शरद बोले- मैंने 1978 में बगावत नहीं की थी: अजित ने कहा था- मैंने जो 60 की उम्र में किया, आपने 38 में किया था

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मुंबई1 मिनट पहले

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शरद पवार 38 साल की उम्र में बगावत करके मुख्यमंत्री बने थे। उन्होंने कहा मैंने बगावत नहीं की थी। आपसी सहमति से फैसला लिया था।

NCP चीफ शरद पवार ने 1978 में वसंतदादा पाटिल की सरकार गिराकर खुद मुख्यमंत्री बनने के कदम को सही बताया है। उन्होंने कहा- मैंने जो किया था वह बगावत नहीं थी। आपसी सहमति से फैसला लिया था।

दरअसल, महाराष्ट्र के डिप्टी CM अजित पवार ने रविवार (24 दिसंबर) को बारामती में शरद पवार पर हमला किया था। उन्होंने कहा था- वसंतदादा एक अच्छे नेता थे। लेकिन उन्हें दरकिनार किया गया और जनता पार्टी के साथ हाथ मिलाया गया। ऐसा नहीं है कि पहले किसी ने वह कदम नहीं उठाया है जो मैंने उठाया है। मैंने तो 60 साल की उम्र पार करने के बाद ऐसा फैसला लिया, इसलिए हर किसी को मेरे इस कदम को समझने की जरूरत है।

शरद पवार ने जवाब देते हुए सोमवार को कहा- मैंने कोई धोखा नहीं दिया था। सब लोगों ने बैठकर ये फैसला किया था। इसलिए शिकायत करने का कोई सवाल ही खड़ा नहीं होता।

1978 में महाराष्ट्र के तत्कालीन गवर्नर सादिक अली शरद पवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाते हुए।

1978 में महाराष्ट्र के तत्कालीन गवर्नर सादिक अली शरद पवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाते हुए।

INDIA के PM कैंडिडेट पर क्या बोले शरद पवार?
INDIA से पीएम कैंडिडेट को लेकर पूछे सवाल पर शरद पवार ने कहा- 1977 में इमरजेंसी के बाद भी कोई पीएम का चेहरा प्रोजेक्ट नहीं किया गया था। चुनाव के बाद मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने थे। अगर लोगों का मूड बदलाव का है तो बदलाव होगा।

सर्वे में महाविकास अघाड़ी सरकार की एज होने पर उन्होंने कहा- सर्वे सिर्फ सिर्फ संकेत देते हैं। सर्वे के आधार पर किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुंचा जा सकता।

1978 में कैसे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने थे शरद पवार?
साल 1977 में आपातकाल के बाद कांग्रेस दो गुटों इंदिरा की कांग्रेस (आई) और रेड्‌डी की कांग्रेस (यू) में बंट गई थी। शरद पवार कांग्रेस (यू) में शामिल हो गए थे।

1978 में जब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव हुए तो दोनों कांग्रेस अलग-अलग लड़ीं। जनता पार्टी कुल 288 में से 99 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी, लेकिन बहुमत से पीछे रह गई। इंदिरा की कांग्रेस को 62 और रेड्‌डी कांग्रेस को 69 सीटें मिलीं।

चुनाव के बाद दोनों कांग्रेस ने साथ मिलकर सरकार बनाई और मुख्यमंत्री वसंतदादा पाटिल बने। सरकार बने हुए साढ़े चार महीने ही हुए थे कि शरद पवार ने 40 विधायकों के साथ बगावत कर दी। इससे गठबंधन सरकार गिर गई। शरद पवार की महत्वाकांक्षा CM बनने की थी। उन्होंने 18 जुलाई 1978 में ‘प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक पार्टी’ की सरकार बनाई और महाराष्ट्र के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बने।

हालांकि ये सरकार ज्यादा दिन नहीं चल सकी। जनता पार्टी में फूट पड़ गई। इंदिरा गांधी की सिफारिश पर डेढ़ साल बाद ही महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया और पवार की पहली सरकार को बर्खास्त कर दिया गया।

अजित पवार भी बगावत करके ही डिप्टी CM बने
जुलाई 2023 में अजित NCP के 40 विधायकों के साथ महाराष्ट्र की शिंदे सरकार ​में ​​​​​शामिल हो गए थे। गठबंधन सरकार में उन्हें डिप्टी CM भी बनाया गया।

शरद से बगावत के बाद अजित ने दावा किया था कि NCP का बहुमत उनके पास है। इसलिए पार्टी के नाम और सिंबल पर उनका अधिकार है।

अजित ने 30 जून को चुनाव आयोग में याचिका दायर कर NCP पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह पर दावा किया था।

दूसरी तरफ शरद पवार ने पार्टी छोड़कर जाने वाले 9 मंत्रियों समेत 31 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की है।

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