रामलला की नई-पुरानी मूर्तियों पर विवाद: मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास बोले- 20 गज दूरी से पुरानी मूर्तियों का दर्शन मुश्किल; इस पर राजनीति गलत

अयोध्या2 घंटे पहलेलेखक: देवांशु तिवारी

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राम मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास बताते हैं कि बावरी विध्वंस के दौरान उन्होंने राम लाल की मूर्ति को नुकसान होने से बचाया था।

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के 3 जनवरी 2023 को भव्य श्रीराम मंदिर पर दिए बयान को लेकर विवाद खड़ा हो गया है।

इंदौर में उन्होंने कहा था कि अयोध्या में बन रहे राम मंदिर के लिए नई मूर्तियां बनवाने की क्या जरूरत आ पड़ी? रामलला की मुख्य मूर्ति कहां है? उन्हें क्यों नहीं स्थापित किया जा रहा है, जबकि पुरानी मूर्तियों को लेकर ही अयोध्या जन्मभूमि का पूरा विवाद है।

दिग्विजय सिंह के इन सवालों का राम मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने दैनिक भास्कर के साथ खास बातचीत में जवाब दिया है।

अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के लिए तैयार है।

अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के लिए तैयार है।

पहला सवाल: दिग्विजय सिंह के के पहले सवाल रामलला की मुख्य मूर्ति कहां है?
इसका जवाब देते हुए सत्येंद्र दास ने कहा- रामलला पहले से ही अपने अपने बालक रूप में अस्थाई मंदिर में तीनों भाइयों के साथ विराजमान हैं। इस मंदिर में चांदी के सिंहासन पर विराजमान रामलला प्रतिदिन आकर्षण रंग-बिरंगे वस्त्र में भक्तों को दर्शन देते हैं। 22 जनवरी को जब प्रधानमंत्री राम मंदिर का उद्घाटन करेंगे तब रामलला को मंदिर के गर्भगृह में विराजित कर दिया जाएगा।

दूसरा सवाल: रामलला पहले से हैं तब नई मूर्तियों की जरूरत क्यों पड़ी?
इसके जवाब में सत्येंद्र दास बोले- अभी जिन मूर्तियों की पूजा हो रही है, वह आपदाकाल में प्रकट हुई बहुत छोटी मूर्तियां हैं। आकार में छोटी होने के कारण जब इन्हें गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा तो 20 गज की दूरी से लोग मूर्तियों का दर्शन नहीं कर पाएंगे।

इसलिए ट्रस्ट ने यह तय किया है कि मंदिर में पुरानी रामलला की मूर्ति के साथ बड़े आकार की मूर्तियां स्थापित की जाएंगी। जो बड़ी मूर्ति गर्भगृह में लगेगी वह 5 साल के बालक के समान बड़ी होगी। लोग उनके आसानी से दर्शन कर पाएंगे।

तीसरा सवाल: रामलला अस्थाई मंदिर में विराजमान है उनकी चर्चा से ज्यादा नई मूर्तियों की बातें क्यों हो रही है?
इस सवाल के जवाब में सत्येंद्र दास ने कहा- पुरानी मूर्तियों की पूजा 23 दिसंबर 1949 से शुरू हुई और आज तक हो रही है। राम मंदिर का केस इन्हीं मूर्तियों के नाम पर लड़ा गया। जब राम मंदिर को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया तो पीठ ने यह माना कि जमीन राम लला विराजमान की ही है और फैसला उन्हीं के हक में आया।

उन्होंने आगे कहा कि 22 जनवरी की पूजा के बाद गर्भगृह में सबसे पहली पुरानी वाली मूर्तियां हीं विराजमान होंगी। इसलिए इन्हें लेकर राजनीति करना ठीक नहीं है।

जब बाबरी विध्वंस हुआ तो मैं रामलला को बचाने में लगा था

सत्येंद्र दास बताते हैं कि जब 6 दिसंबर 1992 को बाबरी विध्वंस हुआ तो मैं वहीं था। सुबह 11 बज रहे थे। मंच लगा हुआ था। लाउड स्पीकर लगा था। नेताओं ने कहा पुजारी जी रामलला को भोग लगा दें और पर्दा बंद कर दें। मैंने भोग लगाकर पर्दा लगा दिया। एक दिन पहले ही कार सेवकों से कहा गया था कि आप लोग सरयू से जल ले आएं। वहां एक चबूतरा बनाया गया था।

ऐलान किया गया कि सभी लोग चबूतरे पर पानी छोड़ें और धोएं, लेकिन जो नवयुवक थे उन्होंने कहा हम यहां पानी से धोने नही आए हैं। हम लोग यह कार सेवा नही करेंगे। उसके बाद नारे लगने लगे। सारे नवयुवक उत्साहित थे। वे बैरिकेडिंग तोड़ कर विवादित ढांचे पर पहुंच गए और तोड़ना शुरू कर दिया। इस बीच हम रामलला को बचाने में लग गए कि उन्हें कोई नुकसान न हो। हम रामलला को उठाकर अलग चले गए। जहां उन्हें कोई नुकसान नहीं हुआ।

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