सुप्रीम कोर्ट में 370 पर सातवें दिन सुनवाई: जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के वकील रखेंगे अपना पक्ष

नई दिल्ली33 मिनट पहले

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आर्टिकल 370 पर सुप्रीम कोर्ट में 3 साल बाद सुनवाई हो रही है। इससे पहले, 2020 में 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने इस मामले की सुनवाई की थी।

जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के फैसले को चुनौती देने वाली 23 याचिकाओं पर गुरुवार 17 अगस्त को 7वें दिन सुनवाई होगी।

बुधवार को 6वें दिन सुनवाई के दौरान कोर्ट में PDP चीफ महबूबा मुफ्ती भी मौजूद थीं। छठे दिन जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के वकील राजीव धवन ने दलीलें रखीं, उसके बाद सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने अपना पक्ष रखा।

दोनों वकीलों की दलीलें सुनने के बाद CJI ने कहा- हमें उम्मीद है कि याचिकाकर्ता 17 अगस्त तक अपना पक्ष रख लेंगे।

पांच जजों की बेंच कर रही सुनवाई
CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच इस मामले में सुनवाई कर रही है। याचिकाकर्ताओं की ओर से पहले तीन दिन 2, 3 और 8 अगस्त को एडवोकेट कपिल सिब्बल ने दलीलें दी थीं। इसके बाद गोपाल सुब्रमण्यम ने 9 और 10 अगस्त को दलीलें दीं।

पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती भी 16 अगस्त को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में मौजूद रहीं।

पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती भी 16 अगस्त को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में मौजूद रहीं।

सुप्रीम कोर्ट में अगस्त में अब तक 6 बार सुनवाई हुई…

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10 अगस्त : विशेष दर्जा देने वाला 370 स्थायी था, ये कहना मुश्किल
सुप्रीम कोर्ट ने 10 अगस्त की सुनवाई के दौरान कहा था कि अक्टूबर 1947 में पूर्व रियासत के विलय के साथ जम्मू-कश्मीर की संप्रभुता का भारत को समर्पण पूरा हो गया था, और यह कहना मुश्किल था कि 370 जो उसे विशेष दर्जा प्रदान करता था, स्थायी था। यह नहीं कहा जा सकता है कि जम्मू-कश्मीर में संप्रभुता के कुछ तत्वों को अनुच्छेद 370 के बाद भी बरकरार रखा गया था। पढ़ें पूरी खबर…

9 अगस्त: बुधवार को चार घंटे 40 मिनट सुनवाई

बुधवार को सीनियर एडवोकेट सुब्रमण्यम ने कहा क‍ि विलय के समय जम्मू-कश्मीर किसी अन्य राज्य की तरह नहीं था। उसका अपना संविधान था। हमारे संविधान में विधानसभा और संविधान सभा दोनों को मान्यता प्राप्त है। मूल ढांचा दोनों के संविधान से निकाला जाएगा। डॉ. अंबेडकर ने संविधान के संघीय होने और राज्यों को विशेष अधिकार की बात कही थी। पढ़ें पूरी खबर…

8 अगस्त : मंगलवार को 5 घंटे 18 मिनट सुनवाई

8 अगस्त को हुई सुनवाई में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि, आर्टिकल 370 खुद कहता है कि इसे खत्म किया जा सकता है। इस पर सिब्बल ने जवाब देते हुए कहा था, 370 में आप बदलाव नहीं कर सकते, इसे हटाना तो भूल ही जाइए। फिर CJI ने कहा- आप सही हैं, इसलिए सरकार के पास स्वयं 370 में बदलाव करने की कोई शक्ति नहीं है। सिब्बल बोल- ये व्याख्या (अपने शब्दों में समझाना, इंटरप्रिटेशन) करने वाला क्लॉज है, यह संविधान में संशोधन करने वाला क्लॉज नहीं है। पढ़ें पूरी खबर…

3 अगस्त : गुरुवार को 5 घंटे 11 मिनट सुनवाई

3 अगस्त को हुई सुनवाई में याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी थी कि आर्टिकल 370 को छेड़ा नहीं जा सकता। इसके जवाब में जस्टिस खन्ना ने कहा कि इस आर्टिकल का सेक्शन (c) ऐसा नहीं कहता। इसके बाद सिब्बल ने कहा, मैं आपको दिखा सकता हूं कि आर्टिकल 370 स्थायी है। इस पर CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, अभी तक जम्मू-कश्मीर की सहमति की आवश्यकता है और अन्य राज्यों के लिए विधेयक पेश करने के लिए केवल विचारों की जरूरत है। पढ़ें पूरी खबर…

2 अगस्त : बुधवार को 4 घंटे 25 मिनट सुनवाई

इसके पहले 2 अगस्त को सुनवाई के दौरान CJI ने याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल से पूछा कि आर्टिकल 370 खुद ही अपने आप में अस्थायी और ट्रांजिशनल है। क्या संविधान सभा के अभाव में संसद 370 को निरस्त नहीं कर सकती? इस पर जवाब देते हुए सिब्बल ने कहा था कि संविधान के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर से 370 को कभी हटाया नहीं जा सकता। पढ़ें पूरी खबर..

10 जुलाई को केंद्र ने मामले में नया एफिडेविट दाखिल किया था
इस मामले को लेकर आखिरी सुनवाई 11 जुलाई को हुई थी। इससे एक दिन पहले 10 जुलाई को केंद्र ने इस मामले में नया एफिडेविट दाखिल किया था। केंद्र ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर 3 दशकों तक आतंकवाद झेलता रहा। इसे खत्म करने का एक ही रास्ता था आर्टिकल 370 हटाना।