SER : कुड़मी आंदोलन वापस, रेलवे ने जारी की ट्रेनों के सामान्य परिचालन की सूचना – Rail Hunt

  • आंदोलन का प्रभाव पुरी-खड़गपुर, हावड़ा-राउरकेला, टाटा-अनारा मार्ग पर सबसे अधिक पड़ता 

KOLKATTA. आदिवासी कुड़मी समाज ने कुड़मी जाति को एसटी में शामिल करने और कुड़माली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर पश्चिम बंगाल, ओड़िशा व झारखंड में प्रस्तावित रेल चक्का जाम आंदोलन को वापस ले लिया गया है. यह निर्णय कोलकाता हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी के बाद लिया गया है. इसके साथ ही रेलवे ने रद्द व टर्मिनेट की गयी 160 से अधिक ट्रेनों को रिस्टोर करने की अधिसूचना जारी कर दी है. अब पुरी-टाटा, हावड़ा-राउरकेला और टाटा-आसनसोल मार्ग पर ट्रेनों का परिचालन पूर्व की तरह सामान्य होगा.

यह माना जा रहा है कि कोलकाता हाईकोर्ट द्वारा कुड़मी आंदोलन को लेकर हाईकोर्ट के आदेश के बाद यह निर्णय लिया गया है. कुड़मी समाज के लोगों ने 20 सितंबर को बड़े स्तर पर रेल चक्का जाम करने की चेतावनी देते हुए आंदोलन की बड़ी तैयारी की थी. आंदोलन को टालने के कोलकाता सचिवालय में कुड़मी समाज के प्रतिनिधिमंडल और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच वार्ता बेनतीजा रही थी.

इस वार्ता में पश्चिम बंगाल कुड़मी समाज के राज्य अध्यक्ष राजेश महतो, संयोजक कौशिक महतो, अभिजीत महतो, आदिवासी जनजाति कुड़मी समाज के प्रदेश अध्यक्ष शिवाजी महतो और कुड़मी सेना के संयोजक सुदीप महतो शामिल हुए थे. सरकार की ओर से वार्ता में शामिल मुख्य सचिव हरिकृष्ण द्विवेदी ने साफ कर दिया था कि पूर्व में ही केंद्र सरकार को सभी रिपोर्ट भेजी जा चुकी है और अब कोई रिपोर्ट राज्य सरकार नहीं भेजेगी.

रेलवे द्वारा जारी की गयी अधिसूचना

इसके बाद झाड़ग्राम के मानिकपाड़ा में बुधवार देर शाम को कुड़मी समाज की बैठक हुई थी जिसमें बड़े आंदोलन की रणनीति बनायी गयी थी. इस बीच रेल चक्का जाम  व आंदोलन को कोलकाता हाई कोर्ट में चुनौती दी गयी थी. इसकी सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की और आंदोलन को गैरकानूनी करार दिया. इसके बाद कुड़मी आंदोलन को वापस लेने की सूचना आयी.

इस सूचना के बाद दक्षिण पूर्व रेलवे ने आनन-फानन में रद्द व टर्मिनेट की गयी सभी ट्रेनों को रिस्टोर करने की अधिसूचना जारी कर दी है. अब ट्रेनों का परिचालन सामान्य मार्ग से अन्य दिनेां के अनुसार ही होगा. यहां यह बताना जरूरी है कि कुड़मी आंदोलन के कारण ही दो बार रेलवे को सैकड़ों ट्रेनों काे रद्द करना पड़ा था और इससे करोड़ों के नुकसान के अलावा लाखों यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा था. यही कारण था कि इस बार के आंदोलन को लेकर बड़ी संख्या में यात्रियों ने अपनी यात्रा रद्द करने का कार्यक्रम बना लिया था.