मणिपुर CM ने एडिटर्स गिल्ड के खिलाफ केस किया: राज्य में हिंसा और झगड़ा फैलाने का आरोप, गिल्ड ने सरकार को पक्षपाती कहा था

असम2 मिनट पहले

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मणिपुर सीएम बीरेन सिंह ने सोमवार को एक प्रेस कांफ्रेंस कर एडिटर्स गिल्ड के सदस्यों के खिलाफ FIR की जानकारी दी।

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने सोमवार यानी 4 सितंबर को एडिटर्स गिल्ड के मेंबर्स के खिलाफ FIR दर्ज करा दी है। इन पर राज्य में हिंसा और झड़प फैलाने की कोशिश का आरोप लगाया है। गिल्ड ने एक मीडिया रिपोर्ट में सरकार की लीडरशिप को पक्षपाती बताया था।

बीरेन सिंह ने गिल्ड के तीन सदस्यों पर केस किया है। इन तीनों के नाम सीमा गुहा, भारत भूषण और संजय कपूर हैं। इस मामले पर एडिटर्स गिल्ड की तरफ से कुछ रिएक्शन नहीं आया है।

सीएम बोले- गिल्ड सच जानने के लिए सभी समुदायों से मिलें
सीएम ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा- मैं एडिटर्स गिल्ड के मेंबर्स को वॉर्निंग देता हूं। अगर आपको सच जानना है तो घटना वाली जगह पर जाएं। सच्चाई को जानिए। सभी समुदाय के लोगों से मिलिए, फिर जो जानकारी मिले उसे पब्लिश करें। चुनिंदा लोगों से ही मिलकर कोई नतीजा देना गलत है।

एडिटर्स गिल्ड ने अपनी रिपोर्ट में राज्य सरकार पर सवाल उठाए थे

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने 2 सितंबर को एक मीडिया रिपोर्ट तैयार की थी। इस रिपोर्ट का नाम, फैक्ट- फाइंडिंग मिशन ऑन मीडिया रिपोर्टेज ऑफ द एथनिक वॉयलेंस इन मणिपुर था।

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने 2 सितंबर को एक मीडिया रिपोर्ट तैयार की थी। इस रिपोर्ट का नाम, फैक्ट- फाइंडिंग मिशन ऑन मीडिया रिपोर्टेज ऑफ द एथनिक वॉयलेंस इन मणिपुर था।

एडिटर्स गिल्ड ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स (पूर्व टि्वटर) पर अपनी रिपोर्ट शेयर की थी। इसके साथ लिखा था कि- यह बात स्पष्ट है कि मणिपुर में हिंसा के समय निष्पक्ष लीडरशिप नहीं हो रही थी। सरकार को इस मामले में किसी एक जाति का पक्ष नहीं लेना चाहिए था। सरकार लोकतांत्रिक रहने में फेल हुई है।

फोटो में गलती कर दी, दर्ज हुई FIR

यह तस्वीर जलते हुए वन विभाग के ऑफिस की है। जिसे गिल्ड ने कुकी का घर बताया था।

यह तस्वीर जलते हुए वन विभाग के ऑफिस की है। जिसे गिल्ड ने कुकी का घर बताया था।

एडिटर्स गिल्ड ने अपनी रिपोर्ट में एक फोटो में गलती कर दी। गिल्ड ने चुराचांदपुर जिले में एक जलती हुई इमारत की तस्वीर छापी और दावा किया कि यह कुकी समुदाय का घर है। जबकि यह बिल्डिंग वन विभाग ऑफिस की थी जिसे 3 मई को एक भीड़ ने आग लगा दी थी।

गिल्ड ने रिपोर्ट में गलती कबूली, सुधार किया

एडिटर्स गिल्ड ने 3 सितंबर को रिपोर्ट में गलती की बात कबूली और उसमें सुधार किया।

एडिटर्स गिल्ड ने 3 सितंबर को रिपोर्ट में गलती की बात कबूली और उसमें सुधार किया।

गलत फोटो का मामला सामने आने के बाद एडिटर्स गिल्ड ने रविवार को एक्स (ट्विटर) पर अपनी गलती को स्वीकार किया। गिल्ड ने आगे लिखा, हमें फोटो कैप्शन में हुई गलती के लिए खेद है। इसमें सुधार किया जा रहा है। नई मणिपुर रिपोर्ट अपलोड कर दी गई है।

3 मई से जारी हिंसा में 160 से ज्यादा मौतें
राज्य में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच 3 मई से जारी हिंसा में 160 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र ने बताया था कि मणिपुर में 6 हजार 523 FIR दर्ज की गई हैं। इनमें से 11 केस महिलाओं और बच्चों की हिंसा से जुड़े हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 7 अगस्त को कहा था कि मणिपुर में हिंसा से जुड़े मामलों की 42 स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीमें (SIT) जांच करेंगी।

4 पॉइंट्स में जानिए क्या है मणिपुर हिंसा की वजह…
मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इम्फाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।

कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।

मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।

नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इम्फाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।

सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।

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मणिपुर में हिंसा शुरू हुए ढाई महीने से ज्यादा हो चुके हैं। जल चुके 120 से ज्यादा गांव, 3,500 घर, 220 चर्च और 15 मंदिर हिंसा की निशानी के तौर पर खड़े हैं। इस तबाही में खाली स्कूल और खेत भी जुड़ चुके हैं। अब स्कूलों के खुलने का वक्त है और खेतों में बुआई का। पूरी खबर पढ़ें…

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