माथे पर तिलक…हाथ में कलावा इसलिए सीने में गोली मारी: ISIS के 2 आतंकियों ने बंदूक टेस्टिंग के लिए प्रिंसिपल को मार डाला था, सजा का ऐलान आज

26 मिनट पहलेलेखक: देवांशु तिवारी

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कानपुर शहर से 10 किलोमीटर दूर पड़ता है विष्णुपुरी इलाका। यहां रहने वाले रमेश बाबू शुक्ला को लोग उनके नाम से कम ‘मास्टर साहब’ से ज्यादा जानते थे। रमेश जाजमऊ के आत्म प्रकाश ब्रह्मचारी जूनियर हाईस्कूल के प्रिंसिपल थे। काम से इतनी दिलचस्पी रखते कि रिटायरमेंट के बाद भी वह बच्चों को रोज पढ़ाने कॉलेज पहुंच जाते।

24 अक्टूबर 2016…शाम का वक्त। रमेश छुट्टी के बाद घर लौट रहे थे। वह अभी स्कूल से करीब 500 मीटर दूर ही पहुंचे होंगे कि सामने 2 लड़के खड़े दिखते हैं। वह अचानक साइकिल के आगे आ गए। रमेश हड़बड़ाकर साइकिल रोक देते हैं। वह कुछ समझ पाते इसके पहले ही दोनों ने पिस्टल निकाली रमेश के सीने में एक के बाद एक दो गोली दाग दी। रमेश जमीन पर गिरे और तड़पने लगे। कुछ देर बाद उनकी सांस थम गई।

गोली की तेज आवाज सुनकर वहां मौजूद लोग रमेश की तरफ भागे। लेकिन तब तक हमलावर वहां से फरार हो चुके थे। उधर, खून से लथपथ रमेश को किसी तरह पास के कांशीराम हॉस्पिटल पहुंचाया गया। जहां इलाज से पहले ही डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

सरेआम एक रिटायर्ड टीचर की मौत के बाद 7 महीने तक पुलिस हत्यारों को खोजती रही। कुछ पता नहीं चला। हत्या के 200 दिन बाद NIA यानी नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी ने बड़ा खुलासा करते हुए बताया- ‘रमेश बाबू को मारने वाले कोई आम अपराधी नहीं बल्कि ISIS के आतंकी आतिफ मुजफ्फर और मोहम्मद फैसल हैं।’

4 सितंबर 2023 को ATS/NIA की विशेष अदालत ने रमेश बाबू की हत्या के मामले में आतंकी आतिफ और फैसल को दोषी करार दिया है। आज सजा का ऐलान होना है। दोनों को सजा-ए-मौत मिलनी लगभग तय है। चलिए इस दर्दनाक हत्याकांड के पुराने पन्नों को पलटते हैं…

‘जब पापा को मारा गया…मैं स्कूल में था’

ये तस्वीर 24 अक्टूबर 2016 की है। जब पुलिस रमेश बाबू की हत्या वाले स्पॉट पर पहुंची थी।

ये तस्वीर 24 अक्टूबर 2016 की है। जब पुलिस रमेश बाबू की हत्या वाले स्पॉट पर पहुंची थी।

कानपुर के विष्णुपुरी मोहल्ले में रमेश बाबू का परिवार रहता है। पत्नी मीना शुक्ला और उनके 4 बच्चे हैं। बड़ा बेटा सौरभ शुक्ला गुरुग्राम में काम करता है। छोटा अक्षय शुक्ला घर पर रहकर मां का ख्याल रखता है। बड़ी बेटी पूजा की शादी हो चुकी है और छोटी आरती पढ़ाई कर रही है। रमेश की मौत के 7 साल बाद उनके परिवार के लिए वह जख्म आज भी हरा है।

रमेश के छोटे बेटे अक्षय कहते हैं, “जब पापा की हत्या हुई उस वक्त मैं कॉलेज में था। मुझे किसी ने बताया कि तुम्हारे पिता जी का एक्सीडेंट हो गया है। मैं जाजमऊ चौकी गया। वहां मुझे कांशीराम हॉस्पिटल जाने को कहा गया। जब मैं अस्पताल पहुंचा तो पापा की डेथ हो चुकी थी। डॉक्टरों ने बताया कि किसी ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी है।”

“पापा की मौत की खबर सुनते ही मां जोर-जोर से रोने लगीं। वह होश में नहीं थीं, उनका ख्याल मेरी बहन रख रही थी। देर रात मैंने चकेरी थाने में अज्ञात के खिलाफ FIR दर्ज करवाई। हत्यारों को पकड़ने के लिए पुलिस 7 महीने तक हाथ-पैर मारती रही। लेकिन कुछ नहीं हुआ।”

एक एनकाउंटर…जिसने खोली रमेश बाबू हत्याकांड की गुत्थी

सैफुल्लाह के पास से ISIS संगठन का झंडा और बम बनाने का सामान भी मिला।

सैफुल्लाह के पास से ISIS संगठन का झंडा और बम बनाने का सामान भी मिला।

पुलिस रमेश बाबू हत्याकांड की जांच में जुटी थी। तभी 7 मार्च 2017 को UP ATS को सूचना मिली कि उज्जैन ट्रेन ब्लास्ट की साजिश में शामिल ISIS के आतंकी लखनऊ और कानपुर में छिपे हैं।खुफिया इनपुट के आधार पर ATS ने काकोरी रोड के पास एक मकान को चारों तरफ से घेर लिया। इसी घर में ISIS आतंकी सैफुल्लाह छिपा हुआ था। ATS ने 5 घंटे तक चली कार्रवाई में सैफुल्लाह को एनकाउंटर में मार गिराया। उसके ठिकाने से भारी मात्रा में हथियार, गोला बारूद के साथ ISIS से जुड़े आपत्तिजनक सामान बरामद हुए।

सैफुल्लाह के मारे जाने के बाद ATS उसके नेटवर्क को खंगालने लगी। जांच में पता चला कि जो हथियार सैफुल्लाह के पास से बरामद हुए, उनका प्रयोग कानपुर के रिटायर्ड टीचर की हत्या समेत दूसरे कई मामलों में हुआ था। ये जानकारी पुलिस और NIA की इंवेस्टिगेशन में अहम साबित हुई। इसी के आधार पर NIA ने कानपुर के चकेरी से फैसल नाम के लड़के को गिरफ्तार किया। फिर उसकी निशानदेही पर आतिफ को दबोचा गया।

फैसल ने पूछताछ में चौंकाने वाला खुलासा किया। फैसल ने बताया कि उसके साथी आतिफ और सैफुल्लाह आतंकी संगठन ISIS से जुड़े हुए थे। तीनों ने उत्तर भारत में जिहाद फैलाने की कसम खाई थी। उन्हें नए हथियार ISIS नेटवर्क से मिले थे। जिनकी टेस्टिंग उन्होंने 24 अक्टूबर 2016 को राम बाबू शुक्ला की हत्या करके की। फैसल से पूछा गया कि जिहाद फैलाना था, तो रमेश बाबू को क्यों मारा? जवाब में उसने बताया- रमेश बाबू की पहचान उनके माथे पर तिलक और हाथ में कलावे से हो गई थी। इसलिए उन्हें मार डाला।

सैफुल्लाह के ठिकाने पर मिली रमेश की हत्या वाली पिस्टल

आतंकी सैफुल्लाह के ठिकाने पर ATS को ये सामान मिला। इसमें कई कीमती पिस्टल भी थीं।

आतंकी सैफुल्लाह के ठिकाने पर ATS को ये सामान मिला। इसमें कई कीमती पिस्टल भी थीं।

रमेश हत्याकांड में NIA के वकील कौशल किशोर शर्मा कहते हैं, “आतंकी सैफुल्लाह, आतिफ और फैसल ने पहले से ही रिटायर्ड प्रिंसिपल की हत्या की प्लानिंग कर रखी थी। सैफुल्लाह को ढेर करने के बाद जब ATS ने लखनऊ में उसके ठिकाने की तलाशी ली, तब वहां पर कई पिस्टल बरामद हुईं।”

“पिस्टल सहित बरामद किए गए दूसरे सामानों की फोरेंसिक जांच हुई, तो उसका कनेक्शन रमेश की हत्या से जुड़ा मिला। FSL रिपोर्ट में यह भी पता चला कि जिस दिन सैफुल्लाह का एनकाउंटर हुआ उसी दिन आतिफ और फैसल की लोकेशन जाजमऊ में ट्रैक हुई थी।”

“जब ATS ने आतिफ और फैसल को पकड़ा, तो उनके मोबाइल में रमेश बाबू की हत्या से संबंधित VIDEO भी मिले थे। इस बात का भी खुलासा हुआ कि दोनों आस-पास के इलाके में दर्श कार्यक्रम कर आतंकी विचारधारा का प्रचार-प्रसार कर रहे थे।”

हत्या के बाद आतंकियों ने सीरिया भेजा था VIDEO
रमेश के परिवार के मुताबिक, हत्या के बाद पुलिस ने आसपास के इलाकों से कई लोगों को जबरन पूछताछ के लिए उठा लिया। कई लोग तो ऐसे थे जिनसे रमेश बाबू की कभी बात भी नहीं हुई। पुलिस की कड़ाई से पूछताछ के बावजूद जब कोई सुराग हाथ नहीं लगा। जब आतिफ और फैसल पकड़े गए तो सभी लोगों को छोड़ दिया गया।

दोनों आतंकियों से पूछताछ के बाद यह खुलासा हुआ कि रमेश बाबू की हत्या एक आतंकी वारदात थी। आतंकियों ने बताया कि रमेश के कत्ल के बाद उन्होंने उसका एक VIDEO भी बनाया था, जिसे उन्होंने अपने आकाओं को सीरिया भेजा था। NIA जांच में पता चला कि आतिफ, फैसल और सैफुल्लाह तीनों ही ISIS के खुरासान मॉड्यूल गिरोह में शामिल थे।

लखनऊ में भी प्लांट किया गया था बम

ATS ने जिस ISIS आतंकी को लखनऊ में ढेर किया उसे IED बम बनाना आता था।

ATS ने जिस ISIS आतंकी को लखनऊ में ढेर किया उसे IED बम बनाना आता था।

ISIS की गतिविधियों में लिप्त आतंकियों ने बताया कि वह कानपुर में गंगा किनारे फायरिंग का अभ्यास करते थे। उनकी हिट लिस्ट में कानपुर के साथ-साथ लखनऊ भी था। एक बार उन्होंने लखनऊ में IED बम का ट्रायल करने की कोशिश की भी थी।

आतंकियों ने कबूला कि उन्होंने ऐशबाग रामलीला मैदान के पास एक बम कूड़ेदान में प्लांट किया था। यह वारदात सीरिया में बैठे आकाओं को खुश करने के मकसद से की गई थी। लेकिन उनका प्लान तब फेल हो गया जब प्लांट किया गया बम फटा नहीं था। पकड़े गए आतिफ ने बताया कि वह यूपी, एमपी, दिल्ली और हरियाणा में आतंकी मॉड्यूल के तहत सीरिया में बैठे ISIS लीडर्स से संपर्क में थे।

पत्नी बोलीं- आतंकियों को फांसी मिलने के बाद ही मिलेगी कलेजे को ठंडक
रमेश बाबू की पत्नी मीना शुक्ला बीते 7 साल से न्याय पाने की लड़ाई लड़ रही हैं। आतंकियों पर सजा का ऐलान होने से पहले जब मीडिया के लोगों ने उनसे सवाल पूछे, तो उनका गला भर आया। मीना फफक पड़ीं। रोते हुए बोलीं- मेरे पति ने पूरी जिंदगी किसी का कुछ नहीं बिगाड़ा। फिर भी उन्हें बेरहमी से मार डाला गया। मुझे विश्वास है कि कोर्ट हमारे पक्ष में फैसला सुनाएगा और आतंकियों को फांसी की सजा मिलेगी। दोनों के मरने के बाद ही कलेजे को ठंडक मिलेगी।

आतंकियों पर कुल 4 मुकदमे दर्ज हुए। पहला: उज्जैन ट्रेन ब्लास्ट की साजिश रचने, दूसरा: सैफुल्ला एनकाउंटर में पुलिस पर हमला, तीसरा: आतंकी साजिश रचने का और चौथा: रमेश शुक्ला हत्याकांड में केस शामिल थे। गृह मंत्रालय ने इन सभी मामलों की जांच NIA को सौंपी थी। NIA ने ही आतंकियों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट से दाखिल की थी, जिसमें 4 सितंबर को विशेष न्यायाधीश दिनेश कुमार मिश्रा ने रमेश के हत्यारों को दोषी करार दिया।

1 राज्य मंत्री समेत 29 गवाहों के दर्ज हुए बयान
साल 2017 से NIA की अदालत में कानपुर के रमेश बाबू हत्याकांड की सुनवाई चल रही है। सैफुल्लाह एनकाउंटर में मारा जा चुका है। 2 आतंकी हिरासत में हैं। इस दर्दनाक हत्याकांड में अहम सुराग जुटाने के लिए अदालत में 61 दस्तावेजों के साथ 64 गवाहों से पूछताछ की गई है।

NIA ने बताया- रमेश की हत्या के पीछे आतिफ और फैसल को दोषी पाया गया।

NIA ने बताया- रमेश की हत्या के पीछे आतिफ और फैसल को दोषी पाया गया।

फिलहाल, मामले में राज्य मंत्री असीम अरुण समेत 29 गवाहों के बयान दर्ज हुए हैं। दरअसल असीम अरुण उस समय ATS के IG थे। बाकी गवाहों में कानपुर के जाजमऊ में रहने वाले लोग हैं। इसमें ज्यादातर लोगों ने पकड़े गए अभियुक्तों के खिलाफ बयान दिए हैं। NIA कोर्ट इन्हीं गवाहों के बयान और सबूतों के आधार पर 11 सिंतबर को दोषियों को सजा सुनाएगी।

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जिस ट्रेन में महिला कॉन्स्टेबल को चाकू मारा…वहां पहुंचा भास्कर:

30 अगस्त शाम 7 बजकर 7 मिनट…महिला हेड कॉन्स्टेबल सुमित्रा पटेल फाफामऊ स्टेशन से सरयू एक्सप्रेस के जनरल डिब्बे में बैठीं। रात 11 बजकर 15 मिनट पर उन्हें अयोध्या कैंट में उतरना था। नहीं उतरीं। ट्रेन मनकापुर पहुंच गई। वहां से करीब 2 घंटे बाद ट्रेन वापस अयोध्या जंक्शन आई, तो सुमित्रा खून से लथपथ सीट के नीचे पड़ी थीं। होश नहीं था। चेहरे पर चाकू के गहरे निशान थे। सिर फटा हुआ था। शरीर पर खून से भीगी वर्दी थी। आनन-फानन में जीआरपी ने उन्हें ट्रेन से उतारा और हॉस्पिटल पहुंचाया।

आज 10 दिन बीत गए हैं। मगर, सुमित्रा का यह हाल करने वालों को पुलिस नहीं खोज पाई है। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने खुद संज्ञान लिया। एडीजी प्रशांत कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। लेकिन हमले का कारण नहीं खोज पाए। पढ़िए पूरी खबर…

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