महुआ बोलीं- घटिया तरीके से पूछताछ हुई: चेयरपर्सन सवाल पूछ नहीं, पढ़ रहे थे, किसी मेंबर को सवाल पूछने की अनुमति नहीं थी

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नई दिल्ली3 मिनट पहलेलेखक: अभिनंदन मिश्रा

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‘कैश फॉर क्वेश्चन’ के आरोपों का जवाब देने के लिए पश्चिम बंगाल से टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा लोकसभा की एथिक्स कमेटी के सामने 2 नवंबर को पेश हुई थीं। इसके कुछ घंटों बाद महुआ ने अपने ऊपर लगे आरोपों पर भास्कर से खुलकर बातचीत की। पढ़िए उनके जवाब…

सवाल- क्या आप बता सकती हैं कि एथिक्स कमेटी के संसदीय सहयोगियों से आपसे किस प्रकार के प्रश्न पूछे?
महुआ- उनके पूछताछ का रवैया बहुत ही घटिया तरीके का था। मुझे यह बताते हुए भी बुरा लग रहा है। इस तरह के प्रश्न पूछे गए। आप कहती हैं कि फलां व्यक्ति आपके एक खास मित्र है। वह कितना खास है और क्या उसकी पत्नी को पता है? फिर कमेटी के चेयरमैन ने उनकी पत्नी का नाम लिया, फिर मुझसे पूछा क्या उसकी पत्नी, पूर्व पत्नी जानती है कि वह आपको कितना प्रिय है? फिर उन्होंने पूछा- आप देर रात फोन पर बात करती हैं? देर रात आपके फोन कॉल का नेचर क्या है? आप कितनी बार बात करती हैं? क्या आप हमें 24 घंटे में अपने मोबाइल फोन का कॉल लॉग दे सकती हैं? क्या आप हमें देर रात की कॉल लॉग दे सकतीं हैं? फिर मुझसे पूछा गया कि मैं पिछले पांच साल में कहां-कहां गई? किसके किसके साथ रही? इस तरह की घटिया पूछताछ चल रही थी।

महुआ मोइत्रा का रॉटवीलर ब्रीड के कुत्ते के साथ यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। दावा किया गया था कि यह वही डॉग है जिसको लेकर महुआ और वकील देहाद्राई के बीच लड़ाई चल रही थी।

महुआ मोइत्रा का रॉटवीलर ब्रीड के कुत्ते के साथ यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। दावा किया गया था कि यह वही डॉग है जिसको लेकर महुआ और वकील देहाद्राई के बीच लड़ाई चल रही थी।

सवाल- जिस तरह से उन्होंने (कमेटी मेंबर्स) आपसे बात की, उसे आप किस तरीके से देखती हैं?
महुआ- देखिए, वहां कोई ‘उन्होंने’ नहीं थे। इसे समझिए, अध्यक्ष के अलावा वहां कोई नहीं बोल रहा था। किसी भी सांसद को मुझसे सवाल करने की अनुमति नहीं थी, यही तो समस्या थी। बीजेपी का भी कोई सांसद कुछ नहीं पूछ रहा था। सुबह 13 लोग थे, फिर दोपहर के भोजन के समय परणीत कौर और वीडी शर्मा चले गए। लंच के बाद जब मैं अंदर आई तो ये दोनों जा चुके थे। अध्यक्ष के अलावा केवल 10 लोग मौजूद थे। बीजेपी से 5 और विपक्ष से 5 नेता थे।

केवल अध्यक्ष ने ही बात की और वह इन प्रश्नों की 10-12 पेज की तैयार स्क्रिप्ट लेकर आए थे। एक भी प्रश्न वह खुद से नहीं पूछ रहे थे, वास्तव में वह पढ़ रहे थे। इसलिए, एक या दो बार उन्होंने पढ़ने में गलती की। उदाहरण के लिए, वे ‘जिल्टेड एक्स’ कहना चाहते थे, पर उन्हे यह शब्द पता नहीं था, इसलिए उसने ‘गिलेटेड एक्स’ कहा। मैंने कहा, गिलेटेड एक्स क्या होता है? वह उसी शब्द को दोहराते रहे और गिलेटेड एक्स, गिलेटेड एक्स कहते रहे और यहां-वहां देखने लगे, फिर एक बीजेपी सांसद ने उनको सही शब्द लिखकर दे दिया।

प्रश्न क्रमबद्ध थे, जैसे एक के बाद दो, फिर तीन। यदि आप पहले वाले का उत्तर हां में देते हैं, तभी दूसरा प्रश्न लागू होता है। जब मैंने पहले प्रश्न के लिए ‘नहीं’ कहा, तब भी चैयरमेन ने आगे के प्रश्न पूछे और यह बहुत गंदा था। विपक्षी सांसद इसका विरोध करते रहे। बीजेपी सांसदों ने चेयरमैन का साथ नहीं दिया, वे चुप रहे।

जब वो (एथिक्स कमेटी के चेयरपर्सन विनोद सोनकर) बोल रहे थे, पूछ रहे थे तो कोई कुछ नहीं बोल रहा था और विपक्षी सांसद, बीजेपी सांसद भी, महिला सांसद भी, उन्होंने बिल्कुल भी चेयरमैन का समर्थन नहीं किया। वे चुप रहे।

जब बीजेपी के सांसद बाहर आए तो मुझे नहीं पता कि उन्होंने क्या कहा, यह अलग बात है। लेकिन अंदर उन्होंने कुछ नहीं कहा और विपक्षी सांसदों ने चेयरमैन को बार-बार चेतावनी दी कि आप ये सवाल नहीं पूछ सकते। सवाल एनआईसी लॉगिन का है, सवाल गिफ्ट का है, उस पर जो भी कहना है, आप पूछ सकते हैं।

आखिरकार सभी ने कहा कि हम इस चीरहरण में भागीदार नहीं बनेंगे और इस कार्यवाही से कोई लेना-देना नहीं है और वे सभी जाने के लिए उठ गए। फिर मैंने कहा- मैं यहां नहीं बैठूंगी। मैंने चेयरमैन से कहा- मैं रिकॉर्ड पर रखना चाहती हूं कि मैं सवाल पूछने के इस तरीके, सवाल के अप्रासंगिक तरीके, अनैतिक तरीके के विरोध में इस कार्यवाही में शामिल नहीं होंऊंगी और मैं बाहर आ गई।

महुआ मोइत्रा 2019 में पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर सीट से टीएमसी के टिकट पर सांसद चुनी गई थीं।

महुआ मोइत्रा 2019 में पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर सीट से टीएमसी के टिकट पर सांसद चुनी गई थीं।

सवाल-इस पर चेयरमैन की प्रतिक्रिया क्या थी?
महुआ- उनकी प्रतिक्रिया की किसे परवाह है? वह कुछ नहीं कह सके, उसके पास कहने के लिए कुछ नहीं था, क्योंकि वह स्क्रिप्ट पढ़ रहे थे। बिना पढ़े वह अपना नाम भी नहीं बता सकते।

सवाल- आपने कहा है कि आपको एक कॉर्पोरेट ग्रुप निशाना बना रहा है। आप ऐसा क्यों कह रही हैं? और भी लोकसभा सांसद हैं जो उस समूह के खिलाफ सवाल उठाते रहे हैं, लेकिन उन्हें निशाना नहीं बनाया गया? तो सिर्फ आप ही क्यों?
महुआ- कृपया समूह का नाम बताएं। मैं मोदी-अडाणी के बारे में बोल रही हूं।

सवाल- लेकिन अन्य लोग भी हैं, जो उनके खिलाफ बोलते हैं?
महुआ- हां। राहुल (गांधी) ने उनके खिलाफ बोला है। उन्होंने उनके (राहुल) खिलाफ क्या करने की कोशिश की है? आप सबने देखा। इस समूह के खिलाफ सबसे मुखर नेता कौन हैं? वे कौन सी पार्टियां हैं, जो इस बारे में सबसे अधिक मुखर हैं? उन्होंने हर किसी के साथ ऐसा करने की कोशिश की है, जो उनके खिलाफ है। केजरीवाल जी आज कहां हैं? कहां है AAP? उन्होंने इस पार्टी को जेल में डाल दिया। ईडी ने उन्हें चुनाव अभियान के बीच में बुलाया। सोचिए कि वे (बीजेपी) और विपक्षी दल के साथ क्या कर रहे हैं। हर एक विपक्षी दल…देखिए उन्होंने तेजस्वी (यादव) के साथ क्या किया। 2024 (आम) चुनाव से पहले कोई कुछ नहीं कह सकता।

सवाल- क्या आप इस बात से सहमत होंगी कि किसी निजी व्यक्ति के साथ अपना लॉगिन डिटेल साझा करना, वह भी कोई ऐसा व्यक्ति जो व्यवसायी है और भारत से बाहर रहता है, कम से कम निर्णय की त्रुटि (एरर ऑफ जजमेंट) और नैतिक (एथिकली) रूप से गलत था?
महुआ- मैंने शेयर नहीं किया। कृपया समझें। मैंने कोई नियम नहीं तोड़ा। पहली बात- कोई नियम नहीं हैं। दूसरी बात- मैंने अपनी ईमेल आईडी किसी से साझा नहीं की। यह केवल एक लॉगिन पोर्टल है, जिसके माध्यम से आप केवल दो ही काम कर सकते हैं। एक है प्रश्न अपलोड करना और दूसरा- अपनी यात्रा का रिएम्बर्समेंट डालना। जैसे आपकी टिकट और बाकी सब। केवल दो चीजें। कुछ और नहीं कर सकते ।

प्रश्नों को अप्रूव करने लिए ओटीपी मेरे पास आता है। आप इसे दर्शन (हीरानंदानी) या उनके कार्यालय से जोड़ के नहीं देख सकते। दर्शन 6 मिलियन डॉलर का बिजनेस चलाता है। वह मेरे प्रश्न टाइप करने के लिए नहीं बैठे हैं। मैंने उनसे सिर्फ यह कहा कि क्या मैं जो पूछना चाहती हूं, उसे कोई टाइप कर सकता है। बस इतना ही हुआ। मैंने अपने प्रश्न खुद बनाए। मैंने ही अपने प्रश्नों को फ्रेम किया, ना कि किसी और ने।

एक बात और। पहला- कोई नियम नहीं है। दूसरा- ओटीपी मेरे पास आएगा। इसलिए ना तो दर्शन और ना ही कोई कर्मचारी कभी भी मेरे ओटीपी के बिना कोई प्रश्न पूछ सकता हैं। मैंने सिर्फ सचिवीय (सेक्रेटियल) सहायता मांगी, जो मुझे संसदीय नियमों के तहत प्राप्त करने की अनुमति है। यह बहुत ही स्पष्ट है।

सवाल- लेकिन जो दुबई में रहता है, उनसे क्यों आपने सहायता मांगी?
महुआ- वे कहां रहते हैं, उससे क्या फर्क पड़ता है? वह एक भारतीय नागरिक हैं। क्या दुबई एक दुश्मन देश है? वह चंद्रमा पर रह सकते हैं। वह मेरा दोस्त है। वह एक भारतीय हैं। आप ये सवाल क्यों नहीं पूछते कि यूपी में उनका 30 हजार करोड़ रुपए का निवेश है, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री ने वर्चुअली किया था। इसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल थे। अगर हीरानंदानी राष्ट्रविरोधी है तो यह कैसे संभव हुआ?

अगर वह देशद्रोही हैं तो यूपी जैसे बीजेपी शासित राज्यों में उनके 30,000 करोड़ रुपए के निवेश क्यों हैं? दुबई में बैठा कोई राष्ट्रविरोधी भारत में निवेश तो कर सकता है, लेकिन वह महुआ मोइत्रा के सवाल टाइप नहीं कर सकता?

सवाल- आप कहती रही हैं कि इस पूरे मुद्दे पर आपको अपनी पार्टी का समर्थन हासिल है?
महुआ- हां।

सवाल- लेकिन चीजें ऐसी नहीं दिखतीं। आपकी पार्टी की तरफ से आपके समर्थन में कोई बयान नहीं आया। क्या आप इस बात से चिंतित हैं?
महुआ- यह आम धारणा भाजपा की तरफ से फैलाई गई है। मुझे इस पर सफाई देने की जरूरत नहीं है। भाजपा मेरा राजनीतिक मृत्युलेख (political obituary) पांच बार लिख चुकी है। जब ममता बनर्जी ने सार्वजनिक रूप से मुझसे कुछ गुस्से में कहा तो बीजेपी ने कहा, महुआ बस खत्म हो गईं। जब भगवान काली पर विवाद हुआ तो उन्होंने कहा, महुआ को पार्टी से निकाला जा रहा है। क्या हुआ?

देखिए, हमारी पार्टी को इन सब बातों की चिंता नहीं है। ममता बनर्जी बहुत मजबूत महिला हैं। वह इस देश की एकमात्र महिला मुख्यमंत्री हैं। उनकी प्राथमिकताएं क्या है? उनकी प्राथमिकताएं बंगाल के लिए केंद्र सरकार से 18, हजार करोड़ का मनरेगा का पैसा प्राप्त करना है। हमारी प्राथमिकताएं भाजपा के खिलाफ बोलना, देश में उनके द्वारा चलाए जा रहे भ्रष्टाचार को उजागर करना है। वे जिस अभिव्यक्ति की आजादी को पूरी तरह से खत्म करना चाह रहे हैं, उसे बोलना है, पेगासस पर बोलना है, ऐसे कई मुद्दे हैं, जो महत्वपूर्ण हैं।

ममता बनर्जी को मेरे मामले में बीच में आने की जरूरत नहीं है। यह एक निजी मुद्दा है, जिसे पब्लिक डोमेन में भी नहीं आना चाहिए था। देश के सबसे बड़े राजनीतिक योद्धाओं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री को इस मुद्दे पर मेरा बचाव करने के लिए आने की जरूरत नहीं है। मैं खुद के लिए लड़ने में पूरी तरह सक्षम हूं। कल पार्टी सामने आई और मेरे सपोर्ट में अपनी बात रखी। लेकिन जैसा कि दानिश अली ने कहा, भाजपा के पास ‘कुत्ते की लड़ाई’ के बारे में बात करने से बेहतर कुछ नहीं है।

सवाल- क्या आपको लगता है कि इस पूरे मामले में आपकी पार्टी के लोग भी शामिल हैं, जो अंदरूनी राजनीति चला रहे है?
महुआ- ऐसा बिल्कुल नहीं है। ये सब कहना हास्यास्पद षड्यंत्र जैसा होगा।

सवाल- यह पूरा मामला आपके एक पूर्व साथी से शुरू हुआ। उनके साथ आपके रिश्तों में कड़वाहट का इतिहास है?
महुआ- यह एक पूरा षड़यंत्र है। सबसे पहले आप ऐसे व्यक्ति को लाते है, जिससे मेरे व्यक्तिगत संबंध खराब हों। फिर आप उस व्यक्ति को मेरे खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए ले जाते हैं सांसद निशिकांत दुबे के पास। दुबे के साथ मेरा सार्वजनिक झगड़ा था। पूरे 543 सांसदों में आपको सिर्फ निशिकांत दुबे ही मिलते हैं और वह भी एक ऐसे मुद्दे पर, जिसका कोई सबूत नहीं है। उसके बाद दुबे, व्यक्तिगत प्रतिशोध के लिए, अपने आप को पोस्ट बॉक्स के रूप में इस्तेमाल करने का फैसला करते हैं और यह मामला एथिक्स कमेटी के पास चला जाता है। यदि राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) के नियम का ही मुद्दा है तो वे सभी के लिए लागू होते हैं। मुझे नियम दिखाओ कि मैंने क्या तोड़ा है।

सवाल- तो क्या आप ये कह रही हैं कि बाकी सांसद भी…?
महुआ- हर एक सांसद। मैं रिकॉर्ड पर कह रही हूं, प्रत्येक सांसद, लोकसभा में 543 सांसद, और राज्यसभा में 245 सांसद, अपने कार्यकाल के दौरान उस दौरान कम से कम 3-4 लोगों के साथ अपनी लॉगिन आईडी और पोर्टल आईडी साझा करते हैं। सबसे महत्वपूर्ण है- पीआरएस लैंप का मुद्दा। पीआरएस एक निजी एजेंसी है, वे हमें लैंप भेजते हैं, वे 2-3 महीने के लिए आते हैं, फिर वे चले जाते हैं। 5 साल में हमारे पास 5-6 अलग-अलग लैंप हैं। आप कैसे जानते हैं कि कौन-कौन है? अंबानी का बेटा कौन है और हीरानंदानी का बेटा कौन है? मैंने कम से कम अपने प्रश्न तो खुद लिखे। भाजपा के 99% सांसदों को अपने सवालों के बारे में पता ही नहीं है।

सवाल- लोकसभा चुनाव में 6 महीने से भी कम समय रह गया है। अगर आपकी सदस्यता अवैध हो जाती है तो आगे क्या?
महुआ- ये नहीं हो सकता। वे मुझे निष्कासित नहीं कर सकते। एथिक्स कमेटी केवल एक ही काम कर सकती है और वह है स्पीकर को निलंबन की सिफारिश करना। वे स्पीकर को इसकी अनुशंसा कर सकते है। स्पीकर भी सस्पेंड नहीं कर सकते। स्पीकर को पूरे मामले को सदन के सामने रखना होगा। अभी इस मामले में सुनवाई पूरी नहीं हुई है, क्योंकि मेरी पूछताछ पूरी नहीं हुई। अगर वे अधूरी सुनवाई के आधार पर निर्णय लेते हैं तो यह गलत होगा। वे कुछ भी कर सकते हैं, वे भाजपा हैं। वे स्पीकर को इसकी अनुशंसा कर सकते हैं।

शीतकालीन सत्र के पहले दिन स्पीकर इसे लेकर सदन के सामने रख सकते हैं। इसके बाद सदन इस पर वोटिंग करेगा। इसलिए निलंबन तभी हो सकता है, जब स्पीकर इसे शीतकालीन सत्र के पहले दिन सदन में पेश करें। भाजपा के पास 303 सांसद हैं। वे आपको केवल उस सत्र के लिए निलंबित करने के लिए मतदान कर सकते हैं। केवल शीतकालीन सत्र के लिए। इतना ही। कोई निष्कासन या सदस्यता खोने जैसा कुछ नहीं है।

सवाल- ऐसी धारणा है कि आप हीरानंदानी के प्रति सॉफ्ट हैं, जिन्हें अडाणी के प्रतिस्पर्धी के रूप में भी देखा जाता है?
महुआ- वे अडाणी के प्रतिस्पर्धी क्यों होंगे? पूरे देश का मालिक अडाणी है। अडाणी का प्रतिस्पर्धी कौन है? अडाणी की तुलना में हीरानंदानी कौन है? अडाणी के पास हर बंदरगाह, हर हवाईअड्डा, हर सुंदर…हमारी सारी खेती है…अडाणी का प्रतिस्पर्धी कौन है? मोदी जी ने पूरा देश अडाणी को बेच दिया है। अडाणी का प्रतिस्पर्धी कौन है? हम किस बारे में बात कर रहे हैं? दर्शन मेरे सांसद बनने से पहले के पुराने मित्र हैं।

सवाल- लेकिन उन्होंने आपके खिलाफ बातें कही हैं।
महुआ- उन्होंने ऐसा इसलिए किया है, क्योंकि उनके सिर पर बंदूक रख दी है। उन्होंने दर्शन को एक हलफनामा दिया है और कहा कि इस पर साइन करो। उन्हें कमेटी ने नहीं बुलाया है। उन्हें सीबीआई की तरफ से नहीं बुलाया गया। उन्हें किसी भी कानूनी दफ्तर द्वारा नहीं बुलाया गया, फिर वे किसे हलफनामा दे रहे हैं?

कोई आपको बुलाता है तो आप हलफनामा देते हैं। समिति की ओर से दर्शन को भी नहीं बुलाया गया। अगर आप हीरानंदानी का एफिडेविट देखें तो क्या कहता है? पहले 11 पैराग्राफ इस बारे में हैं कि नरेंद्र मोदी कितने महान हैं और महुआ मोइत्रा कितनी महत्वाकांक्षी हैं। केवल एक पैराग्राफ इन तोहफों पर है, जबकि भाजपा के मुताबिक पूरा मामला उपहार का है, है ना? बड़ी चीज व्यक्तिगत चरित्र नहीं है- चाहे मैं महत्वाकांक्षी हूं या दबंग। इसकी भारत के लोगों के लिए कोई अहमियत नहीं है। जहां तक उपहारों की बात है, हीरानंदानी एक व्यापारी है, जिनके हलफनामे के अनुसार उन पर एक राजनेता को रिश्वत देने का आरोप है। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत और विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम के तहत उन्हें सजा हो सकती है। हां या नहीं?

चलिए, यह बताइए कि उन्होंने गिफ्ट की विस्तृत सूची क्यों नहीं दी? यदि उन्होंने मुझे तोहफे दिए तो उसे विस्तृत सूची क्यों नहीं दी गई? क्योंकि मैंने जो कहा है, उन्होंने उसके बाहर कुछ भी नहीं दिया। एक स्कार्फ, कुछ मेकअप का सामान। जब मैं बॉम्बे जाती हूं तो उसके लिए उनकी कार और ड्राइवर। इस घर (दिल्ली वाले बंगले) को वास्तु के मुताबिक बनाने के लिए एक डिजाइन, जो सीपीडब्ल्यूडी ने किया है। किसी पैसे का लेनदेन नहीं हुआ। कुल मिलाकर इतनी सी ही बात हैष

सवाल- क्या आप दर्शन हीरानंदानी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराएंगी?
महुआ- मैं ऐसा क्यों करूंगी। इस बकवास के कारण उन्हें पहले ही काफी उत्पीड़न झेलना पड़ रहा है।

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