POCSO में सहमति से संबंध की उम्र 18 ही रहे: अभिभावक हथियार की तरह कर रहे इस्तेमाल, लॉ कमीशन ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट

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नई दिल्ली2 घंटे पहलेलेखक: मुकेश कौशिक

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बच्चों को यौन हिंसा से संरक्षित करने वाले कानून पॉक्सो एक्ट 2012 के विभिन्न पहलुओं की गहन पड़ताल के बाद लॉ कमीशन ने अपनी रिपोर्ट कानून मंत्रालय को सौंप दी है। लॉ कमीशन की बैठक 27 सितंबर को हुई थी।

इसमें आयोग ने कानून की बुनियादी सख्ती बरकरार रखने की हिमायत की है। यानी आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बनाने की न्यूनतम उम्र 18 साल बनाए रखने की बात कही गई है। हालांकि इसके दुरुपयोग से जुड़े मामलों को देखते हुए कुछ सेफगार्ड लगाए गए हैं।

इस कानून के इस्तेमाल को लेकर कराए गए अध्ययनों से पता चला कि लड़कियों को मर्जी से विवाह करने के फैसले लेने के खिलाफ अभिभावक इसका इस्तेमाल हथियार की तरह कर रहे हैं। सहमति से संबंध रखने वाले कई युवकों को इस कानून का शिकार होना पड़ा है। ऐसे में मांग उठी थी कि, सहमति से संबंध रखने की उम्र घटाई जानी चाहिए।

दोनों की उम्र में 3 साल या अधिक का अंतर तो अपराध ही माना जाए
सूत्रों के अनुसार, जस्टिस ऋतुराज अवस्थी की अध्यक्षता वाले लॉ कमीशन ने यौन संबंध बनाने वाले अवयस्कों के बीच सहमति के बावजूद इस बात पर गौर करने को कहा है कि दोनों की उम्र का अंतर अधिक न हो। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर उम्र का फासला 3 साल या उससे अधिक है तो इसे अपराध की श्रेणी में मानना चाहिए।

सहमति को 3 पैमानों पर परखने की सिफारिश, तभी अपवाद मानें
1. अपवाद मानते समय देखा जाए कि सहमति भय या प्रलोभन पर तो आधारित नहीं थी?
2. ड्रग का तो इस्तेमाल नहीं किया गया?
3. यह सहमति किसी प्रकार से देह व्यापार के लिए तो नहीं थी?

ढील देने के बजाय बेजा इस्तेमाल रोका जाए
आयोग ने उम्र के प्रावधान को 18 ही रखने की सिफारिश करते हुए रिपोर्ट में कई तरह की राहत और अपवाद रखने के सुझाव दिए हैं। अपवाद सामने रखते समय रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि इस तरह के मामलों में सहमति से संबध रखने वाले युवक-युवतियों का अतीत देखा जाए और उसके आधार पर तय किया जाए कि यह सहमति स्वैच्छिक थी या नहीं। उनके रिश्तों की मियाद क्या थी।

आयोग के सूत्रों के अनुसार, मूल मकसद यह रखा गया है कि कानून में ढील देने के बजाय इसके बेजा इस्तेमाल को रोका जाए। इसके लिए हर मामले के आधार पर अदालतों को उनके विवेकाधिकार से निर्णय लेने का दायरा बढ़ाने की सिफारिश की गई है।

27 सितंबर को लॉ कमीशन बैठक में वन नेशन-वन इलेक्शन पर भी चर्चा, अभी काम जारी

27 सितंबर को लॉ कमीशन की एक बैठक हुई थी। जिसमें पॉक्सो के अलावा दो अन्य मुद्दों पर भी चर्चा हुई थी। इसमें वन नेशन-वन इलेक्शन और ऑनलाइन FIR से जुड़े मामले थे। 22वें लॉ कमीशन के अध्यक्ष जस्टिस ऋतुराज अवस्थी ने कहा कि वन नेशन-वन इलेक्शन के मुद्दे पर काम अभी भी जारी है। इस पर रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए कोई समय सीमा नहीं दी गई है।

प्रोसेस के अनुसार लॉ कमीशन सभी रिपोर्ट्स केंद्रीय कानून मंत्रालय को सौंपी जाती है। वहां से रिपोर्ट संबंधित मंत्रालयों को भेजी जाती है। वन नेशन-वन इलेक्शन का कई सालों से कमीशन के पास पैंडिंग है। पिछले लॉ कमीशन ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के लिए तीन विकल्प सुझाए थे, लेकिन कहा था कि कई बिंदुओं पर विचार किया जाना बाकी है। पढें पूरी खबर…

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