75वें स्वतंत्रता दिवस पर अटारी-वाघा बॉर्डर का नया रूप: सरकार और BSF ने किए कई बदलाव; शांति स्मारक की जगह बदली, देश का सबसे ऊंचा तिरंगा फहराया जाएगा

अमृतसर8 घंटे पहलेलेखक: अनुज शर्मा

अटारी-वाघा सीमा पर तिरंगे में रंगा स्वर्ण द्वार।

कोरोना काल के चलते अटारी-वाघा सीमा पर बने जॉइंट चैक पोस्ट (JCP) पर होने वाली ‘बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी’ को डेढ़ साल से बंद रखा गया है। भारत की तरफ दिसंबर 2021 से पहले इस सेरेमनी के शुरू होने के आसार नहीं दिख रहे हैं। लेकिन लॉकडाउन के दौरान भारत सरकार ने BSF के सहयोग से JCP पर कई बदलाव किए हैं और बहुत कुछ नया भी बनाया गया है। हमने BSF से स्पेशल परमिशन लेकर उसके वीडियो शूट किए हैं और तस्वीरें भी खींची हैं। आइए इन फोटो और वीडियो के माध्यम से हम आपको अटारी-वाघा बॉर्डर का नया दिखाते हैं…

अटारी-वाघा बॉर्डर पर बना शांति स्मारक।

शांति स्मारक की जगह बदली, जल्द फहराएगा देश का सबसे ऊंचा तिरंगा
स्वर्ण द्वार से ठीक आगे बनाए गए शांति समारक की जगह में बदलाव किया गया है। इसे थोड़ा पीछे तकरीबन 250 मीटर पीछे स्थापित किया गया है। बहुत ही सुंदर ढंग से बनाया गया यह समारक पहले से ज्यादा आकर्षक हो गया है। वहीं अब इस समारक की जगह पर देश का सबसे ऊंचा करीब 360 मीटर ऊंचा झंडा फहराया जाएगा। इसके लिए इंप्रूवमेंट ट्रस्ट ने टेंडर भी कॉल कर लिए हैं।

BSF म्यूजियम का एक दृश्य।

BSF म्यूजियम का एक दृश्य।

आकर्षित करेगा BSF म्यूजियम
रिट्रीट सेरेमनी के बाद अब लोगों को आकर्षित करने के लिए BSF म्यूजियम का निर्माण पूरा हो गया है। यह म्यूजिमय लाइट एंड साउंड के साथ सुसज्जित है, जहां लोग BSF को अच्छी तरह से जान भी पाएंगे और BSF की तरफ से किए जा रहे प्रयासों को भी समझ पाएंगे। इस गैलरी को 8 भागों में विभाजित किया गया है, जिसमें सबसे पहले स्वागत गैलरी है। उससके बाद रैंक गैलरी है, जहां बीएसएफ के रैंक की जानकारियां दी गई हैं। इसके बाद BSF की तरफ से किए जा रहे प्रयासों को दिखाया गया है।

म्यूजियम के अंदर का एक दृश्य।

म्यूजियम के अंदर का एक दृश्य।

47 सीटों के थिएटर में चलती है BSF की डॉक्यूमेंटी
गैलरी के अंत में 47 सीटों का थिएटर बनाया गया है। जहां 15 मिनट की डॉक्यूमेंट्री दिखाई जाती है, जो पूरी तरह से BSF पर आधारित है। वहीं म्यूजियम में दो और सक्रीन भी लगाई गई हैं। जिनमें एक पर BSF की ट्रेनिंग और दूसरे में BSF बैटल फील्ड से जुड़ी डॉक्यूमेंट्री दिखाई जाती है।

म्यूजियम के अंदर का एक दृश्य।

म्यूजियम के अंदर का एक दृश्य।

जानें BSF की शूरवीरता को
भारत इस साल अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है। 15 अगस्त को पूरा भारत आजादी का जश्न मनाता है। लेकिन आजादी के साथ-साथ भारत पाकिस्तान सीमा का विभाजन भी हुआ तो लाइन ऑफ कंट्रोल (LOC) का भी गठन हो गया था। देखा जाए तो यह LOC का 75वां जन्मदिवस भी है। भारत-पाकिस्तान के साथ कुल 2900 किलोमीटर का बॉर्डर सांझा करता है, जिसकी सुरक्षा भारतीय सीमा बल (BSF) करती है।

LOC पर मात्र अटारी-वाघा बॉर्डर ऐसा स्थान है, जहां कोरोना काल से पहले 35 हजार के करीब लोग रोजाना आया करते थे और दोनों देशों के बीच होने वाली ‘बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी’ को देखते थे। अटारी-वाघा सीमा का नाम सुनते ही हर भारतीय की रगों में देशभक्ति का खून दौड़ने लगता है। आए हम आज आजादी के दिन इस LOC और अटारी-वाघा सीमा के अनछुए पहलुओं पर बात करें…

भारतीय सेना का ऐतिहासिक और स्वर्णिम गौरव।

भारतीय सेना का ऐतिहासिक और स्वर्णिम गौरव।

सबसे पहले सेना ने संभाली थी बॉर्डर की सुरक्षा की जिम्मेदारी
1947 में भारतीय सेना ने चेक पोस्ट पर सुरक्षा की जिम्मेदारी को संभाला था। शुरुआत में कुमाऊं रेजीमेंट यह तैनात हुई थी। यहां पहला ध्वजारोहण कार्यक्रम ब्रिगेडियर मोहिंदर सिंह चोपड़ा की देखरेख में 11 अक्टूबर 1947 को हुआ था। अमृतसर के तत्कालीन DC नरिंदर सिंह और SP अटारी चौधरी राम सिंह ने ज्वॉइंट चेक पोस्ट की स्थापना में साथ दिया।

म्यूजियम के अंदर का एक दृश्य।

म्यूजियम के अंदर का एक दृश्य।

1950 में पंजाब पुलिस को और 1965 में BSF को मिली जिम्मेदारी
1950 के मध्य में JCP को पंजाब पुलिस ने टेकओवर कर लिया। 1959 में यहां पहली रिट्रीट सेरेमनी का आयोजन किया गया। 1 दिसंबर 1965 को बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) का गठन किया गया तो JCP की जिम्मेदारी अपने हाथ ले ली। तभी से रिट्रीट सेरेमनी हर रोज होती आ रही है। इस सेरेमनी को 1965 और 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध के दौरान कुछ वक्त के लिए रोका गया था।

अटारी वाघा बॉर्डर का स्वर्णिम रूप।

अटारी वाघा बॉर्डर का स्वर्णिम रूप।

सेना और पुलिस ही करती थी पहले बॉर्डर की निगरानी
1965 के अप्रैल महीने में पाकिस्तान अपनी नीच हरकतों पर उतर आया था। गुजरात के भुज शहर से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कच्छ के रण में 9 अप्रैल, 1965 की अलसुबह 3 बजे पाकिस्तान ने भारत की दो चौकियों पर हमला कर दिया। उस समय उक्त क्षेत्र में सीमा की रक्षा CRPF और गुजरात की राज्य पुलिस कर रही थी। युद्ध तकरीबन 15 घंटे चला। पाकिस्तान के 34 सैनिक मारे गए और 4 सैनिक युद्ध बंदी बना लिए गए। इसके बाद इंदिरा गांधी ने सीमाओं की रक्षा के लिए BSF का गठन करने का ऐलान कर दिया। केएफ रुस्तमजी सीमा सुरक्षा बल के पहले डायरेक्टर जनरल थे।

खबरें और भी हैं…

.

Leave a Reply