मुर्दे जलते हैं…तब घर में खाना बनता है: बचपन में चिता की लकड़ी और श्मशान की राख से खेलते थे; लाश जलाते वक्त हाथ-पैर झुलस जाते हैं

19 मिनट पहलेलेखक: रक्षा सिंह

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वाराणसी… इसके नसों जैसे बिछे शोर मचाते हुए संकरे रास्ते। यहां से होते हुए काशी विश्वनाथ मंदिर से महज 500 मीटर की दूरी पर है मणिकर्णिका घाट। इसकी पहचान मौत से है। आप जैसे ही यहां पहुंचेंगे, एक खास गंध आपका हाथ थाम लेगी। यह है मौत की गंध। वह जगह, जहां 24 घंटे लाशें जलती रहती हैं। गंगा के इस पार लाशें और उस पार से आती सियारों की आवाजें।

किसी भूतिया फिल्म के सीन जैसी खौफनाक जगह पर क्या कोई अपनी