शिंदे सरकार ने अध्यादेश का ड्राफ्ट मराठा आंदोलनकारियों को भेजा: मनोज जरांगे बोले- आंदोलन खत्म कर रहे हैं, हमारी मांगें मान ली गईं

मुंबई10 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

मनोज ने 20 जनवरी को जालना से मुंबई तक के लिए पदयात्रा शुरू की थी। 26 जनवरी को पदयात्रा मुंबई पहुंचने वाली थी। जरांगे ने मुंबई के आजाद मैदान में भूख हड़ताल करने की चेतावनी दी थी।

महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार ने मराठा आरक्षण के मुद्दे पर आंदोलनकारियों की मांगें मान ली हैं। मराठा आंदोलन के नेता म​​​नोज जरांगे पाटिल ने शुक्रवार (26 जनवरी) देर रात कहा कि ‘मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अच्छा काम किया है। हमारी अपील मान ली गई है। हमारा विरोध अब खत्म हुआ। हम सरकार का लेटर स्वीकार करेंगे। मैं शनिवार (27 जनवरी) को सीएम के हाथ जूस पीऊंगा’

दरअसल, शुक्रवार को जरांगे ने शिंदे सरकार को शनिवार सुबह 11 बजे तक का अल्टीमेटम दिया था। उन्होंने कहा था- अगर 11 बजे तक आरक्षण का अध्यादेश जारी नहीं किया गया, तो वे 12 बजे मुंबई के आजाद मैदान पहुंचकर आंदोलन करेंगे। इसके बाद शिंदे सरकार ने देर रात अध्यादेश का ड्राफ्ट जरांगे के पास भेजा। इसमें जरांगे की मांगों का जिक्र है।

जरांगे का विरोध मार्च शुक्रवार को नवी मुंबई के वाशी पहुंचा था। महाराष्ट्र सरकार के अधिकारियों की टीम रात करीब 10 बजे वाशी पहुंची और जरांगे से मुलाकात की। उन्होंने CM एकनाथ शिंदे से जरांगे की ​​​फोन पर बातचीत कराई। इसके बाद जरांगे ने कहा कि राज्य सरकार ने उन्हें कुछ जरूरी दस्तावेज सौंपे हैं।

मनोज जरांगे ने 20 जनवरी को जालना से मुंबई तक के लिए पदयात्रा शुरू की थी।

मनोज जरांगे ने 20 जनवरी को जालना से मुंबई तक के लिए पदयात्रा शुरू की थी।

जरांगे राज्य के मराठाओं को कुनबी समाज में तत्काल शामिल कराने मांग कर रहे हैं।

जरांगे राज्य के मराठाओं को कुनबी समाज में तत्काल शामिल कराने मांग कर रहे हैं।

जरांगे ने कहा था कि वे मुंबई से आरक्षण की मांग पूरा करवाकर ही लौटेंगे।

जरांगे ने कहा था कि वे मुंबई से आरक्षण की मांग पूरा करवाकर ही लौटेंगे।

मनोज ने 20 जनवरी को जालना से मुंबई तक के लिए पदयात्रा शुरू की थी। 26 जनवरी को पदयात्रा मुंबई पहुंचने वाली थी। जरांगे ने मुंबई के आजाद मैदान में भूख हड़ताल करने की चेतावनी दी थी।

जरांगे राज्य के मराठाओं को कुनबी समाज में तत्काल शामिल कराने मांग कर रहे हैं। इससे पूरी कम्युनिटी OBC (अन्य पिछड़ा वर्ग) की श्रेणी में आ जाएगी और आरक्षण का लाभ ले सकेगी।

ग्राफिक्स के जरिए जरांगे के विरोध प्रदर्शन का रूट समझिए ….

पिछले आंदोलन में 29 लोगों ने सुसाइड की थी
इससे पहले 25 अक्टूबर 2023 को मनोज जरांगे ने जालना जिले के अंतरवाली सराटी गांव में भूख हड़ताल शुरू की थी। मांग वही, मराठा समुदाय को OBC का दर्जा देकर आरक्षण दिया जाए। 9 दिनों में आंदोलन से जुड़े 29 लोगों ने सुसाइड कर लिया।

इसके बाद राज्य सरकार के 4 मंत्रियों धनंजय मुंडे, संदीपान भुमरे, अतुल सावे, उदय सामंत ने जरांगे से मुलाकात कर भूख हड़ताल खत्म करने की अपील की थी। उन्होंने स्थायी मराठा आरक्षण देने का वादा किया। इसके बाद 2 नवंबर 2023 को मनोज जरांगे ने अनशन खत्म कर दिया। साथ ही सरकार को 2 जनवरी 2024 तक का समय दिया।

मंत्रियों ने आरक्षण देने का वादा किया था
महाराष्ट्र के कृषि मंत्री धनंजय मुंडे ने 2 नवंबर 2023 को कहा था कि विधानमंडल सत्र 7 दिसंबर 2023 से शुरू होगा। इस सत्र में 8 दिसंबर को मराठा आरक्षण पर चर्चा की जाएगी। जरांगे ने कहा था कि महाराष्ट्र सरकार ने मराठा समुदाय को स्थायी आरक्षण देने का वादा किया है। उन्होंने इसके लिए कुछ समय मांगा है। हम सबकी दिवाली मीठी बनाने के लिए सरकार को समय देंगे। अगर सरकार तय समय में आरक्षण नहीं देगी तो 2024 में हम फिर मुंबई में आंदोलन करेंगे।

2 नवंबर 2023 को राज्य सरकार के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात करने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस करते मनोज जरांगे।

2 नवंबर 2023 को राज्य सरकार के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात करने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस करते मनोज जरांगे।

सर्वदलीय बैठक में फैसला- मराठा आरक्षण मिलना चाहिए
महाराष्ट्र में CM एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में 1 नवंबर 2023 को सर्वदलीय बैठक में सभी दलों ने सहमति जताई कि मराठा समुदाय को आरक्षण मिलना ही चाहिए। इस बैठक में शरद पवार समेत 32 पार्टियों के नेता शामिल हुए थे।

बैठक के बाद CM शिंदे ने कहा था- यह निर्णय लिया गया है कि आरक्षण कानून के दायरे में और अन्य समुदाय के साथ अन्याय किए बिना होना चाहिए। आरक्षण के लिए अनशन पर बैठे मनोज जरांगे से अपील है कि वो अनशन खत्म करें। हिंसा ठीक नहीं है।

ओबीसी समुदाय मराठाओं को कुनबी सर्टिफिकेट देने के खिलाफ
मराठा समुदाय को अलग से आरक्षण देने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया। इसके बाद मनोज जरांगे पाटिल समेत कई लोग दावा कर रहे हैं कि मराठा समाज मूल रूप से कुनबी जाति से है। यानी मराठा समुदाय को कुनबी प्रमाणपत्र दिया जाता है तो आरक्षण मिलने पर उसे ओबीसी कोटे से लाभ मिल जाएगा।

फिलहाल राज्य में ओबीसी कोटे से आरक्षण 19 फीसदी है। ओबीसी समुदाय के संगठनों का मानना ​​है कि अगर इसमें मराठा समुदाय को भी शामिल किया गया तो आरक्षण का फायदा नए लोगों को मिलेगा। हमारा विरोध मराठा आरक्षण से नहीं बल्कि उन्हें ओबीसी से आरक्षण देने को लेकर है।

खबरें और भी हैं…