1951-52 के पहले चुनाव की कहानी: 17.3 करोड़ ने वोट डाला; 80 लाख महिलाओं ने नाम न बताकर परिवार के पुरुष से रिश्ता बताया था

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नई दिल्ली1 घंटे पहले

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भारत में 1951-52 में हुए पहले आम चुनाव की तस्वीरें। तब कांग्रेस का चुनाव चिह्न पंजा नहीं, दो बैलों की जोड़ी था।

देश में अप्रैल-मई में 18वें आम चुनाव होने हैं। मार्च में चुनाव आयोग (EC) चुनाव की तारीखों का ऐलान कर देगा। इससे पहले पूर्व चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने 1951-52 में हुए पहले आम चुनाव की कहानी बताई है।

पहले चुनाव में 17 करोड़ 30 लोगों ने मताधिकार का इस्तेमाल किया था। इसमें लोकसभा की 489 सीटों पर चुनाव हुए थे और 1874 कैंडिडेट मैदान में थे। चुनाव आयोग ने ये चुनाव तब कराए थे, जब आयोग का गठन हुए एक साल (1950) हुआ था और देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया की शुरुआत करने में कई चुनौतियां थीं।

चुनाव आयोग ने ‘जनरल इलेक्शन 2019: एन एटलस’ पब्लिश किया था। इसके मुताबिक, पहले चुनाव 25 अक्टूबर 1951 में शुरू हुए थे जो 4 महीने यानी फरवरी 1952 तक चले। इस दौरान 17 दिन वोटिंग हुई थी।

लोगों से चुनाव के लिए जानकारी मांगी गई थी। 20-80 लाख महिलाओं ने अपना नाम बताने की बजाय परिवार के पुरुष से अपना रिश्ता बताया था, मसलन मैं फलां की पत्नी हूं, मैं फलां की बहू हूं। हालांकि, इन एंट्रीज को नामावली से हटा दिया गया था। इस तरह की जानकारियां बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य भारत, राजस्थान और विंध्य भारत की महिलाओं ने दी थीं।

‘तब भी हमारा चुनाव दुनिया की सबसे बड़ी एक्सरसाइज थी’
एसवाई कुरैशी के मुताबिक, 1951-52 में हुए चुनाव तब दुनिया में सबसे बड़ी डेमोक्रेटिक एक्सरसाइज थी। इसका पूरा श्रेय देश के पहले मुख्य चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन को देना चाहिए। उन्होंने जबर्दस्त काम को अंजाम दिया, वो भी तब जब हमें इसका न तो कोई अनुभव था और न ही कोई इन्फ्रास्ट्रक्चर।

चुनाव को सफल बनाने के लिए फिल्म डिवीजन ने भी योगदान दिया था। मॉक वोटिंग कराकर इसके वीडियो बनाकर लोगों को दिखाए गए थे, ताकि लोगों को मतदान प्रक्रिया का पता चल सके।

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