CJI ने एडवोकेट से कहा- मुझ पर चिल्लाओ मत: इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में सुनवाई चल रही थी, बोले- यह हाइड पार्क कॉर्नर की बैठक नहीं

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नई दिल्ली23 मिनट पहले

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इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है।

इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट में 16 मार्च को उन याचिकाओं पर सुनवाई हुई, जिसमें तर्क दिया गया कि भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद अधूरा डेटा प्रदान किया। इस दौरान एड्वोकेट मैथ्यूज नेदुमपरा और CJI डीवाई चंद्रचूड़ के तीखी बहस देखने को मिली।

सुनवाई के दौरान नेदुमपरा ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड मामला बिल्कुल भी न्यायसंगत मुद्दा नहीं था। यह एक नीतिगत मामला था और इसमें अदालतों का दखल नहीं था। इसीलिए लोगों को लगता है कि यह फैसला उनकी पीठ पीछे दिया गया।

नेदुमपरा और CJI के बीच हुई तीखी बहस
जब नेदुमपरा बोल रहे थे तो CJI ने उनसे रुककर सुनने के लिए कहा, लेकिन नेदुमपरा ने कहा कि मैं इस देश का नागरिक हूं।

इस पर CJI ने कहा, “एक सेकंड, मुझ पर चिल्लाओ मत। नेदुमपरा ने जवाब दिया, “नहीं, नहीं, मैं बहुत नरम (आराम से बोलना) हूं।”

इस पर CJI ने कहा, “यह हाइड पार्क कॉर्नर की बैठक नहीं है, आप अदालत में हैं। आप एक आवेदन दायर करना चाहते हैं, आवेदन दायर करें। आपको CJI के रूप में मेरा निर्णय मिल गया है, हम आपकी बात नहीं सुन रहे हैं। यदि आप एक आवेदन दायर करना चाहते हैं तो इसे ईमेल पर ट्रांसफर करें। इस अदालत में यही नियम है।”

इस दौरान नेदुमपरा लगातार बोलते रहे। इस पर जस्टिस बीआर गवई ने हस्तक्षेप करते हुए कहा, “आप न्याय प्रशासन की प्रक्रिया में बाधा डाल रहे हैं।”

इस पर भी नेदुमपरा ने बोलना बंद नहीं किया।जब वह बोलते रहे तो बेंच ने कहा, ”बस, जब तक आप निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं करेंगे तब तक हम आपकी बात नहीं सुनेंगे।”

नेदुमपरा ने कहा कि वे एक आवेदन दाखिल करेंगे। उन्होंने बेंच से कहा कि हमारे प्रति दयालु रहें।

नेदुमपरा को याद दिलाई पहले की कार्रवाई
बेंच ने एडवोकेट नेदुमपरा को साल 2019 की कार्रवाई याद दिलाई। जब उन्हें अदालत की अवमानना पर कार्रवाई सामना करना पड़ा था। 2019 में SC ने नेदुमपरा को अवमानना का दोषी ठहराया था। उन्होंने तब एक कहा था कि वह फिर कभी इस न्यायालय या बॉम्बे उच्च न्यायालय के किसी भी न्यायाधीश को धमकाने का प्रयास नहीं करेंगे।

अदालत ने उन्हें तीन महीने के कारावास की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने कहा था कि यह सजा तभी हटाई जाएगी जब नेदुमपरा यह वादा करें कि वे भविष्य में अपनी कही बात का पालन करेंगे। नेदुमपरा को एक साल के लिए सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने से भी रोक दिया गया था।

मुकुल रोहतगी और आदिश अग्रवाल की दलील सुनने से बेंच का इनकार
सुनवाई के दौरान हस्तक्षेप करने की कोशिश कर रहे अदालत ने सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष आदिश अग्रवाल की दलीलें सुनने से भी बेंच ने इनकार कर दिया।

SC ने कहा- 21 मार्च तक सारी जानकारी दे SBI, इलेक्टोरल बॉन्ड के नंबर भी बताएं

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (18 मार्च) को SBI से कहा कि वह इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी हर जानकारी 21 मार्च तक दे। सुप्रीम कोर्ट ने नए आदेश में उन यूनीक बॉन्ड नंबर्स के खुलासे का भी आदेश दिया, जिनके जरिए बॉन्ड खरीदने वाले और फंड पाने वाली राजनीतिक पार्टी का लिंक पता चलता है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- 21 मार्च की शाम 5 बजे तक SBI के चेयरमैन एक एफिडेविट भी दाखिल करें कि उन्होंने सारी जानकारी दे दी है। CJI चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि SBI जानकारियों का खुलासा करते वक्त सिलेक्टिव नहीं हो सकता। इसके लिए आप हमारे आदेश का इंतजार न करें।

CJI ने कहा- SBI चाहती है हम ही उसे बताएं किसका खुलासा करना है, तब वे बताएंगे। ये रवैया सही नहीं है। बॉन्ड के यूनीक नंबर्स न होने पर कोर्ट ने 16 मार्च को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) को नोटिस देकर 18 मार्च तक जवाब मांगा था। कोर्ट ने चुनाव आयोग को भी SBI से मिली जानकारी तुरंत अपलोड करने निर्देश दिया है।

बेंच ने 11 मार्च के फैसले में SBI को बॉन्ड की पूरी डिटेल देने का निर्देश दिया था। हालांकि, SBI ने सिर्फ बॉन्ड खरीदने और कैश कराने वालों की जानकारी दी। इस बात का खुलासा नहीं किया गया था कि किस डोनर ने किस राजनीतिक पार्टी को कितना चंदा दिया। पूरी खबर पढ़ें

इलेक्टोरल बॉन्ड्स से जुड़े केस में अब तक क्या हुआ…

  • 15 मार्च 2024 : सुप्रीम कोर्ट ने SBI को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने कहा कि 11 मार्च के फैसले में कहा गया था कि बॉन्ड की पूरी डिटेल दी जाए, लेकिन SBI ने यूनीक अल्फा न्यूमेरिक नंबर्स का खुलासा नहीं किया। बेंच ने कहा था कि SBI 18 मार्च तक नंबर की जानकारी नहीं दिए जाने का जवाब दे। पढ़ें पूरी खबर…
  • 11 मार्च 2024 : इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी देने से जुड़े केस में SBI की याचिका पर 11 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की थी। SBI ने कोर्ट से कहा था- बॉन्ड से जुड़ी जानकारी देने में हमें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन इसके लिए कुछ समय चाहिए। इस पर CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा था- पिछली सुनवाई (15 फरवरी) से अब तक 26 दिनों में आपने क्या किया? पूरी खबर पढ़ें…
  • 4 मार्च 2024 : SBI ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई। इलेक्टोरल बॉन्ड्स की जानकारी देने के लिए 30 जून तक का वक्त मांगा था। इसके अलावा कोर्ट ने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की उस याचिका पर भी सुनवाई की, जिसमें 6 मार्च तक जानकारी नहीं देने पर SBI के खिलाफ अवमानना का केस चलाने की मांग की गई थी।
  • 15 फरवरी 2024 : सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक फंडिंग के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- यह स्कीम असंवैधानिक है। बॉन्ड की गोपनीयता बनाए रखना असंवैधानिक है। यह स्कीम सूचना के अधिकार का उल्लंघन है। पढ़ें पूरी खबर…
  • 2 नवंबर 2023: सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम केस में फैसला सुरक्षित रख लिया। हालांकि, अगली सुनवाई की तारीख नहीं बताई गई। कोर्ट ने पार्टियों को मिली फंडिंग का डेटा नहीं रखने पर चुनाव आयोग से नाराजगी जताई। साथ ही आयोग से राजनीतिक दलों को 30 सितंबर तक इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए मिली रकम की जानकारी जल्द से जल्द देने का निर्देश दिया है। पढ़ें पूरी खबर…
  • 1 नवंबर 2023: सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड से राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता आई है। चंदा देने वाले नहीं चाहते कि उनके दान देने के बारे में दूसरी पार्टी को पता चले। इससे उनके प्रति दूसरी पार्टी की नाराजगी नहीं बढ़ेगी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर ऐसी बात है तो फिर सत्ताधारी दल विपक्षियों के चंदे की जानकारी क्यों लेता है? विपक्ष क्यों नहीं ले सकता चंदे की जानकारी? पूरी खबर पढ़ें …
  • 31 अक्टूबर 2023: प्रशांत भूषण ने दलीलें रखी थीं। उन्होंने कहा था कि ये बॉन्ड केवल रिश्वत हैं, जो सरकारी फैसलों को प्रभावित करते हैं। अगर किसी नागरिक को उम्मीदवारों, उनकी संपत्ति, उनके आपराधिक इतिहास के बारे में जानने का अधिकार है, तो उन्हें यह भी पता होना चाहिए कि राजनीतिक दलों को कौन फंडिंग कर रहा है? पूरी खबर पढ़ें