भास्कर ग्राउंड रिपोर्ट: कश्मीरी दल जम्मू के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में तो भाजपा कश्मीर में पैठ बढ़ा रही है

श्रीनगर13 घंटे पहलेलेखक: मुदस्सिर कुल्लू

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370 के खात्मे के बाद पहली बार चुनावी मूड में जम्मू-कश्मीर।

  • सूबे में 10 साल बाद आजाद सक्रिय, अंदेशा है कि वे नई पार्टी भी बना सकते हैं

अनुच्छेद 370 के खात्मे के बाद पहली बार जम्मू-कश्मीर में चुनावी सरगर्मियां दिख रही हैं। राज्य की सियासी पार्टियां धुआं धार रैलियां कर रही हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी और कांग्रेस सहित सभी प्रमुख सियासी दल जम्मू के मुस्लिम बहुल इलाके चिनाब घाटी और पीर पंजाल रेंज में रैलियां कर रहे हैं। इसी तरह, भाजपा कश्मीर में पैठ बढ़ाने की कोशिश कर रही है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष रविंदर रैना ने हाल ही में कश्मीर के सीमावर्ती इलाकों में गुर्जर और बकरवाल समुदाय तक पहुंचने के लिए कई रैलियां कीं और वादा किया कि सरकार उनके उत्थान के लिए काम करेगी।

इस सक्रियता की वजह यह है कि प्रशासन ने कहा है कि अगले साल 6 मार्च तक परिसीमन आयोग अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप दे सकता है। इसके बाद कभी भी चुनाव हो सकते हैं। पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती चिनाब घाटी और पीर पंजाल रेंज में रैलियां कर रही हैं और अनुच्छेद 370 के खात्मे के लिए भाजपा को कोस रही हैंं। इसी तरह नेशनल कांफ्रेंस के वरिष्ठ नेता फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला ने कई रैलियां की हैं।

उमर 8 दिनों से जम्मू की चिनाब घाटी में डेरा डाले हुए हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि उमर ने पार्टी वर्कर्स से चुनाव के लिए तैयार रहने के लिए कहा है। अनुच्छेद 370 की बहाली तक चुनाव नहीं लड़ने के ऐलान से उमर अब्दुल्ला असहज स्थिति में थे। वे रैलियों में कह रहे हैं कि नेशनल कांफ्रेंस विधानसभा चुनावों के बहिष्कार की गलती नहीं दोहराएगी, जैसा कि 2018 में पंचायत और शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में भाजपा और अन्य दलों के लिए खुला मैदान छोड़ कर की थी।

दूसरी तरफ कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद 10 साल बाद ऐसे वक्त राज्य की राजनीति में सक्रिय हैं, जब उनके वफादारों ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख गुलाम अहमद मीर के खिलाफ विद्रोह का झंडा उठा रखा है। आजाद जम्मू क्षेत्र और दक्षिण कश्मीर में रैलियां कर रहे हैं। उनकी गतिविधियों ने उन अटकलों को हवा दी है कि अगर कांग्रेस उन्हें दरकिनार करती है तो वे एक नई पार्टी बना सकते हैं।

उन्होंने एक रैली में कहा कि उनका नई पार्टी बनाने का कोई इरादा नहीं है, लेकिन राजनीति में भविष्य की भविष्यवाणी नहीं कर सकते। आजाद के करीबी और वरिष्ठ कांग्रेस नेता विकार रसूल कहते हैं कि मीर अपने कार्यकाल में विफल रहे हैं, इसलिए वे उनका इस्तीफा मांग रहे हैंं। उन्होंने यह भी मांग की कि आजाद को पार्टी का चेहरा बनाया जाए। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस में आलाकमान के खिलाफ बने जी-23 का हिस्सा बनने के बाद आजाद पार्टी में हाशिए पर चले गए हैं। उनसे अहम पद लिए जा चुके हैं।

आखिर कश्मीरी पार्टियां चिनाब और पीर पंजाल में सक्रिय क्यों हैं

  • नई विधानसभा में 83 की जगह 90 सीटें होंगी। परिसीमन में इन 7 सीटों के जम्मू में जाने की संभावना है। इस स्थिति में जम्मू में 44 और कश्मीर में 46 सीटें हो सकती हैं।
  • भाजपा का फोकस राज्य की 11% अनुसूचित जनजाति पर है। इनके लिए काेई रिजर्व सीट नहीं। इनमें गुज्जर, बक्करवाल, सिप्पी, गद्दी आते हैंै। कश्मीर में इनकी अच्छी तादाद हैै। ये रिजर्व सीटें मांग रहे हैं, जिसे भाजपा पूरा कर सकती है।
  • जम्मू के चेनाब और पीर पंजाल रेंज में 15 सीटें हैं। ऐसे में यह क्षेत्र निर्णायक बन गया है। कश्मीरी पार्टियां इस इलाके में ये सुनिश्चित करना चाहती हैं कि भाजपा यहां पैठ न बना सके।

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