DGCA के डायरेक्टर कैप्टन अनिल गिल सस्पेंड: फ्लाइंग ट्रेनिंग स्कूल से रिश्वत में ट्रेनिंग एयरक्राफ्ट लेने का आरोप

नई दिल्ली11 मिनट पहले

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, DGCA को एक व्हिसलब्लोअर ने 25 अक्टूबर को शिकायत भेजी थी। इसमें अनिल पर रिश्वत में एयरक्राफ्ट लेने का आरोप लगाया गया था।

केंद्र सरकार ने डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) में डायरेक्टोरेट ऑफ एयरोस्पोर्ट्स के डायरेक्टर कैप्टन अनिल गिल को बुधवार को सस्पेंड कर दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन पर फ्लाइंग ट्रेनिंग स्कूल से रिश्वत में 3 ट्रेनिंग एयरक्राफ्ट लेने का आरोप है।

रिपोर्ट के मुताबिक, अनिल पर एक महीने पहले भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे, जिसके बाद DGCA ने मामले की जांच के लिए विजिलेंस कमेटी का गठन किया था। कमेटी की प्रारंभिक जांच के बाद एविएशन मिनिस्ट्री ने यह फैसला लिया है। मामले की जांच अब CBI और ED कर रही है।

अनिल इस पद से पहले DGCA के फ्लाइंग एंड ट्रेनिंग डिवीजन के डायरेक्टर थे। उन्हें हाल ही में डायरेक्टोरेट ऑफ एयरोस्पोर्ट्स का डायरेक्टर बनाया गया था।

रिश्वत के बदले फ्लाइंग ट्रेनिंग स्कूल की कमियां नजरअंदाज करते थे
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, DGCA को एक व्हिसलब्लोअर ने 25 अक्टूबर को शिकायत भेजी थी। इसमें अनिल पर फ्लाइंग ट्रेनिंग आर्गनाइजेशन (FTO) से रिश्वत में ट्रेनिंग एयरक्राफ्ट लेने का आरोप है।

शिकायत के मुताबिक, अनिल अपनी फैमिली से जुड़ी कंपनियों के लिए मामूली कीमत पर ट्रेनिंग एयरक्राफ्ट लेते थे। फिर इन विमानों को कुछ अन्य FTO को किराए पर दे देते थे। इस रिश्वत के बदले अनिल ऑडिट के दौरान इन FTO की कमियों को नजरअंदाज कर देते थे, जिसमें सुरक्षा से जुड़ी खामियां भी शामिल हैं।

अनिल ने सभी आरोपों से इनकार किया
शिकायत में यह भी बताया है कि जो FTO अनिल को एयरक्राफ्ट की रिश्वत नहीं दे पाते थे, वे मामूली कीमत पर उनसे जुड़ी कंपनियों को अपने ट्रेनिंग विमान बेच देते थे। जिन कंपनियों को FTO विमान बेचते थे, उनमें अनिल की मां, उनके भाई की पत्नी, चाची, एक चचेरा भाई और उनके बहनोई डायरेक्टर हैं।

हालांकि अनिल ने इन सभी आरोपों से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि ये सभी आरोप गलत हैं।

2021 में भी रिश्वत में लेने का आरोप लगा था
2021 में भी अनिल पर रिश्वत में एयरक्राफ्ट लेने का आरोप लगा था। उस वक्त वो DGCA के मुख्य सतर्कता अधिकारी थे। हालांकि उस समय की गई जांच में कुछ खास पता नहीं चला था।

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