कानूनी ढांचे पर छलका CJI का दर्द: चीफ जस्टिस रमना बोले- देश में अब भी गुलामी के दौर की न्याय व्यवस्था, यह भारत के हिसाब से ठीक नहीं

नई दिल्ली14 मिनट पहले

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देश की न्याय व्यवस्था पर मुख्य न्यायधीश (CJI) एनवी रमना ने चिंता जाहिर की है। कर्नाटक स्टेट बार काउंसिल के जस्टिस एमएम शांतनगौडर को श्रद्धांजलि देने पहुंचे CJI ने कहा कि देश में अब भी गुलामी के दौर की न्याय व्यवस्था कायम है। शायद देश की जनता के लिए यह ठीक नहीं है। CJI ने कानून प्रणाली का भारतीयकरण करने की बात पर जोर दिया। CJI ने कहा कि भारत की समस्याओं पर अदालतों की वर्तमान कार्यशैली फिट नहीं बैठती है।

अंग्रेजी में कार्यवाही नहीं समझ पाते ग्रामीण
बार एंड बेंच के मुताबिक CJI रमना ने कहा कि ग्रामीण इलाकों के लोग इंग्लिश में होने वाली कानूनी कार्यवाही को नहीं समझ पाते हैं। इसलिए उन्हें ज्यादा पैसे बर्बाद करने पड़ते हैं। उन्होंने कहा कि आम आदमी को कोर्ट और जज से डर नहीं लगना चाहिए।

कोर्ट की कार्यवाही पारदर्शी होनी चाहिए
रमना ने कहा कि किसी भी न्याय व्यवस्था में सबसे महत्वपूर्ण स्थान मुकदमा दायर करने वाले व्यक्ति का होता है। कोर्ट की कार्यवाही पारदर्शी और जवाबदेही भरी होनी चाहिए। जजों और वकीलों का कर्तव्य है कि वे ऐसा माहौल तैयार करें जो आरामदायक हो।

जस्टिस शांतनगौदर को याद किया
जस्टिस रमना ने जस्टिस शांतनगौदर को याद किया। उन्होंने कहा कि जस्टिस शांतनगौदर आम लोगों की जरूरतों को समझते थे। उन्होंने जस्टिस शांतनगौदर के परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की।
CJI ने कहा कि जस्टिस शांतनगौदर का देश की न्यायपालिका में अहम योगदान है।

देश ने लोगों का खयाल रखने वाला जज खो दिया
मुख्य न्यायधीश ने कहा कि देश ने आम आदमी के हित का खयाल रखने वाला जज खो दिया। वह प्रैक्टिस करते समय गरीबों और वंचितों के मामलों को उठाने में रुचि दिखाते थे। उनका फैसला सामान्य और प्रैक्टिकल होता था। वह सुनवाई के लिए हमेशा तैयार रहते थे। उनका सेंस ऑफ ह्यूमर भी लाजवाब था।

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