मणिपुर में स्नाइपर से सब इंस्पेक्टर की हत्या: 2 नागरिकों को भी लगी गोली, एक दिन पहले ही 3 कुकी लोगों की हत्या हुई थी

इंफाल22 मिनट पहले

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मणिपुर के चुराचांदपुर सब इंस्पेक्टर ओनखोमांग हाओकिप (45) की हत्या कर दी गई।

हिंसाग्रस्त मणिपुर में 13 सितंबर को एक पुलिस सब इंस्पेक्टर की हत्या कर दी गई। सूत्रों के मुताबिक चुराचांदपुर जिले में एक पुलिस सब इंस्पेक्टर को स्नाइपर से टारगेट करके मार दिया गया।

मृतक सब इंस्पेक्टर की पहचान ओनखोमांग हाओकिप (45) के तौर पर की गई है। अधिकारियों के मुताबिक जब हमला हुआ तब ये सब इंस्पेक्टर हाओकिप एन चिंगफेई में तैनात थे।

इसी हमले में पास में ही खड़े दो और लोगों को भी गोली लगी है। अभी तक उनकी पहचान नहीं हो सकी है।

आदिवासी समुदायों के सबसे प्रमुख मंच इंडीजीनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) के प्रवक्ता गिंजा वाउलजोंग ने बताया है कि ‘ये बहुत दुखद है कि बफर जोन में शांति बहाल करने के लिए तैनात एक सब इंस्पेक्टर की हत्या मैतेई उग्रवादियों ने स्नाइपर से कर दी है।’

एक दिन पहले ही कांगचुप इलाके में कुकी-जो समुदाय के गांव के तीन लोगों की हत्या एंबुश लगाकर कर दी गई थी।

3 मई के बाद से अब तक मणिपुर में मैतेई और कुकी के बीच हो रही सामुदायिक हिंसा में करीब 200 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं करीब 60 हजार लोगों को विस्थापन की मार झेलनी पड़ी है। राज्य में हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं, बीच-बीच में स्टेट आर्मरी लूटने की खबरें आती रहती हैं।

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मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इम्फाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।

कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।

मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।

नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इम्फाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।

सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।

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