साल में दो बार होंगे 10वीं-12वीं के बोर्ड एग्जाम: 11वीं और 12वीं के स्टूडेंट्स पढ़ सकेंगे दो भाषाएं, 2024 से लागू होगा नया नियम

नई दिल्लीकुछ ही क्षण पहले

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नियमों के मुताबिक, 11वीं और 12वीं के स्टूडेंट्स को दो भाषाएं पढ़नी होंगी। इनमें से एक भारतीय भाषा होनी चाहिए। (फाइल फोटो)

केंद्र सरकार ने बुधवार को नई शिक्षा नीति के तहत एकेडमिक सेशन 2024-25 के लिए नोटिफिकेशन जारी किया। जिसके मुताबिक, अब 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं साल में दो बार कराई जाएंगीं। दोनों परीक्षा में जिसमें स्टूडेंट के ज्यादा मार्क होंगे, उसे गिना जाएगा।

इसके अलावा 11वीं और 12वीं के स्टूडेंट्स को दो भाषाएं पढ़नी होंगी। इनमें से एक भारतीय भाषा होनी चाहिए। हालांकि, स्टूडेंट्स को सबजेक्ट चुनने की छूट होगी। उन पर चुनी गई स्ट्रीम के आधार पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा।

राज्यों के बोर्ड मामले में नोटिफिकेशन जारी कर सकते हैं
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के मुताबिक, दो बार बोर्ड परीक्षाएं कराने का मुख्य उद्देश्य साल में एक बार होने वाले हाईप्रेशर को बढ़ाना है, ताकि बच्चों का फोकस विषयों पर बना रहे। माना जा रहा है कि जल्द राज्यों के बोर्ड इस संबंध में निर्देश जारी कर सकते हैं। फिलहाल नई शिक्षा नीति में दो बार बोर्ड परीक्षाएं कराने की सिफारिश जोड़कर केंद्र को भेज दी गई है। अंतिम फैसला होना बाकी है। तमिलनाडु और केरल की सरकारों ने पहले ही नई राष्ट्रीय नीति को लागू करने से मना कर दिया है। कर्नाटक भी इसी दिशा में आगे बढ़ रहा है।

किताबों का सिलेबस कम होगा, कीमतें भी घटेंगी
शिक्षा मंत्रालय ने बताया कि एकेडमिक सेशन 2024 के लिए किताबों में भी बदलाव किया जा रहा है। किताबों में अब भारी-भरकम सिलेबस भी नहीं रखा जाएगा। किताबों की कीमतें भी कम की जाएंगी।

नया सिलेबस न्यू एजुकेशन पॉलिसी-2020 को ध्यान में रखकर तैयार किया जाएगा। जिसमें स्कूल बोर्ड कोर्स पूरा होने पर ऑन डिमांड एग्जाम कराने की मांग कर सकेंगे। इन बदलावों के पीछे का उद्देश्य स्टूडेंट्स को महीनों तक बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी करने के मुकाबले उनकी समझ और उपलब्धि का आकलन करना है।

अब पढ़िए दो बार एग्जाम क्यों?

  • दो बार बोर्ड परीक्षाओं को लेकर कुछ तर्क भी दिए गए हैं। इसके मुताबिक इससे बच्चे अपनी तैयारियों का मूल्यांकन खुद कर सकेंगे।
  • उन्हें एक ही सब्जेक्ट या उससे जुड़े तथ्यों को सालभर याद रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसलिए किताबें भी तैयार कराई जा रही हैं।
  • इससे महीनों तक कोचिंग लेने या याद रखने के बजाय समझ और योग्यता का मूल्यांकन करने की दक्षता बढ़ेगी। विषयों की गहरी समझ और उसका व्यवहारिक कौशल सशक्त होगा।
  • छात्र तब तक उस विषय की परीक्षा दे सकेंगे, जिसमें वे अपना सर्वश्रेष्ठ नहीं दे पा रहे हैं। नए पैटर्न से उन्हें तैयारी के ज्यादा मौके मिलेंगे।

जुलाई 2020 में मंजूरी मिली थी
नई शिक्षा नीति को 29 जुलाई 2020 को इसे मंत्रिमंडल से मंजूरी मिली थी। इसमें शिक्षा नीति में समानता, गुणवत्ता जैसे कई मुद्दों पर ध्यान दिया गया है। सरकार ने नई शिक्षा नीति पर केंद्र और राज्य के सहयोग से जीडीपी का 6% हिस्सा खर्च करने का लक्ष्य रखा है। न्यू एजुकेशन पॉलिसी आने से पहले 34 साल पहले यानी 1986 में शिक्षा नीति बनाई गई थी। 2020 के पहले तक उसमें ही बदलाव किए जा रहे थे।

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