हिमाचल में धीमी पड़ी मानसून की रफ्तार: पिछले 7 दिन में 71% कम बारिश; लोगों ने ली राहत की सांस, अगले 7 भी मौसम साफ

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शिमला41 मिनट पहले

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बारिश थमने के बाद शिमला पहुंचने लगे पर्यटक

पहाड़ों पर भीषण तबाही मचाने के बाद मानसून धीमा पड़ गया है। पिछले सात दिनों में नॉर्मल से 71 प्रतिशत कम बारिश और सितंबर के पहले पांच दिन में61 फीसदी कम मेघ बरसे है। अमूमन 30 अगस्त से 5 सितंबर के बीच में 39.6 मिलीमीटर नॉर्मल बारिश होती है, लेकिन इस बार मात्र 11.5 मिलीमीटर मेघ बरसे हैं।

मौसम विज्ञान केंद्र शिमला की माने तो अगले सात दिन तक भी बारिश के आसार नहीं है। इस दौरान कुछेक क्षेत्रों में हल्की बारिश हो सकती है। 25 अगस्त के बाद से बारिश में कमी के बाद प्रदेशवासियों ने राहत की सांस ली है। इससे पहाड़ों पर जनजीवन धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगा है।

ऊना में पानी की बूंद तक नहीं गिरी

बीते सप्ताह के दौरान ऊना में पानी की बूंद तक नहीं गिरी, जबकि लाहौल स्पीति में भी 0.2MM, कुल्लू में 0.8 MM, किन्नौर में 0.9 MM, सोलन में 2 MM और शिमला में भी मात्र 5 MM बरसात हुई है। कांगड़ा जिले में सबसे ज्यादा 52.4 MM, बिलासपुर में 18.9 MM, चंबा में 21MM, हमीरपुर में 11MM, मंडी में 20.3 MM और सिरमौर में पिछले सात दिनों के दौरान 15.3MM बारिश हुई।

मानसून सीजन में 29% ज्यादा बरसात

बेशक, पिछले सप्ताह मानसून धीमा पड़ा हो, लेकिन राज्य में मानसून सीजन के दौरान इस बार हैवी रेनफॉल हुआ है। प्रदेश में एक जून से 5 सितंबर के बीच नॉर्मल से 29 प्रतिशत ज्यादा बरसात हुई है। सोलन जिले में नॉर्मल से 90 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई है। अमूमन इस अवधि में जिले में 762.2MM बारिश होती है,लेकिन इस बार 1450.7MM मेघ बरसे है।

शिमला में नॉर्मल से 83% ज्यादा बारिश

शिमला में भी नॉर्मल से 83 प्रतिशत ज्यादा बरसात हुई है। 543.4MM नॉर्मल बारिश की तुलना में इस बार शिमला में 992MM मेघ बरसे हैं। यही वजह रही कि शिमला में जान और माल का भारी नुकसान हुआ है। इसे पहाड़ दरकने के साथ साथ देवदार के पेड़ों ने भी कहर बरपाया है।

लाहौल स्पीति में नॉर्मल से 32 प्रतिशत कम बारिश

प्रदेश में लाहौल स्पीति इकलौता ऐसा जिला है, जहां नॉर्मल से 34 प्रतिशत कम बारिश हुई है। बारिश के लिहाज से कांगड़ा में सर्वाधिक 1635.6MM बरसात हुई है। कांगड़ा में इस अवधि में नॉर्मल रेन 1463.2MM होती है। इस लिहाज से कांगड़ा में नार्मल से 12 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई।

हैवी रेनफॉल से सदी की सबसे भीषण तबाही

प्रदेश में भारी बारिश, लैंडस्लाइड और जमीन धंसने के कारण 149 सड़कें अभी भी बंद पड़ी है। इससे लोगों की आवाजाही बुरी तरह प्रभावित हुई है। सड़कें बंद होने से अभी भी 350 से ज्यादा रूटों पर बस से‌वाएं शुरू नहीं हो पाई।

409 लोगों की मौत

प्रदेश में मानसून सीजन के दौरान 409 लोगों की जान चली गई है, जबकि 39 लोग लापता है। भारी बारिश, फ्लैश फ्लड और लैंडस्लाइड से 8671 करोड़ रुपए की सरकारी व निजी संपत्ति तबाह हो चुकी है।

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