मणिपुर के थोवई कुकी के पास BSF तैनात होगी: 2 दिन पहले 3 लोगों की हत्या हुई थी; कांगपोकपी में प्रदर्शनकारी बोले- AFSPA फिर लागू करें

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इंफाल30 मिनट पहले

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पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी में TMC की महिला विंग ने मणिपुर में महिलाओं के साथ हुए अत्याचार के खिलाफ प्रदर्शन किया है। वे मणिपुरी ड्रेस पहने हुए थीं।

मणिपुर के उखरुल जिले में शुक्रवार को थोवाई कुकी गांव पर हमला हुआ था, जिसमें कुकी समुदाय के 3 लोगों की हत्या कर दी गई थी। इस हमले के विरोध में कांगपोकपी में दो दिन से महिलाओं का प्रदर्शन जारी है। ये महिलाएं NH-2 पर पोस्टर लेकर बैठी हैं।

इनकी मांग है कि पहाड़ी इलाकों में असम राइफल्स को तैनात किया जाए। इन लोगों ने विवादों में रहे सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम AFSPA को दोबारा लागू करने की मांग भी की।

इंफाल में कुल 19 पुलिस स्टेशनों को AFSPA से बाहर रखा गया है, जो हिंसा से जूझ रहे इलाकों में सेना को व्यापक शक्तियां देता है।

आदिवासी एकता समिति बोली- अनुच्छेद 355 से जिम्मेदारी तय करें

आदिवासी एकता समिति (CoTU) ने भी केंद्र सरकार से पहाड़ी जिलों की तरह मणिपुर के सभी घाटी जिलों में फिर से अफस्पा लागू करने की अपील की है। समिति के मीडिया सेल समन्वयक एनजी लुन किपगेन ने कहा, ”उखरूल में हुई हत्याओं की वजह लिटन क्षेत्र से असम राइफल्स को हटाना है। अगर सरकार राष्ट्रपति शासन नहीं लगा सकती, तो अनुच्छेद 355 लगाने के बारे में क्या कहेंगे?”

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 355 में लिखा है- ‘यह संघ का कर्तव्य होगा कि वह प्रत्येक राज्य को बाहरी आक्रमण और आंतरिक अशांति से बचाए और यह सुनिश्चित करे कि प्रत्येक राज्य की सरकार इस संविधान के प्रावधानों के अनुसार चल रही है।’

क्या है AFSPA, जो इंफाल की 7 विधानसभाओं से हटा लिया गया था
मणिपुर में जिस अफस्पा काे दोबारा लागू करने की मांग की जा रही है, उसके विरोध में इरोम शर्मिला ने 16 साल तक भूख हड़ताल की थी। दरअसल, AFSPA को केवल अशांत क्षेत्रों में लागू किया जाता है। इन जगहों पर सुरक्षाबल बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार कर सकते हैं। कई मामलों में बल प्रयोग भी हो सकता है।

पूर्वोत्तर में सुरक्षाबलों की सहूलियत के लिए 11 सितंबर 1958 को यह कानून पास किया गया था। अशांत क्षेत्र कौन-कौन से होंगे, ये भी केंद्र सरकार ही तय करती है। बात अगर मणिपुर की करें तो यहां पीपुल्स लिबरेशन आर्मी सक्रिय है, जो सेना पर हमले करती रहती है।

जिन पांच जिलों में AFSPA लागू करने की मांग की गई है उनमें चुराचांदपुर, कांगपोकपी, चंदेल, टेंग्नौपाल और फेरज़ावल शामिल हैं।

थोवाई कुकी के हमलावरों की तलाश जारी
थोवाई कुकी में हमले और हत्या के बाद शुक्रवार देर रात तक तलाशी अभियान शुरू हुआ, जो आज भी जारी है। असम राइफल्स के एक अधिकारी ने बताया खुफिया रिपोर्ट्स के आधार पर हम दूसरी जगहों पर भी बदमाशों की तलाश कर रहे हैं।

कुकी छात्र संगठन (KSO) के उखरुल अध्यक्ष गिगिन ने कहा, ‘शुक्रवार रात पुलिस से मीटिंग हुई है। एसपी ने आश्वासन दिया है कि गांव के पास BSF की एक टीम तैनात होगी। यहां 50 घर हैं, सभी में कुकी परिवार हैं। इतने महीनों में थोवाई कुकी गांव पर कभी हमला नहीं हुआ, इसलिए सभी ने मान लिया कि इसे निशाना नहीं बनाया जाएगा। लेकिन अब चीजें बदल गई हैं। वे लोग जंगल में छिपे होंगे।’

AFSPA के जरिए सैन्य बलों को क्या विशेषाधिकार दिए गए?

इस एक्ट के जरिए सशस्त्र बलों को अशांत क्षेत्रों में शांति बनाए रखने के लिए विशेष अधिकार दिए गए हैं।

  • सशस्त्र बल कानून का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को चेतावनी देने के बाद बल प्रयोग और उस पर गोली चलाने की भी अनुमति देता है। यहां ध्यान रखने वाली बात ये है कि किसी भी तरह की कार्रवाई से पहले चेतावनी देना जरूरी है।
  • इस एक्ट के तहत सैन्य बलों को बिना अरेस्ट वारंट किसी व्यक्ति को संदेह के आधार पर गिरफ्तार करने, किसी परिसर में प्रवेश करने और तलाशी लेने का भी अधिकार है।
  • एक्ट की बड़ी बात ये है कि जब तक केंद्र सरकार मंजूरी न दें, तब तक सुरक्षा बलों के खिलाफ कोई मुकदमा या कानूनी कार्यवाही नहीं हो सकती है।

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मणिपुर हिंसा की जांच 53 अफसर करेंगे

16 अगस्त को इंफाल पूर्व में यिंगांगपोकपी में लामलाई केंद्र गांव में ग्वालताबी के विस्थापितों ने प्रदर्शन किया।

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मणिपुर हिंसा के मामलों की जांच के लिए CBI ने बुधवार को 53 अफसरों की लिस्ट तैयार की है। इनमें 29 महिलाएं शामिल हैं। इन अफसरों को देशभर के CBI ऑफिस से इकट्‌ठा किया गया है।CBI ने तीन DIG और एक पुलिस सुपरिंटेंडेंट को जांच की निगरानी करने के लिए भेजा है। पढ़ें पूरी खबर…

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