हैदराबाद के निजाम खानदान में संपत्ति विवाद: बेटे पर निजाम को धोखा देने का आरोप, पोते ने कहा- 34 संतानों के बीच होना था बंटवारा

4 मिनट पहले

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हैदराबाद के निजाम के बेटे प्रिंस मुकर्रम जाह ने निजाम की 5 संपत्तियों के इकलौते वारिस होने का दावा किया है। उनके इस दावे के खिलाफ हैदराबाद के 7वें निजाम मीर उस्मान अली खान के पोते नजफ अली खान ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। खान ने प्रिंस जाह के दावे को झूठा बताया है और कहा है कि प्रिंस ने दिवंगत निजाम को धोखा दिया है।

उन्होंने कहा है कि यह संपति निजाम की मौत के बाद उनके 16 बेटों और 18 बेटियों को ट्रांसफर होनी थी। प्रिंस ने जिन संपत्तियों का इकलौता वारिस होने का दावा किया है, उनमें हैदराबाद का फलकनुमा पैलेस, किंग कोठी पैलेस, चाउ महला पैलेस, पुरानी हवेली और तमिलनाडु के ऊटी में मौजूद हरेवुड सीडर बंगले शामिल है। प्रिंस मुकर्रम जाह को हैदराबाद का 8वां निजाम माना जाता है।

प्रिंस को गिफ्ट में मिली थी संपत्ति

हैदराबाद का फलकनुमा पैलेस एक रॉयल 5- स्टार होटल है और टूरिस्ट्स के बीच काफी पॉपुलर है।

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नजफ अली खान के दावे के मुताबिक, निजाम ने 1957 में प्रिंस मुकर्रम जाह को 5 संपत्तियां उपहार में दी थी। उस समय मुकर्रम जाह भारत में मौजूद नहीं थे। बाद में प्रिंस जाह ने निजाम को एक लेटर लिख कर संपत्ति लेने से इनकार कर दिया। वह अपनी सीमित आय के चलते उपहार में दी गई संपत्ति का रख- रखाव करने में सक्षम नहीं थे। वापसी के एक दस्तावेज पर प्रिंस जाह ने साइन भी किया था। बाद में 24 फरवरी 1967 को निजाम की मौत हो गई और प्रिंस जाह अपने पिता को दिए वादे के खिलाफ चले गए ।

प्रिंस ने निजाम के वारिसों का हक छीना
नजफ अली खान ने आरोप लगाया है कि प्रिंस जाह ने संपत्ति वापस करने के बावजूद है मालिकाना हक जारी रखा। अपने वकीलों के जरिए जाह ने परिवार के दूसरे सदस्यों को उनके हक से दूर रखा और सरकार को गुमराह किया है।

नजफ अली खान ने कहा कि विवाद होने के कारण यह मामला कोर्ट में है। उन्होंने अधिकारियों से संपत्तियों को किसी के नाम रजिस्टर न करने का आग्रह किया है। नजफ अली खान के वकील ने बताया कि, प्रिंस मुकर्रम जाह ने निजाम के लीगल वारिसों का हक छीना है और उन्हें अंधेरे में रखा है।

34 संतानों में बंटनी थी संपत्ति
नजफ अली खान ने अपने मुकदमे में कहा है कि 25 जनवरी, 1950 को हैदराबाद के भारत में विलय होने के बाद, भारत सरकार और नवाब मीर उस्मान अली खान बहादुर निजाम के बीच एक समझौता हुआ था। इस समझौते मुताबिक, निजाम की संपत्तियों को भारत सरकार ने निजी और व्यक्तिगत संपत्ति के रूप में स्वीकार किया था। लिस्ट में दर्ज संपत्तियां निजाम की मौत तक उनके पास ही थी। यह संपति उनकी मौत के बाद उनके 16 बेटों और 18 बेटियों को ट्रांसफर होनी थी।

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