नेशनल मेडिकल कमीशन की गाइडलाइन का विरोध: प्रदर्शन में देशभर से जुटे गैर-चिकित्सक शिक्षक, बोले- इससे हमारी नौकरियां खत्म होंगी

नई दिल्ली7 मिनट पहले

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नई दिल्ली में सोमवार को नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया गया।

नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) के खिलाफ देशभर से आए गैर-चिकित्सक शिक्षकों ने नई दिल्ली में सोमवार (21 अगस्त) को विरोध प्रदर्शन किया। नेशनल एमएससी मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन (NMMTA) के इस प्रदर्शन में मेडिकल M.Sc/Ph.D. डिग्रियों वाले शामिल रहे।इनका कहना था कि NMC की गाइडलाइन से हमारी नौकरियां खत्म हो जाएंगी।

ये एनॉटोमी, बायोकेमिस्ट्री, फिजियोलॉजी, फार्माकोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी जैसी गैर-क्लिनिकल विशेषज्ञताओं में योग्यता रखते हैं।

दिल्ली में हुए प्रदर्शन में करीब 300 शिक्षक जुटे।

दिल्ली में हुए प्रदर्शन में करीब 300 शिक्षक जुटे।

ये शिक्षक विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में ट्यूटर, सहायक प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, प्रोफेसर और विभागों के हेड के रूप में सेवा देते हैं। NMMTA मेडिकल M.Sc योग्यता रखने वाले व्यक्तियों के लिए रजिस्टर्ड राष्ट्रीय संघ है। इसे विभिन्न संबंधित संघों और उनके सदस्यों का समर्थन प्राप्त है। लगभग 300 शिक्षक प्रदर्शन में जुटे। यह प्रदर्शन MCI की जगह बनाए गए NMC के उठाए कदमों के खिलाफ है।

नियुक्ति का कोटा घटाकर 15% कर दिया
NMC ने गैर-चिकित्सक शिक्षकों के नियुक्ति का कोटा घटाकर 15% कर दिया है। पहले यह बायोकेमिस्ट्री में 50%, एनेटोमी, बायोकेमिस्ट्री, फिजियोलॉजी, फार्माकोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी में 30% था। फार्माकोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी को कोटे से पूरी तरह से हटा दिया गया है।

शिक्षक ट्यूटर पद के लिए योग्यता Ph.D करने का विरोध कर रहे हैं।

शिक्षक ट्यूटर पद के लिए योग्यता Ph.D करने का विरोध कर रहे हैं।

इसके अलावा बोर्ड ने गैर-चिकित्सक शिक्षकों को लेकर दूसरे बदलाव किए हैं जैसे कि ट्यूटर के गैर-शिक्षण पद के लिए एक Ph.D योग्यता की मांग और परीक्षक की भूमिका से वंचित करने की कोशिश।

NMC Act के अनुसार, NMMTA ने NMC में अपील दायर की, जिसे नहीं माना गया। इस पर NMMTA ने केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में दूसरी अपील दायर की।

अभी इन विशेषज्ञताओं में खाली पदों और खाली MD पोस्ट ग्रेजुएट सीटों का पता लगाने के बाद सरकार ने NMC को मेडिकल शिक्षकों की नियुक्तियों के लिए पूर्व में MCI के दिशा-निर्देशों का ही पालन करने के निर्देश दिए। यह आदेश NMMTA की दिल्ली हाईकोर्ट में दायर अर्जी पर फैसला आने तक लागू रहेगा।

सरकार के आदेश का पालन नहीं हो रहा
सरकारी आदेश का पालन नहीं होने से शिक्षकों को भारी कठिनाइयां हो रही हैं। NMMTA के सचिव डॉ. अयन दास ने बताया, केवल 15% भर्ती का मतलब है कि एक विभाग में केवल एक या दो शिक्षकों की नियुक्ति होगी। फार्माकोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी वाले देश में कहीं भी आवेदन नहीं कर सकते हैं। नई गाइडलाइन के कारण वे कॉलेज या स्थान नहीं बदल सकते हैं। कई शिक्षकों ने नौकरियां खो दी हैं। मेडिकल M.Sc के छात्रों के पास अपने सिलेबस पूरा करने के बाद नौकरी की कोई संभावना नहीं है।

चिकित्सा शिक्षा में गैर-क्लिनिकल और क्लिनिकल विषय दोनों शामिल हैं। गैर-क्लिनिकल विषयों को डॉक्टर्स और जो डॉक्टर नहीं हैं वे दोनों पढ़ाया जाता है, जबकि क्लिनिकल विषयों को केवल मेडिकल शिक्षक (MBBS और MD/MS) पढ़ाते हैं।

NMMTA में 2235 सदस्य हैं, जो मेडिकल कॉलेजों में शिक्षक हैं।

NMMTA में 2235 सदस्य हैं, जो मेडिकल कॉलेजों में शिक्षक हैं।

1960 से हो रही नियुक्तियां
पांच गैर-क्लिनिकल विशेषज्ञताओं में मेडिकल शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए 1960 के दशक से गैर-चिकित्सक शिक्षकों को नियुक्त किया जाता रहा है। NMMTA के अध्यक्ष तुकाराम प्रभु ने कहा, “गैर-चिकित्सक शिक्षक बुनियादी चिकित्सा विज्ञानों को पढ़ाने का काम करने में भारत की ही नहीं, यह दुनियाभर में होता है। अमेरिका के मेडिकल संस्थानों में इन विषयों के शिक्षकों में केवल 8-11% चिकित्सक होते हैं, बाकी सभी गैर-चिकित्सक होते हैं।

चिकित्सा शिक्षकों की कमी अब भी
पिछले वर्षों में गैर-क्लिनिकल विशेषज्ञताओं में MD सीटों में बढ़ोतरी हो गई है, फिर भी उनमें से 40-50% सीटें हर साल खाली रहती हैं, क्योंकि MBBS UG के स्टूडेंट्स क्लिनिकल विशेषज्ञताओं को पसंद करते हैं। इसलिए, चिकित्सा शिक्षकों की कमी अब भी है। हम इस समस्या का समाधान प्रदान करते हैं।

मेडिकल M.Sc के सिलेबस मेडिकल विज्ञान के MD सिलेबस के समान होते हैं। अक्सर, ये दो सिलेबस मेडिकल कॉलेज विभागों में साथ-साथ चलते हैं, जिन्हें मेडिकल प्रोफेसर पढ़ाते हैं। प्रशिक्षण के सभी पहलु समान होते हैं। यहां तक कि विश्वविद्यालय परीक्षा प्रक्रिया भी समान होती है। हमें डिग्रियां स्वास्थ्य विश्वविद्यालय चिकित्सा के क्षेत्र में देते हैं। इस प्रकार, क्लिनिकल प्रैक्टिस को छोड़ हम सभी भूमिकाओं के लिए एक समान तैयार किए जाते हैं।

एक-दो गैर-चिकित्सक शिक्षकों से निगेटिव असर नहीं
मेडिकल शिक्षा में Competency Based Medical Education (CBME) सिलेबस की शुरुआत और चिकित्सक शिक्षकों की उपलब्धता को इन बदलावों का कारण माना जाता है। डॉ. अयन ने इसका खंडन करते हुए कहा, MBBS छात्रों को पढ़ाने की क्षमता केवल पोस्टग्रेजुएट कोर्सों के माध्यम से होती है, चाहे वो मेडिकल M.Sc हो या MD, और दोनों एक ही तरह से प्रशिक्षित होते हैं।

70% शिक्षक पहले ही से डॉक्टर होते हैं, इसलिए एक या दो गैर-चिकित्सक शिक्षकों की उपस्थिति चिकित्सा शिक्षा पर निगेटिव असर नहीं डाल सकती। उन्होंने कहा कि चिकित्सा शिक्षकों की उपलब्धता का दावा गलत है, क्योंकि ग्रामीण, दूरस्थ या पहाड़ी क्षेत्रों के कॉलेजों में शिक्षकों की गंभीर कमी होती है। यहां डॉक्टर्स आमतौर पर नहीं जाते।

NMC पर डॉक्टरों का कंट्रोल
डॉ. प्रभू ने इस पर जोर देते हुए कहा, चाहे पूर्व MCI हो या वर्तमान NMC, इस पर डॉक्टरों का कंट्रोल है। ​​​​हमारे लिए इसमें कोई जगह नहीं है।

UGC ने सहायक प्रोफेसर पद के लिए कोई Ph.D अनिवार्य नहीं किया है, लेकिन NMC ने इसे सबसे कम गैर-शिक्षण पद के लिए भी आवश्यक बना दिया है। हमें शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों से बाहर किया जा रहा है और हमें एक्जामिनर की मूल शैक्षिक भूमिका से वंचित किया जा रहा है।”

हमाले अनुभव को भी अनदेखा किया दिया जाता है। UGC पूर्ण समय और आंशिक समय दोनों के लिए डॉक्टरेट की अनुमति देता है, लेकिन NMC केवल in-campus Ph.D की मांग करता है। NMC के कदम हमारे लिए हर बार कठिनाइयां बढ़ाते हैं।

सरकार से हमारा अनुरोध है कि UG बोर्ड को ऐसे सदस्यों से बदला जाए जो हमारे प्रति दुश्मनी का भाव रखते हैं।

NMMTA में 2235 सदस्य
NMMTA में वर्तमान में 2235 सदस्य हैं, जो ज्यादातर भारत भर के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में शिक्षक हैं। इनमें AIIMS, PGIMER आदि जैसे प्रतिष्ठित संस्थान शामिल हैं। भारत के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में 3000 से अधिक गैर-मेडिकल शिक्षक काम कर रहे हैं।