सुप्रीम कोर्ट ने अर्जेंट हियरिंग की SOP तय की: तीस्ता सीतलवाड़ की देर रात सुनवाई पर उठे थे सवाल, कहा गया- नाम का फायदा मिला

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नई दिल्ली5 मिनट पहले

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रेप विक्टिम के अबॉर्शन मामले में सुनवाई की तारीख 12 दिन बाद देने पर SC ने गुजरात HC को फटकार लगाते हुए कहा- ऐसे मामलों में एक-एक दिन अहम होता है। सुनवाई की तारीख क्यों टाली गई?

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी वाई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जेंट मामलों पर तुरंत सुनवाई के लिए नई मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तय की है। गुजरात की रहने वाली 28 हफ्ते की प्रेग्नेंट रेप विक्टिम को अबॉर्शन की इजाजत मिलना इसका ताजा उदाहरण है।

SC के सूत्रों के अनुसार, तीस्ता सीतलवाड़ और नूंह हिंसा मामले की अर्जेंट हियरिंग भी नई SOP के तहत की गई थी। 1 जुलाई की रात में तीस्ता सीतलवाड़ को जमानत देने पर सुप्रीम कोर्ट की काफी आलोचना हुई थी। बड़ा नाम होने के कारण रात में सुनवाई कर जमानत का आरोप लगा था।

वहीं हरियाणा के नूंह हिंसा मामले अर्जेंट हियरिंग के लिए CJI चंद्रचूड़ ने जम्मू-कश्मीर से जुड़े आर्टिकल 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई कुछ देर के लिए रोक दी थी।

अर्जेंट हियरिंग के मामलों में ईमेल करने की व्यवस्था की गई
सुप्रीम कोर्ट के सूत्रों ने बताया कि नई SOP के तहत अब अति आवश्यक असाधारण मामलों को सुबह 10.30 बजे तक कोर्ट के अधिकारी के पास भेजा जा सकता है। नियम के अनुसार, लंच ब्रेक या जरूरत पड़ने पर अधिकारी इसे चीफ जस्टिस के सामने रखेंगे। अर्जेंट हियरिंग के मामले में ईमेल भी किया जा सकता है। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ खुद मेल पर बारीकी से नजर रखते हैं।

SC ने छुट्टी के दिन रेप विक्टिम के अबॉर्शन मामले पर सुनवाई की
21 अगस्त को गुजरात की रहने वाली 28 हफ्ते की प्रेग्नेंट रेप विक्टिम को सुप्रीम कोर्ट ने अबॉर्शन की इजाजत दे दी। महिला ने पहले हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। कोर्ट ने बिना कारण बताए 17 अगस्त को उसकी याचिका खारिज कर दी।

इसके बाद पीड़ित 19 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट पहुंची। शनिवार को छुट्टी होने के बावजूद 19 अगस्त को मामले की सुनवाई हुई थी। जस्टिस नागरत्ना ने लेटलतीफी के लिए गुजरात हाईकोर्ट को फटकार भी लगाई थी।

नागरत्ना ने कहा था- ऐसे मामलों में जब एक-एक दिन अहम होता है तो सुनवाई की तारीख क्यों टाली गई? दरअसल, हाईकोर्ट ने 11 अगस्त को इस केस की तत्काल सुनवाई ना करते हुए अगली तारीख 12 दिन बाद दी थी।

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19 अगस्त को प्रेग्नेंट रेप विक्टिम सुप्रीम कोर्ट पहंची थी। उसी दिन गुजरात हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए एक ऑर्डर जारी किया। जिसमें लिखा कि उन्होंने पीड़ित पक्ष की याचिका खारिज करते हुए उनसे पूछा था कि क्या वह बच्चे को जन्म देकर उसे स्टेट को सौंपना चाहती हैं।

गुजरात हाईकोर्ट का यह ऑर्डर देख सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस नागरत्ना काफी नाराज हुईं। उन्होंने कहा – सुप्रीम कोर्ट के किसी आदेश के जवाब में हाईकोर्ट से कुछ ऑर्डर आता है, इसे हम सही नहीं मानते। गुजरात हाईकोर्ट में यह क्या हो रहा है? पूरी खबर यहां पढ़ें…