ISRO को मानव अंतरिक्ष मिशन में एक और कामयाबी: CE20 क्रायोजेनिक इंजन ह्यूमन रेटिंग में पास, यह गगनयान में इस्तेमाल होगा

बेंगलुरु5 घंटे पहले

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क्रायोजेनिक इंजन के ग्राउंड क्वालिफिकेशन टेस्ट का फाइनल राउंड 13 फरवरी 2024 को पूरा हो गया है।

इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) ने अपने CE20 क्रायोजेनिक इंजन की ह्यूमन रेटिंग सफलतापूर्वक पूरी कर ली है। ये इंजन गगनयान मिशन का एक अहम कंपोनेंट है। ये इंजन गगनयान के LVM3 लॉन्च व्हीकल के क्रायोजेनिक स्टेज को पावर करेगा।

इसरो के एक अधिकारी के मुताबिक, ग्राउंड क्वालिफिकेशन टेस्ट का फाइनल राउंड 13 फरवरी 2024 को पूरा हो गया है। फाइनल टेस्ट के तहत ISRO प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स के हाई ऑल्टीट्यूड टेस्ट फैसिलिटी में वैक्यूम इग्निशन टेस्ट किया गया। इससे पहले 6 टेस्ट हो चुके हैं।

ग्राउंड क्वालिफिकेशन टेस्ट के तहत पहले सामान्य ऑपरेटिंग कंडीशंस में लाइफ डेमोनस्ट्रेशन टेस्ट, एनड्यूरेंस टेस्ट और परफॉर्मेंस असेसमेंट किया गया। इसके बाद यही सारे टेस्ट असामान्य कंडीशंस में भी किए गए। इसके साथ ही सारे ग्राउंड क्वालिफिकेशन टेस्ट पूरे हो गए।

गगनयान’ में 3 दिनों के मिशन के लिए 3 सदस्यों के दल को 400 KM ऊपर पृथ्वी की कक्षा में भेजा जाएगा। इसके बाद क्रू मॉड्यूल को सुरक्षित रूप से समुद्र में लैंड कराया जाएगा। ये मिशन अगले साल की शरुआत के लिए प्लान किया गया है।

8810 सेकंड के लिए 39 हॉट फायर टेस्ट किए गए
CE20 इंजन को ह्यूमन रेटिंग स्टैंडर्ड के मुताबिक, चार इंजन पर कुल 8810 सेकंड तक के लिए 39 हॉट फायरिंग टेस्ट किए गए। गगनयान की पहली अनमैन्ड फ्लाइट इस साल के दूसरे क्वार्टर के लिए प्रायोजित है। ये इंजन ह्यूमन रेटेड LVM3 व्हीकल की अपर स्टेज को पावर करेगा। इसकी थ्रस्ट कैपेसिटी 19 से 22 टन की है।

क्रायोजेनिक इंजन होता क्या है?
आमतौर पर सैटेलाइट लॉन्च करने तक रॉकेट इंजन तीन प्रमुख स्टेज से गुजरते हैं।

पहले स्टेज में इंजन में सॉलिड रॉकेट बूस्टर्स का इस्तेमाल होता है। इसमें इंजन में सॉलिड फ्यूल होता है। इस स्टेज के बाद जब सॉलिड फ्यूल जलकर रॉकेट को आगे बढ़ाता है तो ये हिस्सा रॉकेट से अलग होकर गिर जाता है।

दूसरे स्टेज में लिक्विड फ्यूल इंजन का इस्तेमाल होता है। लिक्विड फ्यूल के जलने, यानी दूसरी स्टेज पूरी होते ही ये हिस्सा भी रॉकेट से अलग हो जाता है।

तीसरे और आखिरी स्टेज में क्रायोजेनिक इंजन का इस्तेमाल होता है, जो स्पेस में काम करता है। इसे क्रायोजेनिक स्टेज भी कहते हैं। क्रायो शब्द का मतलब होता है बेहद कम तापमान। यानी ऐसा इंजन, जोकि बेहद कम तापमान पर काम करे उसे क्रायोजेनिक इंजन कहते हैं।

क्रायोजेनिक इंजन में फ्यूल के रूप में लिक्विड ऑक्सीजन और लिक्विड हाइड्रोजन का इस्तेमाल होता है। इसे क्रमश: -183 डिग्री और -253 डिग्री सेंटीग्रेड पर स्टोर किया जाता है। इन गैसों को लिक्विड में बदलकर उन्हें जीरो से भी कम तापमान पर स्टोर किया जाता है।

सबसे ताकतवर रॉकेट है LVM3 रॉकेट
लॉन्च व्हीकल मार्क-3 यानी LVM3 ISRO का सबसे ताकतवर रॉकेट है। ये सैटेलाइट को अंतरिक्ष में छोड़ने का एक रॉकेट है। ये एक थ्री-स्टेज मिडियम लिफ्ट लॉन्च व्हीकल है। इसे पहले जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क-3 यानी GSLV Mk3 कहा जाता था। आमतौर पर इसे बाहुबली भी कहा जाता है।

PM मोदी ने 2018 में गगनयान मिशन की घोषणा की थी
साल 2018 में, PM मोदी ने स्वतंत्रता दिवस भाषण में गगनयान मिशन की घोषणा की थी। 2022 तक इस मिशन को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। हालांकि, कोविड महामारी के कारण इसमें देरी हुई। अब 2024 के अंत या 2025 की शुरुआत तक इसके पूरा होने की संभावना है।

बेंगलुरु में स्थापित ट्रेनिंग फैसिलिटी में एस्ट्रोनॉट की ट्रेनिंग
इसरो इस मिशन के लिए चार एस्टोनॉट्स को ट्रेनिंग दे रहा है। बेंगलुरु में स्थापित एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग फैसिलिटी में क्लासरूम ट्रेनिंग, फिजिकल फिटनेस ट्रेनिंग, सिम्युलेटर ट्रेनिंग और फ्लाइट सूट ट्रेनिंग दी जा रही है।

इसरो भविष्य के मानव मिशनों के लिए टीम का विस्तार करने की योजना भी बना रहा है। गगनयान मिशन के लिए करीब 90.23 अरब रुपए का बजट आवंटित किया गया है।

चार महीने पहले हुई थी क्रू एस्केप सिस्टम की सक्सेसफुल टेस्टिंग
ISRO ने 20 अक्टूबर को गगनयान मिशन के क्रू एस्केप सिस्टम की सक्सेसफुल टेस्टिंग की थी। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 10 बजे इसे लॉन्च किया गया था। इसे टेस्ट व्हीकल अबॉर्ट मिशन-1 (TV-D1) नाम दिया गया।

ये मिशन 8.8 मिनट का था। इस मिशन में 17 Km ऊपर जाने के बाद सतीश धवन स्पेस सेंटर से 10 Km दूर बंगाल की खाड़ी में क्रू मॉड्यूल को उतारा गया। रॉकेट में गड़बड़ी होने पर अंदर मौजूद एस्ट्रोनॉट को पृथ्वी पर सुरक्षित लाने वाले सिस्टम की टेस्टिंग की गई। पूरी खबर यहां पढ़ें…

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