लेफ्टिनेंट जनरल कलिता बोले- मणिपुर हिंसा की दो बड़ी वजह: कुकी-मैतेई के पास बड़ी संख्या में हथियार और म्यांमार में अस्थिरता से संघर्ष फैला

कोलकाताएक मिनट पहले

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पूर्वी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राणा प्रताप कलिता ने शनिवार (16 दिसंबर) को कहा कि मणिपुर में कुकी और मैतेई में बड़ी संख्या में हथियारी की मौजूदगी के साथ-साथ पड़ोसी म्यांमार में अस्थिरता हिंसा की सबसे बड़ी वजह है।

उन्होंने कहा कि भारतीय सेना और असम राइफल्स ने राज्य पुलिस और CAPF के साथ मिलकर मणिपुर हिंसा को काफी हद तक कंट्रोल कर लिया है। हालांकि, राज्य में अभी भी हिंसा की कुछ छिटपुट घटनाएं होने की संभावना है।

कलिता ने कहा- केंद्र और राज्य सरकारें कुकी और मैतेई समुदाय के बीच शांति और सुलह कराने की कोशिश कर रही है। लेकिन दो समुदाय के बीच कई मुद्दे हैं, जिसके समाधान के लिए कोई तय समय सीमा बताना मुश्किल है।

मणिपुर में जातीय हिंसा का शिकार लोगों के शव 14 दिसंबर को इंफाल लाए गए।

मणिपुर में जातीय हिंसा का शिकार लोगों के शव 14 दिसंबर को इंफाल लाए गए।

8 महीने बाद 19 लोगों का अंतिम संस्कार हुआ
मणिपुर हिंसा में जान गंवाने वाले कुकी समुदाय के 19 लोगों के शवों का 15 दिसंबर को कांगपोकपी में अंतिम संस्कार हुआ। इस दौरान उनके रिश्तेदार मौजूद रहे। ये शव पिछले 8 महीने से मोर्चरी में रखे थे।

दरअसल, 14 दिसंबर को इंफाल घाटी में जवाहरलाल नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज और रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के मुर्दाघर से 60 शव प्लेन से चुराचांदपुर और कांगपोकपी लाए गए थे। इनमें से 19 लोगों के शवों का अंतिम संस्कार कर दिया गया, जबकि 41 शवों को चुराचांदपुर भेजा गया।

इन 41 शवों का चुराचांदपुर जिला अस्पताल के मोर्चरी में रखे 46 शवों के साथ 20 दिसंबर को अंतिम संस्कार किया जाएगा।

मणिपुर के मौजूदा हालात…

  • मणिपुर में जिलों से लेकर सरकारी दफ्तर तक सब कुछ दो समुदायों में बंट चुके हैं। पहले 16 जिलों में 34 लाख की आबादी में मैतेई-कुकी साथ रहते थे, लेकिन अब कुकी बहुल चुराचांदपुर, टेंग्नौपाल, कांगपोकपी, थाइजॉल, चांदेल में कोई भी मैतेई नहीं बचा है। वहीं मैतेई बहुल इंफाल वेस्ट, ईस्ट, विष्णुपुर, थोउबल, काकचिंग, कप्सिन से कुकी चले गए हैं।
  • कुकी इलाकों के अस्पतालों को मैतई डॉक्टर छोड़कर चले गए हैं। इससे यहां इलाज बंद हो गया। अब कुकी डॉक्टर कमान संभाल रहे हैं। सप्लाई नहीं होने से यहां मरहम-पट्‌टी, दवाओं की भारी कमी है।
  • सबसे ज्यादा असर स्कूलों पर हुआ है। 12 हजार 104 स्कूली बच्चों का भविष्य अटक गया है। ये बच्चे 349 राहत कैंपों में रह रहे हैं। सुरक्षाबलों की निगरानी में स्कूल 8 घंटे की जगह 3-5 घंटे ही लग रहे हैं। राज्य में 40 हजार से ज्यादा जवान तैनात हैं।
  • हिंसा के बाद से अब तक 6523 FIR दर्ज हुई हैं। इनमें ज्यादातर शून्य FIR हैं। इनमें 5107 मामले आगजनी, 71 हत्याओं के हैं। सीबीआई की 53 अधिकारियों की एक टीम 20 मामले देख रही है।

4 पॉइंट्स में जानिए क्या है मणिपुर हिंसा की वजह

मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।

कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।

मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।

नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।

सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।

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मणिपुर में 8 महीने बाद 19 लोगों का अंतिम संस्कार:20 दिसंबर को 87 शव दफनाए जाएंगे

मणिपुर हिंसा में जान गंवाने वाले कुकी समुदाय के 19 लोगों के शवों का शुक्रवार (15 दिसंबर) को कांगपोकपी में अंतिम संस्कार हुआ। इस दौरान उनके रिश्तेदार मौजूद रहे। ये शव पिछले 8 महीने से मोर्चरी में रखे थे।

दरअसल, 14 दिसंबर को इंफाल घाटी में जवाहरलाल नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज और रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के मुर्दाघर से 60 शव प्लेन से चुराचांदपुर और कांगपोकपी लाए गए थे। पूरी खबर पढ़ें…

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