मणिपुर हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील की अनुमति मिली: सिंगल बेंच ने मैतेई समुदाय को ST का दर्जा देने की सिफारिश करने को कहा था

इंफाल3 घंटे पहले

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मणिपुर में 3 मई को भड़की हिंसा में अब तक 180 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। 

मणिपुर हाईकोर्ट ने राज्य के आदिवासी संगठनों को 27 मार्च के आदेश के खिलाफ अपील दायर करने की अनुमति दी है। आदेश में राज्य सरकार को निर्देश दिया गया था कि वह ​​मैतेई समुदाय को ST दर्जा देने के लिए सिफारिश भेजे।

जस्टिस अहनथेम बिमोल और जस्टिस गुणेश्वर शर्मा की बेंच ने अपने 19 अक्टूबर के आदेश में अपील की अनुमति दी है। बेंच ने कहा आवेदक की मुख्य शिकायत यह है कि अगर उन्हें मैतेई समुदाय को ST दर्जा देने के मामले में अपनी बात कहने या आपत्ति उठाने का मौका नहीं दिया गया तो इसका विपरीत असर पड़ेगा।

मणिपुर में फैली हिंसा में कई घर जला दिए गए।

मणिपुर में फैली हिंसा में कई घर जला दिए गए।

सिंगल बेंच ने आदेश दिया था

27 मार्च को तत्कालीन एक्टिंग चीफ जस्टिस एमवी मुरलीधरन की सिंगल बेंच ने मैतेई जनजाति संघ की याचिका पर आदेश पारित किया था। याचिका में मांग की गई थी कि मैतेई समुदाय को ST सूची में शामिल करने के लिए उनकी याचिका पर कार्रवाई करने का निर्देश राज्य सरकार को दिया जाए।

इस आदेश पर कुकी जो संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताई। इसके बाद 3 मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन (ATSUM) ने एक रैली आयोजित की। रैली के दौरान चुराचांदपुर जिले के तोरबुंग में हिंसा हुई। इसके बाद राज्य में जातीय हिंसा फैली जिसमें अब तक कम से कम 180 लोगों की जान जा चुकी है।

वकीलों ने ST दर्जे के पक्ष-विपक्ष में दलीलें दीं

आदिवासी संगठनों के वकील कोलिन गोंसल्वेस ने अपनी दलील में कहा कि यदि मैतेई समुदाय को गलत तरीके से अनुसूचित जाति (ST) का दर्जा मिला तो इससे अभी ST आरक्षण में शामिल ​​​​जनजाति के लोगों को नौकरी और शिक्षा में नुकसान पहुंचेगा। मैतेई समुदाय राजनीतिक,शिक्षात्मक और आर्थिक रूप से प्रभावी है। ST का दर्जा मिलने से आरक्षण का पूरा फायदा इन्ही को मिलेगा।

मैतेई पक्ष के वकील वकील ​एम हेमचंद्र ने बताया भारतीय संविधान में शामिल करने के लिए ST सूची की तैयार करते समय मैतेई समुदाय को रिकॉर्ड होने के बावजूद छोड़ दिया गया था। मैतेई समुदाय पिछले कई सालों से ST सूची में शामिल किए जाने की मांग कर रहा है लेकिन उसमें अभी तक सफलता नहीं मिली।

CM सिंह ने बोले- हिंसा कारण अवैध कामों में शामिल लोग

हालांकि मार्च 27 के आदेश को राज्य में जातीय विवाद का तुरंत कारण माना गया है लेकिन CM एन बिरेन सिंह का कहना है कि राज्य सरकार ने नशे,पहाड़ी इलाके में अफीम की खेती, और म्यांमार के अवैध प्रवासियों की गतिविधियों के खिलाफ अभियान चलाया। हिंसा की असली वजह वे ही लोग हैं जो इन अवैध कामों में शामिल हैं।

9 अगस्त को संसद में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी बताया था कि पड़ोसी देश म्यांमार में अस्थिरता के कारण मणिपुर में बड़ी संख्या में कुकी लोग घुस आए हैं। इससे राज्य में हिंसा फैली है।

हिंसा के चलते मणिपुर में सैकड़ों परिवारों को अपने घर छोड़कर सरकारी कैम्प में शरण लेनी पड़ी है।

हिंसा के चलते मणिपुर में सैकड़ों परिवारों को अपने घर छोड़कर सरकारी कैम्प में शरण लेनी पड़ी है।

मणिपुर में अब तक 180 की मौत, 1100 घायल
मणिपुर में पिछले 4 महीने से चल रही जातीय हिंसा में अब तक 180 लोग मारे गए हैं। 1100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। इतना ही नहीं 5172 आगजनी के केस सामने आए, जिनमें 4786 घरों और 386 धार्मिक स्थलों को जलाने और तोड़फोड़ करने की घटनाएं शामिल हैं।

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