महात्मा गांधी का लुधियाना से रहा खास नाता: चौड़ा बाजार से गोशाला तक दांडी मार्च, सतलुज में बही अस्थियां, स्मारक पर लिखे 11 व्रत

लुधियाना19 मिनट पहले

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लुधियाना के गांव पंजढेर में महात्मा गांधी के स्मारक पर लिखे गए हैं 11 व्रत।

पंजाब के लुधियाना से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का लगाव रहा है। महानगर में उनसे जुड़ी कई ऐसी यादें हैं जो आज भी उन्हें लोगों के बीच जीवत रखे हुए हैं। चौड़ा बाजार से गोशाला तक महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता सेनानियों की टुकड़ी के साथ पैदल दांडी मार्च किया था।

इस दौरान उनके काफिले के पीछे हजारों लोग जिंदाबाद के नारे लगाते हुए चले। वहीं उनके निधन के बाद 12 फरवरी 1948 को फिल्लौर और लुधियाना के बीच सतलुज नदी में अस्थियां प्रवाहित की गई थी। उनकी याद में गांव पंजढेर में स्मारक भी बनाया गया है। इस स्मारक में 11 व्रत लिखे हैं, जिन पर अमल कर लोग अपने जीवन को सार्थक बना सकते हैं।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की स्मारक में चलाया गया सफाई अभियान।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की स्मारक में चलाया गया सफाई अभियान।

देश की नदियों से था बापू को लगाव
महात्मा गांधी को देश की नदियों से बेहद लगाव था। यही कारण था कि 30 जनवरी 1948 को निधन के बाद उनकी अस्थियों को अलग-अलग कलशों में रखकर देश की विभिन्न नदियों में प्रवाहित किया गया। उनका मुख्य अस्थि कलश प्रयागराज जिले में गंगा नदी में प्रवाहित किया गया।

इसी तरह से एक अस्थि कलश को 12 फरवरी 1948 को सतलुज दरिया में विसर्जित किया गया। अस्थि विसर्जन वाली जगह पर ही स्मारक बनवाया गया है।

अब पढ़िए 11 व्रत
बापू ने पूरे जीवन में 11 व्रत सत्य, अहिंसा, ब्रह्मचर्य, अस्वाद, अस्तेय, अपरिग्रह, अभय, छुआछूत निवारण, सर्व धर्म समानत्व और स्वदेशी का पालन किया। वर्ष 1974 में सतलुज दरिया के पास उनकी याद में एक प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र खोला गया था। इसका उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्ञानी जैल सिंह ने किया था। चिकित्सा केंद्र समय के साथ अपग्रेड नहीं हुआ। जिस कारण अपनी ऐतिहासिक पहचान नहीं बना पाया।

गांव पंजढेर में बापू गांधी के स्मारक पर लिखे 11 व्रत।

गांव पंजढेर में बापू गांधी के स्मारक पर लिखे 11 व्रत।

गांधी के साथ थे गुजरात से लेकर पंजाब तक के सत्याग्रही
बापू 12 मार्च 1930 को 78 लोगों के साथ दांडी यात्रा पर निकले थे। इन सभी लोगों को गांधीजी ने खुद इंटरव्यू लेकर चुना था। इनकी उम्र तकरीबन 16 से 25 साल थी। इनमें 32 गुजरात प्रांत के, 6 कच्छ के, 4 केरल के, 3 पंजाब के, 2 बंबई के और सिंध, नेपाल, तमिलनाडु, आंध्र, उत्कल, कर्नाटक, बिहार व बंगाल से एक-एक सत्याग्रही शामिल थे।

यात्रा के दौरान गांधीजी ने 11 नदियां पार की थीं। उन्होंने सूरत, डिंडौरी, वांज, धमन के बाद नवसारी को यात्रा के आखिरी दिनों में अपना पड़ाव बनाया था।

बापू ने 6 अप्रैल को दांडी में नमक कानून तोड़ा और इसी के साथ सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत हो गई। धीरे-धीरे देश के बाकी हिस्सों में भी आंदोलन फैल गया। ये आंदोलन पूरे एक साल तक चला और 1931 में गांधी-इरविन के बीच हुए समझौते से खत्म हो गया।

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