मिडिल-ईस्ट में फर्जी GPS सिग्नल से विमान भटक रहे: भारतीय एयरलाइंस को DGCA की एडवाइजरी, इराक-अजरबैजान में खतरा ज्यादा

नई दिल्ली2 घंटे पहले

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सितंबर 2023 में फर्जी GPS सिग्नल की वजह से एक फ्लाइट बिना इजाजत ईरान के एयरस्पेस में घुस गई थी। -सिम्बॉलिक इमेज

मिडिल-ईस्ट में फर्जी GPS सिग्नल भेजकर विमानों को भटकाए जाने की खबरें हैं। इसको लेकर डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) ने सभी भारतीय एयरलाइंस को एडवाइजरी जारी की है।

दरअसल, कुछ महीनों से खबरें सामने आ रही थीं कि मिडिल-ईस्ट में कॉमर्शियल फ्लाइट्स और जेट्स को फर्जी GPS सिग्नल भेजा जा रहा है। ये सिग्नल जमीन से भेजे गए। ये विमान के नेविगेशन सिस्टम में घुसपैठ करने, GPS सिग्नलों को ओवरराइड करने और विमान को भटकाने के लिए काफी हैं।

पायलट्स, फ्लाइट डिस्पैचर, शेड्यूलर्स और कंट्रोलर्स के एक ग्रुप- OpsGroup ने यह मुद्दा उठाया है। OpsGroup के मुताबिक, सितंबर 2023 में ईरान के पास कई कॉमर्शियल फ्लाइट्स के नैविगेशन सिस्टम खराब हो गए और एक फ्लाइट बिना इजाजत ईरान के एयरस्पेस में घुस गई थी।

OpsGroup ने यह तस्वीर जारी करते हुए बताया कि फर्जी GPS सिग्नल्स की वजह से एक फ्लाइट बिना इजाजत ईरान के एयरस्पेस में घुस गई थी।

OpsGroup ने यह तस्वीर जारी करते हुए बताया कि फर्जी GPS सिग्नल्स की वजह से एक फ्लाइट बिना इजाजत ईरान के एयरस्पेस में घुस गई थी।

फर्जी सिग्नल्स की वजह से विमान का इंटर्नल सिस्टम बिगड़ा
एविएशन की भाषा में इस तरह की घटनाओं को एयरक्राफ्ट स्पूफिंग कहते हैं। ताजा मामले को ऐसे समझें- हर फ्लाइट आसमान में GPS सिग्नल्स के माध्यम से रास्ते को नैविगेट करती है। मिडिल-ईस्ट से गुजरने वाली फ्लाइट्स को गलत या फर्जी GPS सिग्नल भेजे गए।

इन सिग्नल्स की वजह से विमान के इंटर्नल सिस्टम को लगता है कि वे अपने निर्धारित मार्ग से मीलों दूर उड़ रहे हैं। यह सिग्नल कई बार इतने मजबूत होते हैं कि ये एयरक्राफ्ट सिस्टम की आंतरिक सुरक्षा में सेंध लगा देते हैं और विमान अपने रास्ते से भटक जाता है। इसके चलते चंद मिनटों में विमान का इनर्शियल रिफरेंस सिस्टम (IRS) अस्थिर हो जाता है और विमान अपनी नेविगेशन क्षमता खो देता है।

इराक में खतरा ज्यादा
OpsGroup के मुताबिक, स्पूफिंग का खतरा सबसे ज्यादा उत्तरी इराक और अजरबैजान में है। यहां फर्जी GPS सिग्नल भेजकर विमानों को भटकाए जाने की कई घटनाएं सामने आई हैं। हालांकि, ये फर्जी सिग्नल कौन, कहां से भेज रहा है इसकी जानकारी नहीं मिल सकी है। माना जा रहा है कि इजराइल-हमास जंग के चलते इलाके में जो मिलिट्री इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम लगाए गए हैं उसकी वजह से सिग्नल्स जाम हो रहे हैं और स्पूफिंग हो रही है।

OpsGroup ने फोटो जारी करते हुए एयरक्राफ्ट स्पूफिंग से प्रभावित इलाकों की जानकारी दी।

OpsGroup ने फोटो जारी करते हुए एयरक्राफ्ट स्पूफिंग से प्रभावित इलाकों की जानकारी दी।

नेविगेशन सिस्टम को जाम होने से रोकने के रास्ते ढूंढ रहे
DGCA ने एडवाइजरी जारी करते हुए कहा- एविएशन इंडस्ट्री नए खतरों और GNSS (ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम) जैमिंग और स्पूफिंग की रिपोर्टों के कारण अनिश्चितताओं से जूझ रही है। ये खतरनाक हो सकता है। नेविगेशन सिस्टम को जाम होने से रोकने के रास्ते ढूंढे जा रहे हैं।

विमान के नैविगेशन सिस्टम को समझिए…
विमान उड़ान भरते समय GPS सिग्नल के जरिये अपना रास्ता तय करता है। ये सिग्नल विमान के नेविगेशन सिस्टम को भेजे जाते हैं।

नैविगेशन सिस्टम ऐसा इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम है जो पायलट को सभी उड़ान संबंधी जानकारी देता है। ये विमान के कॉकपिट में लगा होता है। यहीं पायलट्स बैठकर विमान को ऑपरेट कर रहे होते हैं। नेविगेशन सिस्टम में ऑन-बोर्ड एयरक्राफ्ट सिस्टम और रेडियो सहायता दोनों शामिल हैं।

ऑन-बोर्ड एयरक्राफ्ट सिस्टम 3 तरह के होते हैं। ये ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS), इनर्शियल रिफरेंस सिस्टम (IRS) और फ्लाइट मैनेजमेंट सिस्टम (FMS) हैं।

  • GNSS पायलट को विमान के कोऑर्डिनेट, स्पीड, एल्टिट्यूड, रूट की जानकारी देता है। इसके लिए वो GPS का इस्तेमाल करता है।
  • IRS ऐसा सिस्टम है जिसमें उड़ान के लिए बाहरी डेटा की जरूरत नहीं होती है। उड़ान भरने से पहले पायलट को IRS में विमान की पोजिशन सेव करनी होती है।
  • FMS इस नेविगेशन सिस्टम को विमान का सबसे अहम सिस्टम माना जा सकता है। ऑटो पायलट का कॉन्फिगरेशन, एयर ट्रैफिक कंट्रोलर ने जो जानकारी दी है उसका कॉन्फिगरेशन, ईंधन की खपत कम करने से जुड़ी जानकारी पर इसी सिस्टम की मदद से काम किया जाता है।

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