रामलला की मूर्ति बनने की तस्वीर: मूर्तिकार अरुणने शेयर की, लिखा- स्पर्श से भगवान को महसूस करना अलग ही अनुभव देगा

बेंगलुरु1 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

अरुण योगीराज ​​​​​ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर मूर्ति तराशते वक्त की तस्वीर शेयर की है।

रामलला की मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार अरुण योगीराज ने शनिवार (24 फरवरी) को भगवान राम की एक अनदेखी तस्वीर शेयर की है। यह तस्वीर तब की है, जब वे रामलला की मूर्ति को गढ़ रहे थे। फोटो शेयर करते हुए मूर्तिकार योगीराज ने लिखा मूर्ति तराशते समय की तस्वीर।

उन्होंने आगे लिखा- सभी बारीकियों को ध्यान में रखकर मूर्ति तराशते हुए मैं आश्वस्त था कि हमारे संवेदनशील स्पर्श के जरिए रामलला को महसूस करने का अनुभव अलग होने वाला है। इस तस्वीर में अरुण योगीराज ने रामलला के चेहरे पर हाथ रखा हुआ है।

सोशल मीडिया पर लोग अरुण योगीराज के पोस्ट की सराहना कर रहे हैं। मूर्तिकार की पोस्ट पर एक यूजर ने कमेंट किया- बहुत बढ़िया काम, आप पर मुझे बहुत गर्व है। वहीं एक अन्य यूजर ने लिखा कि यह बहुत सुंदर है।

योगीराज ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर यह तस्वीर साझा की।

योगीराज ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर यह तस्वीर साझा की।

15 दिन पहले योगीराज ने सोने-चांदी के हथौड़े-छेनी की तस्वीर शेयर की थी
10 फरवरी को अरुण योगीराज ने उस हथौड़े और छेनी की तस्वीर सार्वजनिक की थी, जिससे उन्होंने रामलला की आंखें तराशी थीं। योगीराज ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया- ‘इस चांदी के हथौड़े और सोने की छेनी से मैंने रामलला की दिव्य आंखें बनाईं। सोचा इसे सबके साथ साझा करूं।’

योगीराज ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर यह तस्वीर साझा की।

योगीराज ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर यह तस्वीर साझा की।

22 जनवरी को अयोध्या के राम मंदिर में हुई थी रामलला की प्रतिमा में प्राण प्रतिष्ठा
अयोध्या में 22 जनवरी को अरुण की बनाई रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी। इससे 2 दिन पहले 20 जनवरी को रामलला की पहली तस्वीर सामने आई थी। हालांकि, तब कपड़े से उनकी आंखें ढंकी थीं। प्राण प्रतिष्ठा के दौरान रामलला की आंखें पहली बार दिखी थीं। इसे बाद लोगों ने अरुण योगीराज की खूब तारीफ की। योगीराज ने काले रंग के एक ही पत्थर से पूरी प्रतिमा बनाई है। पत्थर को कहीं से जोड़ा नहीं गया है।

अयोध्या के राम मंदिर में स्थापित रामलला की प्रतिमा अरुण योगिराज ने बनाई है

अयोध्या के राम मंदिर में स्थापित रामलला की प्रतिमा अरुण योगिराज ने बनाई है

छोटे से गांव में मिले पत्थर से बनी रामलला की प्रतिमा
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य और उडुपी के संत विश्वप्रसन्ना तीर्थ स्वामी ने बताया कि अरुण योगीराज ने रामलला की प्रतिमा को कर्नाटक के काले पत्थर से तैयार किया है। इसे करकला के नेल्लिकारू गांव से अयोध्या ले जाया गया। ये पत्थर पवित्र माना जाता है, इसलिए साउथ इंडिया में इसी से हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाई जाती हैं।

रामलला की 4.25 फीट ऊंची मूर्ति उनके 5 साल के बाल स्वरूप में हैं। रामलला को पत्थर से बने कमल पर विराजमान दिखाया गया है। मूर्ति पर विष्णु के 10 अवतार, ॐ, स्वास्तिक, शंख-चक्र भी मौजूद हैं।

PM मोदी भी कर चुके हैं योगी के काम की तारीफ

अरुण योगीराज ने इंडिया गेट पर स्‍थापित नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा भी बनाई है।

अरुण योगीराज ने इंडिया गेट पर स्‍थापित नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा भी बनाई है।

37 साल के अरुण योगीराज मैसूर महल के कलाकारों के परिवार से आते हैं। उन्होंने 2008 में मैसूर विश्वविद्यालय से MBA किया। फिर एक निजी कंपनी के लिए काम किया। इसके बाद उन्होंने प्रतिमा बनाने का काम शुरू किया। उन्हें बचपन से प्रतिमाएं बनाने का शौक था।

अरुण योगीराज ने ही जगदगुरु शंकराचार्य की भव्य प्रतिमा का निर्माण किया था, जिसे केदारनाथ में स्थापित किया गया है। इंडिया गेट पर 2022 में स्‍थापित नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा भी अरुण ने ही बनाई है। PM मोदी भी उनके काम की तारीफ कर चुके हैं।

तीन प्रतिमाओं में किया गया चयन
अयोध्या राम मंदिर के गर्भगृह के लिए रामलला की 3 प्रतिमा बनवाई गई थीं। तीनों की लंबाई 51-51 इंच है। तीनों प्रतिमाओं में कमल आसन पर विराजमान रामलला के 5 साल के बाल स्वरूप को दर्शाया गया है।

राम मंदिर के गर्भगृह में स्थापित होने वाली प्रतिमा का चयन 31 दिसंबर को किया गया था। 29 दिसंबर को हुई बैठक के बाद श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सभी सदस्यों ने 3 प्रतिमाओं पर अपना मत लिखित रूप से महासचिव चंपत राय को दे दिया था।

अरुण योगीराज के अलावा दो और प्रतिमाएं बेंगलुरु के गणेश भट्ट और राजस्थान के सत्यनारायण पांडेय ने तैयार किया है। सत्यनारायण पांडेय की बनाई प्रतिमा संगमरमर की है। इन दोनों प्रतिमाओं को राम मंदिर में ही स्थापित किया जाना है।

ये खबरें भी पढ़े…

रामलला की मूर्ति तुलसीदास के बाल-राम जैसी, श्रीराम मंदिर की मूर्ति का सौंदर्य और बनावट रामचरित मानस की 5 चौपाइयों में

तुलसीदास की रामचरित मानस के बालकांड में भगवान राम के बाल स्वरूप का वर्णन है। उसमें राम के श्याम वर्ण, मुस्कान और शरीर के बाकी अंगों की सुंदर व्याख्या की गई है। अयोध्या के राम मंदिर में लगाए गए कृष्णशिला से बनी श्रीरामलला की मूर्ति बहुत हद तक वैसी ही है। पूरी खबर पढ़े

रामलला की दो और प्रतिमाएं सामने आईं: एक श्यामल रंग की और दूसरी सफेद संगमरमर की

अयोध्या के राम मंदिर में बालक राम यानी रामलला विराजमान हो चुके हैं। इस बीच राम मंदिर के लिए बनाई गई दूसरी और तीसरी मूर्ति भी सामने आई है। दूसरी मूर्ति श्यामल रंग से बनी है, जबकि तीसरी मूर्ति मकराना संगमरमर की है। तीनों की लंबाई 51-51 इंच की है।

तीनों प्रतिमाओं में कमल आसन पर भगवान को विराजित दिखाया है। भगवान के 5 साल के बाल स्वरूप को तीनों में ही दर्शाया गया है। रामलला के अलावा भगवान राम की दोनों प्रतिमाओं को राम मंदिर में ही स्थापित किया जाना है। पूरी खबर पढ़े

खबरें और भी हैं…