महिला आरक्षण बिल पेश, 2024 तक लागू होना मुश्किल: कनाडा का आरोप- भारत ने हत्या कराई, दोनों ने एक-दूसरे के डिप्लोमैट्स निकाले

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3 घंटे पहलेलेखक: शुभेंदु प्रताप भूमंडल, न्यूज ब्रीफ एडिटर

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नमस्कार,
कल की बड़ी खबर महिला आरक्षण बिल से जुड़ी रही, जिसे लोकसभा में पेश किया गया। ये नई संसद में पेश होने वाला पहला बिल है। एक खबर कनाडाई PM जस्टिन ट्रूडो के आरोपों से जुड़ी रही, जिसमें उन्होंने एक खालिस्तानी आतंकी की हत्या के लिए भारत सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।

लेकिन कल की बड़ी खबरों से पहले आज के प्रमुख इवेंट्स, जिन पर रहेगी नजर…

  1. आज संसद के स्पेशल सेशन का तीसरा दिन है। महिला आरक्षण बिल पर लोकसभा में सुबह 11 बजे से शाम 6 बजे तक बहस होगी।
  2. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ आज 3 बड़े मामलों की सुनवाई करेगी। इसमें असम में अवैध प्रवासियों की नागरिकता, लोकसभा-विधानसभा में SC-ST आरक्षण और सांसदों को आपराधिक मुकदमों में छूट के केस शामिल हैं।

अब कल की बड़ी खबरें…

1. लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश, कानून बनने के बाद महिला सांसदों की संख्या 181 होगी

नई संसद में महिला आरक्षण विधेयक पर हंगामा हुआ। जिसके बाद राज्यसभा को बुधवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।

नई संसद में महिला आरक्षण विधेयक पर हंगामा हुआ। जिसके बाद राज्यसभा को बुधवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।

लोकसभा में महिला आरक्षण बिल यानी नारी शक्ति वंदन विधेयक पेश किया गया। इसमें लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% रिजर्वेशन का प्रावधान है। अगर बिल कानून बन जाता है तो भी 2024 में लागू नहीं हो पाएगा। क्योंकि ये जनगणना के आधार पर होने वाले परिसीमन के बाद ही लागू होगा। वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले जनगणना और परिसीमन हो पाना मुश्किल है।

राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के बाद विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने महिला आरक्षण बिल पर चर्चा की। उन्होंने कहा- दलित और पिछड़ी जाति की महिलाओं को वो मौका नहीं मिलता, जो बाकी सब को मिलता है। इसके जवाब में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा- देश की राष्ट्रपति कौन हैं? वे ट्राइबल समाज से आने वाली महिला हैं।

बिल पास होने के बाद क्या होगा: अभी लोकसभा में 82 महिला सांसद हैं, इस बिल के पास होने के बाद 181 महिला सांसद हो जाएंगी। यह आरक्षण सीधे चुने जाने वाले जन प्रतिनिधियों के लिए लागू होगा। यानी यह राज्यसभा और राज्यों की विधान परिषदों पर लागू नहीं होगा। लोकसभा में 543 सीटों में से 131 SC-ST के लिए आरक्षित हैं। इनका एक तिहाई यानी 44 सीटें SC-ST महिलाओं के लिए रहेंगी। तब बाकी महिलाओं के लिए 137 सीटें बचेंगी। पूरी खबर यहां पढ़ें…

2. महिला आरक्षण विधेयक से जुड़ी 7 जरूरी बातें, क्या महिला आरक्षण हमेशा के लिए है?

  1. महिला आरक्षण विधेयक कानून बनने के बाद 15 साल तक अमल में रहेगा।
  2. एससी-एसटी महिलाओं के लिए आरक्षण एससी-एसटी कोटे से ही मिलेगा, अलग से नहीं।
  3. विधेयक में ओबीसी महिलाओं के लिए अलग से आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है।
  4. कौन-सी सीटों को महिलाओं के लिए रिजर्व किया जाए, ये परिसीमन के बाद तय होगा।
  5. एक महिला एक ही आरक्षित सीट से चुनाव लड़ सकती है।
  6. मौजूदा लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं पर इस विधेयक का कोई असर नहीं पड़ेगा।
  7. बिल लागू होने के बाद कोई महिला अनारक्षित सीट से भी चुनाव लड़ सकती है।

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3. जब सभापति के आसन पर चढ़ गए सांसद, महिला आरक्षण विधेयक फाड़ा, माइक तोड़े

8 मार्च 2010 को राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी की टेबल से महिला आरक्षण विधेयक की कॉपी खींचने और माइक तोड़ने की कोशिश करते सांसद। ये तस्वीर राज्यसभा टीवी के प्रसारण के दौरान लिया गया स्क्रीनशॉट है।

8 मार्च 2010 को राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी की टेबल से महिला आरक्षण विधेयक की कॉपी खींचने और माइक तोड़ने की कोशिश करते सांसद। ये तस्वीर राज्यसभा टीवी के प्रसारण के दौरान लिया गया स्क्रीनशॉट है।

8 मार्च 2010 की दोपहर। राज्यसभा में अफरा-तफरी मची थी। समाजवादी पार्टी के सांसद नंद किशोर यादव और कमाल अख्तर चेयरमैन हामिद अंसारी की टेबल पर चढ़ गए और माइक उखाड़ने की कोशिश की। राष्ट्रीय जनता दल के राजनीति प्रसाद ने बिल की कॉपी फाड़कर चेयरमैन की तरफ उछाल दी। ये लोग महिला आरक्षण विधेयक का विरोध कर रहे थे।

ये खबर अहम क्यों है: महिला आरक्षण विधेयक लाने की 10 कोशिशें हो चुकी हैं। 1996 में यूनाइटेड फ्रंट की देवगौड़ा सरकार बिल लेकर आई। लेकिन सरकार को समर्थन देने वाली कई पार्टियों ने विरोध किया। 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार ने 4 बार बिल पेश करने की कोशिश की। इसके बाद साल 2000, 2002, 2003 और 2008 में भी बिल पर हंगामा हुआ। साल 2010 में ये बिल राज्यसभा में पास हुआ, लेकिन लोकसभा में पेश ही नहीं किया गया।
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4. हाईकोर्ट ने कहा- संबंध बनाने के लिए पत्नी मना करे तो क्रूरता, इस आधार पर पति तलाक ले सकता है
दिल्ली हाईकोर्ट का कहना है कि शादी के बाद अपने पार्टनर को सेक्स के लिए इनकार करना क्रूरता है। दरअसल, एक कपल की 2004 में शादी हुई थी। पत्नी 18 साल से मायके में हैं। पति ने फैमिली कोर्ट में तलाक अर्जी दी थी। जिसके बाद कोर्ट ने तलाक का फैसला सुनाया था। हाईकोर्ट ने कहा कि शारीरिक संबंध के बिना शादी अभिशाप है। इस आधार पर पति तलाक ले सकता है।

ये खबर अहम क्यों है: कर्नाटक हाईकोर्ट ने जून 2023 में एक मामले में सुनवाई के दौरान ऐसा ही कमेंट किया था। कोर्ट ने कहा था- शादी के बाद पति अगर पत्नी को शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करता है, तो ये हिंदू मैरिज एक्ट के तहत क्रूरता है, लेकिन IPC की धारा 498A के तहत अपराध नहीं है।
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5. संसद की पुरानी इमारत अब संविधान सदन, PM बोले- इसकी गरिमा कभी कम नहीं होगी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी कैबिनेट के साथियों के साथ नई संसद भवन जाते हुए। इसके बाद तमाम सांसद भी नई संसद पहुंचे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी कैबिनेट के साथियों के साथ नई संसद भवन जाते हुए। इसके बाद तमाम सांसद भी नई संसद पहुंचे।

संसद की 96 साल पुरानी इमारत में मंगलवार को कार्यवाही का आखिरी दिन था। आजादी और संविधान को अपनाने की गवाह इस इमारत को विदाई देने पक्ष-विपक्ष के तमाम सांसद पहुंचे। प्रधानमंत्री ने पुराने संसद भवन को संविधान सदन के नाम से बुलाने का प्रस्ताव रखा। सेंट्रल हॉल में मौजूद सांसदों ने मेज थपथपाकर इसकी सहमति दी। मोदी ने कहा- पुराने सदन की गरिमा कभी कम नहीं होनी चाहिए।

ये खबर अहम क्यों है: पुरानी संसद का उद्घाटन 18 जनवरी 1927 को लॉर्ड इरविन ने किया था। इसे एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने डिजाइन किया था। उस वक्त इसे बनाने में 83 लाख रुपए खर्च हुए थे। इसे संसद भवन नहीं बल्कि ‘हाउस ऑफ पार्लियामेंट’ कहा जाता था। इसके उद्घाटन के दो साल बाद भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने सेंट्रल असेंबली में बम फेंका था। आजादी के बाद से यहां हमारे देश के सांसद बैठने लगे और इसे संसद कहा जाने लगा।
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6. अशोक गहलोत को मानहानि केस में राहत नहीं, कोर्ट ने आरोप मुक्त करने की अर्जी खारिज की
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की ओर से दायर किए गए मानहानि के केस में राजस्थान के CM अशोक गहलोत को राहत नहीं मिली है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने गहलोत की आरोप मुक्त करने की अपील को खारिज कर दिया। ऐसे में अब गहलोत पर मानहानि का ये मुकदमा चलता रहेगा।

गहलोत पर केस क्यों हुआ: गहलोत ने इस साल 21 फरवरी को कहा था कि संजीवनी घोटाले में गजेंद्र सिंह के मां-बाप, पत्नी सहित पूरा परिवार शामिल है। इसके बाद गजेंद्र सिंह ने मानहानि का दावा किया और राउज एवेन्यू कोर्ट ने 6 जुलाई को गहलोत के खिलाफ समन जारी किया था।
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7. कश्मीर में एनकाउंटर के 7वें दिन लश्कर कमांडर ढेर, दो आतंकियों के शव मिले

यह आतंकी उजैर खान है, जिसकी तस्वीर कश्मीर पुलिस ने जारी की थी।

यह आतंकी उजैर खान है, जिसकी तस्वीर कश्मीर पुलिस ने जारी की थी।

कश्मीर के अनंतनाग में एनकाउंटर के सातवें दिन लश्कर-ए-तैयबा कमांडर उजैर खान समेत 3 आतंकी मारे गए। इनमें दो के शव मिले हैं। अनंतनाग में 13 सितंबर से एनकाउंटर जारी है। पहले दिन एनकाउंटर में कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष धौंचक और डीएसपी हुमायूं भट सहित दो जवान शहीद हुए थे।

ये खबर अहम क्यों है: कश्मीर में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच ये अब तक का सबसे लंबा एनकाउंटर है। वहीं, जम्मू-कश्मीर में यह तीसरी सबसे लंबी चलने वाली मुठभेड़ है। अनंतनाग में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन को जल्द खत्म करने के लिए पैरा कमांडो और सुरक्षाबलों की 10 और कंपनियां तैनात की गई हैं।
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8. कनाडा का आरोप- भारत ने सिख नेता की हत्या कराई, अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी भी जारी की

18 सितंबर को कनाडा के PM ट्रूडो ने संसद में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या पर बयान दिया।

18 सितंबर को कनाडा के PM ट्रूडो ने संसद में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या पर बयान दिया।

कनाडा के PM जस्टिन ट्रूडो ने संसद में कहा कि भारत सरकार के एजेंट्स ने जून में ब्रिटिश कोलंबिया में सिख समुदाय के नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की थी। इसके बाद कनाडा सरकार ने एक भारतीय डिप्लोमैट को देश से निकाल दिया। वहीं भारत सरकार ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया। साथ ही देश में मौजूद कनाडा के सीनियर डिप्लोमैट को भारत छोड़ने के लिए 5 दिन का समय दिया है।

कनाडा सरकार ने भारत जाने वाले अपने नागरिकों के लिए ट्रैवल एडवाइजरी भी जारी की है। कनाडा ने कहा है कि जम्मू और कश्मीर में सिक्योरिटी के हालात को देखते हुए वहां न जाएं। वहां टेरेरिज्म और किडनैपिंग का खतरा है। इसके अलावा असम और मणिपुर में भी न जाने की सलाह दी गई है।

ट्रूडो क्या चाहते हैं: कनाडा के डिप्लोमैट भारत से निकाले जाने के कुछ ही घंटे बाद ट्रूडो ने कहा कि वे भारत के साथ तनाव नहीं चाहते। लेकिन भारत इस हत्या को गंभीरता से ले। ट्रूडो का कहना है कि 9-10 सितंबर को भारत में G20 बैठक के दौरान उन्होंने PM मोदी के सामने इस मुद्दे को उठाया था। उनके देश लौटने के बाद कनाडा ने भारत के साथ ट्रेड मिशन पर भी रोक लगा दी थी।
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