बढ़ाने से भी कोई बड़ा बदलाव होना संभव नहीं है। हालांकि बिस्तर बढ़ाने के साथ साथ अस्पताल में स्टाफ इत्यादि पर भी ध्यान देना जरूरी है। अन्यथा बिस्तर बढ़ाकर मरीज को भर्ती करना ही विकल्प नहीं है बल्कि उन्हें उपचार देना भी जरूरी है। एक डॉक्टर 100 या 200 मरीजों का इलाज एक साथ नहीं कर सकता।

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