महिला आरक्षण बिल पास होने से PM मोदी खुश: सभी दलों के सांसदों को धन्यवाद दिया, बोले- इससे राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी

36 मिनट पहले

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संसद के विशेष सत्र के तीसरे दिन बुधवार को लोकसभा में महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन विधेयक) पास हो गया। पर्ची से हुई वोटिंग में बिल के समर्थन में 454 और विरोध में 2 वोट पड़े। अब गुरुवार को यह बिल राज्यसभा में पेश होगा। वहां से पास होने के बाद राष्ट्रपति के पास स्वीकृति के लिए जाएगा। राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने के बाद यह कानून बन जाएगा।

पीएम मोदी ने बुधवार देर रात X (पहले टि्वटर) पर पोस्ट करते हुए सभी को धन्यवाद दिया। पीएम ने लिखा – लोकसभा में संविधान (एक सौ अट्ठाईसवां संशोधन) विधेयक, 2023 के पारित होने पर खुशी हुई। मैं सभी दलों के सांसदों को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने इस विधेयक के समर्थन में वोट किया।

पीएम ने आगे लिखा, नारी शक्ति वंदन अधिनियम एक ऐतिहासिक कानून है जो महिला सशक्तिकरण को और बढ़ावा देगा और हमारी राजनीतिक में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी।

अब पढ़िए विपक्षी दलों के सांसदों ने बिल पर क्या-क्या कहा…

राहुल बोले- सरकार चलाने वाले 90 में से सिर्फ 3 सेक्रेटरी OBC, इसे बदलें

शाह से पहले राहुल गांधी ने कहा कि मैं महिला आरक्षण बिल के समर्थन में हूं, लेकिन ये अधूरा है। जब सांसदों को पुरानी संसद से नई संसद में ले जाया जा रहा था तो राष्ट्रपति को मौजूद होना चाहिए था।

हमारे इंस्टीट्यूशंस में OBC की भागीदारी कितनी है, मैंने इसकी रिसर्च की। सरकार चलाने वाले जो 90 सेक्रेटरी हैं, उनमें से तीन सिर्फ 3 ही OBC से हैं। इसे जल्दी से जल्दी बदलिए। ये OBC समाज का अपमान हैं।

राहुल के बोलने के दौरान सांसदों ने हंगामा किया तो वे बोले- डरो नहीं। देश की आजादी की लड़ाई महिलाओं ने भी लड़ी थी। महिला आरक्षण बिल पर बिल्कुल भी देरी नहीं करना चाहिए और इसे आज से ही लागू कर देना चाहिए।

ओम बिड़ला ने इस दौरान उन्हें टोकते हुए कहा- मैं राहुल गांधी से अपील करता हूं कि सदन में सभी सदस्य बराबर हैं। इसलिए उन्हें ‘डरो मत डरो मत नहीं कहें।

महुआ बोलीं- मुस्लिम महिलाओं को भी फायदा मिले

चर्चा के दौरान TMC सांसद महुआ मोइत्रा ने मुस्लिम महिलाओं को भी आरक्षण देने की मांग की। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने महुआ मोइत्रा का नाम लिए बगैर कहा- मुस्लिम आरक्षण मांगने वालों को मैं बताना चाहती हूं कि संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण वर्जित है। जिस प्रकार से विपक्ष भ्रमित करने का प्रयास कर रहा है, उसमें ना फंसें।

सोनिया बोलीं- तुरंत अमल में लाएं, सपा-एनसीपी की ओबीसी महिलाओं को भी आरक्षण की मांग सोनिया ने कहा, ‘कांग्रेस की मांग है कि बिल को फौरन अमल में लाया जाए। सरकार को इसे परिसीमन तक नहीं रोकना चाहिए। इससे पहले जातिगत जनगणना कराकर इस बिल में SC-ST और OBC महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था की जाए।’

NCP सांसद सुप्रिया सुले और SP सांसद डिंपल यादव ने भी बिल में OBC महिलाओं को आरक्षण देने की मांग की। सुप्रिया ने कहा कि सरकार बड़ा दिल करके बिल में SC, ST और OBC महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था करे। वहीं, SP सांसद डिंपल यादव ने कहा कि बिल में OBC और अल्पसंख्यक महिलाओं को भी आरक्षण दिया जाना चाहिए।

सोनिया गांधी ने जहां बिल से राजीव गांधी का सपना पूरा होने की बात कही। वहीं, एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले और सपा की डिंपल यादव ने ओबीसी महिलाओं को भी फायदा देने की वकालत की।

सोनिया गांधी ने जहां बिल से राजीव गांधी का सपना पूरा होने की बात कही। वहीं, एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले और सपा की डिंपल यादव ने ओबीसी महिलाओं को भी फायदा देने की वकालत की।

सोनिया बोलीं- महिला आरक्षण का बिल सबसे पहले राजीव लाए
सोनिया ने कहा, ‘स्थानीय निकायों में महिलाओं को आरक्षण देने वाला कानून सबसे पहले मेरे पति राजीव गांधी लाए थे, जो राज्यसभा में 7 वोटों से गिर गया था। बाद में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार ने उसे पास करवाया। इसी का नतीजा है कि देशभर के स्थानीय निकायों में 15 लाख चुनी हुई महिला नेता हैं। राजीव का सपना अभी आधा ही पूरा हुआ है, यह बिल पास होने से सपना पूरा हो जाएगा।

इस पर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि ये सिर्फ PM मोदी का बिल है, जिसने गोल किया, नाम उसी का होता है। हमारे प्रधानमंत्री और हमारी पार्टी ये बिल लेकर आई है तो इनके पेट में दर्द हो रहा है।

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि सोनिया गांधी इस बिल के लिए क्रेडिट लेना चाहती हैं।

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि सोनिया गांधी इस बिल के लिए क्रेडिट लेना चाहती हैं।

सुप्रिया सुले बोलीं- देश में बाढ़ आ रही, स्पेशल सेशन क्यों बुलाया?
सुप्रिया सुले ने कहा कि महाराष्ट्र के पूर्व भाजपा प्रमुख ने मुझसे टीवी पर कहा था कि सुप्रिया सुले तुम घर जाओ, खाना बनाओ। देश कोई और चला लेगा। भाजपा इस पर जवाब दे।

उन्होंने कहा कि जनगणना और परिसीमन होने तक महिला आरक्षण को लागू नहीं किया जा सकता। फिर इसके लिए स्पेशल सेशन क्यों बुलाया गया। इसे विंटर सेशन में भी पास कर सकते थे। देश के कई हिस्सों में बाढ़ आ रही है, इस समय सेशन बुलाने की क्या जरूरत है।

DMK की एमके कनिमोझी बोलने खड़ी हुईं तो सत्ताधारी सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया। इस पर कनिमोझी और सुप्रिया सुले ने कहा कि बीजेपी के लोग महिलाओं की यही इज्जत करते हैं। फिर सदन में शांति छा गई।

DMK की एमके कनिमोझी बोलने खड़ी हुईं तो सत्ताधारी सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया। इस पर कनिमोझी और सुप्रिया सुले ने कहा कि बीजेपी के लोग महिलाओं की यही इज्जत करते हैं। फिर सदन में शांति छा गई।

नई संसद में कामकाज के पहले दिन पेश हुआ था बिल

तस्वीर विशेष सत्र के दूसरे दिन मंगलवार की है। इसमें PM मोदी, सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और अधीर रंजन चौधरी बातचीत करते हुए नजर आ रहे हैं।

तस्वीर विशेष सत्र के दूसरे दिन मंगलवार की है। इसमें PM मोदी, सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और अधीर रंजन चौधरी बातचीत करते हुए नजर आ रहे हैं।

नई संसद में कामकाज के पहले दिन यानी 19 सितंबर को लोकसभा में महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन विधेयक) पेश किया गया। इस बिल के मुताबिक, लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% रिजर्वेशन लागू किया जाएगा।

लोकसभा की 543 सीटों में से 181 महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। ये रिजर्वेशन 15 साल तक रहेगा। इसके बाद संसद चाहे तो इसकी अवधि बढ़ा सकती है। यह आरक्षण सीधे चुने जाने वाले जनप्रतिनिधियों के लिए लागू होगा। यानी यह राज्यसभा और राज्यों की विधान परिषदों पर लागू नहीं होगा।

परिसीमन के बाद ही लागू होगा बिल
नए विधेयक में सबसे बड़ा पेंच यह है कि यह डीलिमिटेशन यानी परिसीमन के बाद ही लागू होगा। परिसीमन इस विधेयक के पास होने के बाद होने वाली जनगणना के आधार पर होगा। 2024 में होने वाले आम चुनावों से पहले जनगणना और परिसीमन करीब-करीब असंभव है।

इस फॉर्मूले के मुताबिक विधानसभा और लोकसभा चुनाव समय पर हुए तो इस बार महिला आरक्षण लागू नहीं होगा। यह 2029 के लोकसभा चुनाव या इससे पहले के कुछ विधानसभा चुनावों से लागू हो सकता है।

तीन दशक से पेंडिंग था महिला आरक्षण बिल
संसद में महिलाओं के आरक्षण का प्रस्ताव करीब 3 दशक से पेंडिंग है। यह मुद्दा पहली बार 1974 में महिलाओं की स्थिति का आकलन करने वाली समिति ने उठाया था। 2010 में मनमोहन सरकार ने राज्यसभा में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण बिल को बहुमत से पारित करा लिया था।

तब सपा और राजद ने बिल का विरोध करते हुए तत्कालीन UPA सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी दे दी थी। इसके बाद बिल को लोकसभा में पेश नहीं किया गया। तभी से महिला आरक्षण बिल पेंडिंग है।

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4 प्रधानमंत्री, 11 कोशिशें, 27 साल: महिला आरक्षण विधेयक की पूरी राजनीतिक कहानी

पहली बार प्रस्तावित होने के 14 साल बाद महिला आरक्षण विधेयक राज्यसभा में पारित हो गया। उसके बाद से 13 साल हो गए, ये बिल लोकसभा में पास नहीं हो सका। अब 2023 में मोदी सरकार ने भी इसे लोकसभा में पेश कर दिया है। अगर ये पारित हो गया तो लोकसभा और विधानसभा चुनाव में महिलाओं के लिए 33% सीटें आरक्षित हो जाएंगी। पढ़ें पूरी खबर…

महिला आरक्षण विधेयक से जुड़े 11 सवालों के जवाब

मोदी सरकार ने नए संसद भवन की पहली कार्यवाही में मंगलवार को ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक’ पेश किया। महिला आरक्षण पारित कराने के लिए पिछले 27 साल में मौजूदा सरकार समेत 4 सरकारों की ये 11वीं कोशिश है। ये बिल कैसे पारित होगा, कब से लागू होगा, कितने दिनों के लिए है, किन सीटों पर होगा; जैसे जरूरी सवालों के जवाब जानने के लिए भास्कर एक्सप्लेनर में पढ़ें…