यूपी: पीएम आज करेंगे सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना का लोकार्पण, नौ जिलों के 29 लाख किसानों को होगा लाभ

सार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज बलरामपुर में सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना का लोकार्पण करेंगे। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल होंगे।

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1978 से शुरू हुई सरयू नहर परियोजना पूरी हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की इस सबसे बड़ी परियोजना का लोकार्पण आज करेंगे। गोंडा सहित नौ जिलों के किसानों के लिए यह परियोजना एक वरदान साबित होगी। जिले में 808 किलोमीटर लंबी इस नहर योजना से किसानों को मंहगी सिंचाई की परेशानी से प्रभावी तौर पर छुटकारा मिलेगा। गोंडा जिले में यह सरयू नहर बहराइच से होकर प्रवेश करेगी। एक-दो गैप को छोड़कर परियोजना का कार्य लगभग पूरा है। अब शनिवार को पीएम मोदी इस सौगात को देश को समर्पित करेंगे।

वर्ष 1978 में बहराइच व गोंडा जिले की सिंचन क्षमता के विस्तार के लिए घाघरा कैनाल नामक परियोजना का शुभारंभ हुआ था। चार साल तक परियोजना पर काम चलता रहा, लेकिन परियोजना पूरी नहीं हुई। सुरसा की तरह परियोजना की लागत बढ़ती गई और काम भी पूरा नहीं हो पाया। वर्ष 1982 में  परियोजना का विस्तार करते हुए अन्य जिलों को भी इसमें शामिल कर दिया गया।

इसका नाम ट्रांस घाघरा-राप्ती-रोहिणी कर दिया गया। लेकिन बाद में इसका नाम सरयू नहर परियोजना कर दी गई। करीब सवा लाख किलोमीटर तक फैली इस परियोजना से कई लाख किसानों को सिंचाई की समस्या से निजात मिलेगी। इस परियोजना का मुख्य भाग गोंडा है। जिले में बहराइच के रास्ते गोंडा में आईं दो मुख्य नहरों से 45 नहरें निकाली जा चुकी हें।

मुख्य शाखा के अलावा माइनर व टेल तक पानी पहुंचाने की कवायद करीब 43 साल बाद पूरी हो रही है। जिले भर में 808 किलोमीटर नहर का जाल बिछ चुका है और इससे दो लाख 41 हजार किसानों को सिंचाई का सीधा फायदा मिलेगा।

जिले में करीब पांच लाख किसान हैं। यहां के किसान बोरिंग व पंपिंग सेटों से सिंचाई करते रहे हैं। 50 से अधिक राजकीय नलकूप भी सिंचाई करे लिए लगे हैं। लेकिन कभी बिजली की समस्या तो कभी यांत्रिक दोष के कारण किसानों को समय से सिंचाई की सुविधा नहीं मिल पाती थी। कुल किसानों में से 50 फीसदी किसानों को अब नहर सिंचाई का फायदा मिलेगा। यानि ढाई लाख किसानों को महंगे डीजल की जरूरत नहीं पड़ेगी और कम खर्च में वह समय पर फसलों की सिंचाई कर सकेंगे।

तीन का अड़ंगा 20 हजार किसानों पर भारी
अधिशासी अभियंता सिंचाई सतीश कुमार ने बताया कि करनैलगंज के परसा गोड़री के धनई पट्टी में विभागीय खतौनी की भूमि होने के बावजूद तीन किसान परिवारों द्वारा अड़ंगेबाजी के चलते नहर नहीं बन पाई है। जिसके  कारण 26 गांवों के 20 हजार किसान नहर से मिलने वाली सिंचाई की सुविधा से वंचित बने रहेंगे। अब पुलिस प्रशासन की मदद से इस विवाद को निपटाने की कवायद चल रही है।

अब लहलाएगी फसल
रुपईडीह ब्लाक के किसान सतगुरु कहते हैं कि सरयू नहर प्रथम खंड की 47 किलोमीटर की नहर उनके खेत के बगल से होकर निकली है। अब लगातार नहरों के चलने से सिंचाई की समस्या दूर होगी। राम राज मौर्य ने बताया कि बताया कि नहरों की साफ सफाई पर विशेष ध्यान देना होगा। ताकि इसका पूरा फायदा किसानों को मिल सके। किसान रज्जब अली व अनोखे लाल ने बताया कि हर साल गेहूं से लेकर अन्य फसलों की सिंचाई में बहुत पैसा खर्च होता था। अब नियमित पानी मिलने से डीजल खर्च की बचत होगी।

किसानों के लिए खुशी का दिन
शनिवार का दिन किसानों के लिए खुशी का दिन है। अधिकारियों की सूझबूझ व मेहनत का परिणाम है कि बीते चार सालों में नहर का निर्माण पूरा हो गया है। गोंडा, बहराइच, श्रावस्ती सहित अन्य जिलों के किसानों को खेती की सिंचाई करने में अब समस्या होगी। समय-समय पर सिल्ट की सफाई होती रहेगी। नहरों की पटरियों को दुरस्त रखने, गुलाबा को ठीक रखने की जिम्मेदारी अधिकारी निरीक्षण कर देखते रहेंगे। – त्रयंबक तिवारी, मुख्य अभियंता सरयू परियोजना, सिंचाई विभाग

बार-बार नाम बदले जाने के बाद सरयू नहर परियोजना आखिर 43 साल बाद शनिवार को साकार हो रही है, जब पीएम नरेंद्र मोदी इसका लोकार्पण करेंगे। मुख्य शाखा के अलावा माइनर व टेल तक पानी पहुंचाने की कवायद करीब 43 साल बाद पूरी हो रही है। जिले भर में 808 किलोमीटर नहर का जाल बिछ चुका है और इससे दो लाख 41 हजार किसानों को सिंचाई का सीधा फायदा मिलेगा।

वर्ष 1978 में बहराइच व गोंडा जिले की सिंचाई क्षमता के विस्तार के लिए घाघरा कैनाल नामक परियोजना का शुभारंभ हुआ था। चार साल तक परियोजना पर काम चलता रहा, लेकिन परियोजना पूरी नहीं हुई। लागत बढ़ती गई और काम भी पूरा नहीं हो पाया। वर्ष 1982 में परियोजना का विस्तार करते हुए अन्य जिलों को भी इसमें शामिल कर दिया गया। इसका नाम ट्रांस घाघरा-राप्ती-रोहिणी कर दिया गया। लेकिन, बाद में इसका नाम सरयू नहर परियोजना कर दिया गया। करीब सवा लाख किलोमीटर तक फैली इस परियोजना से कई लाख किसानों को सिंचाई की समस्या से निजात मिलेगी।

इस परियोजना का मुख्य भाग गोंडा है। जिले में बहराइच के रास्ते गोंडा में आईं दो मुख्य नहरों से 45 नहरें निकाली जा चुकी हैं। जिले में करीब पांच लाख किसान हैं। यहां के किसान बोरिंग व पंपिंग सेटों से सिंचाई करते रहे हैं। 50 से अधिक राजकीय नलकूप भी सिंचाई करे लिए लगे हैं। लेकिन कभी बिजली की समस्या तो कभी यांत्रिक दोष के कारण किसानों को समय से सिंचाई की सुविधा नहीं मिल पाती थी। कुल किसानों में से 50 फीसदी किसानों को अब नहर सिंचाई का फायदा मिलेगा। यानी ढाई लाख किसानों को महंगे डीजल की जरूरत नहीं पड़ेगी और कम खर्च में वह समय पर फसलों की सिंचाई कर सकेंगे।

26 गांवों के 20 हजार किसान अब भी रहेंगे वंचित
अधिशासी अभियंता सिंचाई सतीश कुमार ने बताया कि करनैलगंज के परसा गोड़री के धनई पट्टी में विभागीय खतौनी की भूमि होने के बावजूद तीन किसान परिवारों द्वारा अड़ंगेबाजी के चलते नहर नहीं बन पाई है। जिसके  कारण 26 गांवों के 20 हजार किसान नहर से मिलने वाली सिंचाई की सुविधा से वंचित बने रहेंगे। अब पुलिस प्रशासन की मदद से इस विवाद को निपटाने की कवायद चल रही है।

किसानों के लिए खुशी का दिन
शनिवार का दिन किसानों के लिए खुशी का दिन है। अधिकारियों की सूझबूझ व मेहनत का परिणाम है कि बीते चार सालों में नहर का निर्माण पूरा हो गया है। गोंडा, बहराइच, श्रावस्ती सहित अन्य जिलों के किसानों को खेती की सिंचाई करने में अब समस्या होगी। समय-समय पर सिल्ट की सफाई होती रहेगी। नहरों की पटरियों को दुरस्त रखने, गुलाबा को ठीक रखने की जिम्मेदारी अधिकारी निरीक्षण कर देखते रहेंगे।
– त्रयंबक तिवारी, मुख्य अभियंता सरयू परियोजना, सिंचाई विभाग

सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना एक नजर में…
– अर्जित भूमि- 25021.936  हेक्टेयर
– नहरों का निर्माण- 6623.44 किमी
– लाभान्वित गांवों की संख्या- 6227
– लाभान्वित किसानों की संख्या- 29 लाख
– सिंचाई क्षमता- 14 लाख हेक्टेयर
– सरयू लिंक नहर- 47.135 किमी
– सरयू मुख्य नहर- 63.15 किमी
– राप्ती लिंक नहर – 21.40 किमी
– राप्ती मुख्य नहर – 125.68 किमी

नहर शाखाएं…
इमामगंज शाखा- 58.60 किमी
गोंडा शाखा- 120.60  किमी
तरबगंज शाखा- 89.60 किमी
इटियाथोक शाखा- 54.40 किमी
मनकापुर शाखा- 30.00 किमी
टिकरी शाखा- 55.88 किमी
बस्ती शाखा- 160.10 किमी
खलीलाबाद शाखा- 76 किमी
बांसी शाखा- 69.25 किमी
कैंपियरगंज शाखा- 62.10 किमी

चार पंप नहरें…
अयोध्या पंप नहर – 5 किमी
उतरौला पंप नहर -58.300 किमी
गोला पंप नहर- 27.200 किमी
डुमरियागंज पंप नहर- 67.665 किमी

विस्तार

1978 से शुरू हुई सरयू नहर परियोजना पूरी हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की इस सबसे बड़ी परियोजना का लोकार्पण आज करेंगे। गोंडा सहित नौ जिलों के किसानों के लिए यह परियोजना एक वरदान साबित होगी। जिले में 808 किलोमीटर लंबी इस नहर योजना से किसानों को मंहगी सिंचाई की परेशानी से प्रभावी तौर पर छुटकारा मिलेगा। गोंडा जिले में यह सरयू नहर बहराइच से होकर प्रवेश करेगी। एक-दो गैप को छोड़कर परियोजना का कार्य लगभग पूरा है। अब शनिवार को पीएम मोदी इस सौगात को देश को समर्पित करेंगे।

वर्ष 1978 में बहराइच व गोंडा जिले की सिंचन क्षमता के विस्तार के लिए घाघरा कैनाल नामक परियोजना का शुभारंभ हुआ था। चार साल तक परियोजना पर काम चलता रहा, लेकिन परियोजना पूरी नहीं हुई। सुरसा की तरह परियोजना की लागत बढ़ती गई और काम भी पूरा नहीं हो पाया। वर्ष 1982 में  परियोजना का विस्तार करते हुए अन्य जिलों को भी इसमें शामिल कर दिया गया।

इसका नाम ट्रांस घाघरा-राप्ती-रोहिणी कर दिया गया। लेकिन बाद में इसका नाम सरयू नहर परियोजना कर दी गई। करीब सवा लाख किलोमीटर तक फैली इस परियोजना से कई लाख किसानों को सिंचाई की समस्या से निजात मिलेगी। इस परियोजना का मुख्य भाग गोंडा है। जिले में बहराइच के रास्ते गोंडा में आईं दो मुख्य नहरों से 45 नहरें निकाली जा चुकी हें।

मुख्य शाखा के अलावा माइनर व टेल तक पानी पहुंचाने की कवायद करीब 43 साल बाद पूरी हो रही है। जिले भर में 808 किलोमीटर नहर का जाल बिछ चुका है और इससे दो लाख 41 हजार किसानों को सिंचाई का सीधा फायदा मिलेगा।

जिले में करीब पांच लाख किसान हैं। यहां के किसान बोरिंग व पंपिंग सेटों से सिंचाई करते रहे हैं। 50 से अधिक राजकीय नलकूप भी सिंचाई करे लिए लगे हैं। लेकिन कभी बिजली की समस्या तो कभी यांत्रिक दोष के कारण किसानों को समय से सिंचाई की सुविधा नहीं मिल पाती थी। कुल किसानों में से 50 फीसदी किसानों को अब नहर सिंचाई का फायदा मिलेगा। यानि ढाई लाख किसानों को महंगे डीजल की जरूरत नहीं पड़ेगी और कम खर्च में वह समय पर फसलों की सिंचाई कर सकेंगे।

तीन का अड़ंगा 20 हजार किसानों पर भारी

अधिशासी अभियंता सिंचाई सतीश कुमार ने बताया कि करनैलगंज के परसा गोड़री के धनई पट्टी में विभागीय खतौनी की भूमि होने के बावजूद तीन किसान परिवारों द्वारा अड़ंगेबाजी के चलते नहर नहीं बन पाई है। जिसके  कारण 26 गांवों के 20 हजार किसान नहर से मिलने वाली सिंचाई की सुविधा से वंचित बने रहेंगे। अब पुलिस प्रशासन की मदद से इस विवाद को निपटाने की कवायद चल रही है।

अब लहलाएगी फसल

रुपईडीह ब्लाक के किसान सतगुरु कहते हैं कि सरयू नहर प्रथम खंड की 47 किलोमीटर की नहर उनके खेत के बगल से होकर निकली है। अब लगातार नहरों के चलने से सिंचाई की समस्या दूर होगी। राम राज मौर्य ने बताया कि बताया कि नहरों की साफ सफाई पर विशेष ध्यान देना होगा। ताकि इसका पूरा फायदा किसानों को मिल सके। किसान रज्जब अली व अनोखे लाल ने बताया कि हर साल गेहूं से लेकर अन्य फसलों की सिंचाई में बहुत पैसा खर्च होता था। अब नियमित पानी मिलने से डीजल खर्च की बचत होगी।

किसानों के लिए खुशी का दिन

शनिवार का दिन किसानों के लिए खुशी का दिन है। अधिकारियों की सूझबूझ व मेहनत का परिणाम है कि बीते चार सालों में नहर का निर्माण पूरा हो गया है। गोंडा, बहराइच, श्रावस्ती सहित अन्य जिलों के किसानों को खेती की सिंचाई करने में अब समस्या होगी। समय-समय पर सिल्ट की सफाई होती रहेगी। नहरों की पटरियों को दुरस्त रखने, गुलाबा को ठीक रखने की जिम्मेदारी अधिकारी निरीक्षण कर देखते रहेंगे। – त्रयंबक तिवारी, मुख्य अभियंता सरयू परियोजना, सिंचाई विभाग

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