75वां स्वतंत्रता दिवस: अंग्रेजों का नौकर बना आजादी का नायक: बाबा भान सिंह… एक ऐसा गदरी शहीद, जिसने ढाई फीट के पिंजरे में काटी काला पानी की सजा; याद में लगते हैं मेले

लुधियानाकुछ ही क्षण पहलेलेखक: दिलबाग दानिश

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बाबा भान सिंह की याद में बना स्मारक स्थल।

आज पूरा देश 75वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। इस मौके पर उन नायकों को याद करना भी जरूरी है, जिन्होंने हमें इस आजाद फिजा में सांस दिलाने के लिए खुद काले पानी की सजा काटी, सजा भी ऐसी जिसे महसूस करने भर से रूह कांप जाती है। क्या कोई व्यक्ति ढाई फीट ऊंचे, ढाई फीट चौड़े पिंजरे में बंद रह सकता है और वो भी बस इतनी-सी बात पर कि अंग्रेज सिपाही द्वारा दी गई गाली का जवाब गाली में दे।

ऐसी सजा काटी, एक ऐसे गदरी शहीद ने, जो था तो अंग्रेजों का नौकर, लेकिन आजादी का नायक बन गया था। इस गदरी शहीद का नाम है बाबा भान सिंह, जिनका जन्म लुधियाना के सुनेत गांव में सावन सिंह के घर हुआ था। जवान हुए तो कद काठ के अच्छे होने के कारण अंग्रेजों की घोड़ा सवार सेना में भर्ती हो गए। मगर अंग्रेजों के बुरे व्यवहार को देखते हुए अंग्रेजों की नौकरी छोड़ अमेरिका गए।

बाबा भान सिंह की याद में बना स्मारक स्थल।

बाबा भान सिंह की याद में बना स्मारक स्थल।

करतार सिंह सराभा से मुलाकात हुई

अमेरिका में सोहन सिंह भकना की अगुवाई वाली गदर पार्टी में शामिल हो गए। नजदीकी गांव के ही करतार सिंह सराभा से उनकी मुलाकात भी वहीं पर हुई और उनके साथी बन गए। भारत में गदर मचाने के लिए जब 13 सितंबर 1915 को कलकता पहुंचे तो दूसरे गदरियों के साथ गिरफ्तार कर लिए गए। एक बार इन्हें छोड़ दिया गया और बाद में लाहौर में गिरफ्तार किया गया।

अंग्रेजों की अदालत में चले केस में 24 गदरियों को फांसी तो 27 को काले पानी की सजा सुना दी गई। इनमें बाबा भाना सिंह भी शामिल थे। वह करीब 3 साल तक सर्कुलर जेल में बंद रहे। जेल में सजा काटते समय भी वह कभी झुके नहीं। एक बार उन्हें गोरे सैनिक ने गाली दे दी तो उन्होंने इसका जवाब उसकी ही भाषा में दिया, जिसके बाद उन्हें डंडा बेड़ी कोठड़ी में बंद कर दिया गया और बेहद कम खाना दिया जाता।

इसी दौरान एक बार जब जेल सुपरिंटेंडेंट उन्हें देखने गया तो उसने भी बाबा भान सिंह को अपशब्द बोले और इसका भी विरोध करने पर उन्हें ढाई फीट ऊंचे ढाई फीट चौड़े पिंजरे में बंद कर दिया गया और जिसमें न सोया जा सकता था और न ही लेटा ही जा सकता था। इसी दौरान उन्होंने 2 मार्च 1918 को शहादत पाई।

उनकी याद में लगते हैं मेले

गदरी बाबा भान सिंह की याद में यादगार सुनेत गांव में ही बनाई गई है, जिसमें सुर्कलर जेल का मॉडल बनाया गया है। यहां वैसा ही पिंजरा बना है और उसमें बाबा को बैठे दिखाया गया है। इसके अलावा जेल में उनके साथ बंद रहे बाकी गदरियों की फोटो को भी यहां पर लगाया गया है। इसके अलावा यहां लाइब्रेरी है और इसका संचालन करने के लिए शहीद बाबा भान सिंह मेमोरियल ट्रस्ट बनाया गया है। ट्रस्ट की ओर से यहां पर उनकी याद में समय-समय पर समारोह करवाए जाते हैं।

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