भास्कर ग्राउंड रिपोर्ट: आतंकियों का निशाना थे कश्मीरी पंडित संदीप, गलती से सेल्समैन को मार डाला

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श्रीनगर7 घंटे पहलेलेखक: मुदस्सिर कुल्लू

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5 हफ्ते में 14 हत्याएं हो चुकी हैं, कश्मीरी पंडित दहशत में हैं।

जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडित लगातार आतंकियों के निशाने पर हैं। दो दिन पहले पुराने श्रीनगर में हुए हमले में आतंकियों के निशाने पर ड्राई फ्रूट शॉप चलाने वाले कश्मीरी पंडित डॉ. संदीप मावा थे, लेकिन अंधेरे के चलते सेल्समैन इब्राहिम खान मारा गया। मावा ने बताया, ‘मैं सोमवार को दुकान पर था। दोपहर तीन बजे पुलिस का फोन आया और बताया कि आपकी जान को खतरे का इनपुट मिला है।

मैं तत्काल घर के लिए निकल गया। सेल्समैन से कहा कि शाम को गाड़ी घर पहुंचा देना। शाम को पता चला कि इब्राहिम मारा गया। मुझे उसकी मौत का हमेशा पछतावा रहेगा। काश…आतंकी मुझे मार डालते।’मावा उन चुनिंदा कश्मीरी पंडितों में से एक हैं, जिन्हें पुलिस ने सुरक्षा दी है। मावा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के खात्मे के बाद कश्मीर लौटे हैं। 1990 के दशक में उनके पिता पर हमला हुआ था, लेकिन वे बचे गए थे।

मावा ने कहा कि ऐसे हमलों से डरकर वे कश्मीर नहीं छोड़ेंगे। चश्मदीदों ने बताया, इब्राहिम जैसे ही गाड़ी में बैठा, फायरिंग शुरू हो गई। इब्राहिम के भाई फैयाज अहमद ने बताया, इब्राहिम अपने पीछे पत्नी, 19 वर्षीय बेटे और 16 साल की बेटी को छोड़ गए हैं। हमले की जिम्मेदारी मुस्लिम जनबाज फोर्स नामक आतंकी संगठन ने ली है।

कॉलोनियों में पहरा, सुरक्षाकर्मी दरवाजे तक पहुंचा रहे सामान
सुरक्षा के मद्देनजर घाटी में कश्मीरी पंडितों की कॉलोनी में सख्त पहरा है। शेखपुरा बडगाम, नटनुसा (कुपवाड़ा), खीर भवानी मंदिर (गांदरबल), हाल (पुलवामा) और मट्‌टन एंड वेसु (अनंतनाग) स्थित कश्मीरी कॉलोनियों में लॉकडाउन जैसे हालात हैं। बाहरी शख्स की एंट्री बैन है। यहां तक कि जरूरी सामान भी दरवाजे तक पहुंचाए जा रहे हैं। लोगों को बाहर न निकलने की हिदायत दी गई है।

सुरक्षा अधिकारी इन कॉलोनियों में नियमित रूप से पहुंच रहे हैं। पिछले 5 हफ्ते में घाटी में 14 नागरिकों की हत्या हुई है। इनमें 7 गैर मुस्लिम, चार प्रवासी मजदूर, दो कश्मीरी पंडित और एक सिख महिला है। इन हमलों को देखते हुए कश्मीर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। घाटी में कम से कम 5000 अतिरिक्त पैरामिलिट्री के जवान तैनात किए गए हैं, इनमें अकेले 3000 की तैनाती श्रीनगर में हुई है, जहां ज्यादातर हत्या हो रही है।

808 कश्मीरी पंडित परिवार ऐसे जिन्होंने कभी भी घाटी नहीं छोड़ी
808 कश्मीरी पंडित परिवारों ने कभी भी घाटी नहीं छोड़ी। हत्याओं के इस दौर के बाद ज्यादातर कश्मीरी पंडित सुरक्षित ठिकानों पर या जम्मू चले गए हैं। सरकारी विभागों में काम करने वाले कश्मीरी पंडित घरों में हैं। इनमें कई कॉलेजों में फैकल्टी हैं, लेकिन इन हमलों के बाद कोई कैंपस नहीं जा रहा है। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि कश्मीरी पंडितों को सुरक्षा मुहैया कराई गई है।

किराना दुकान चलाने वाले कश्मीरी पंडित संजय कहते हैं कि हम दहशत में है। बिंद्रू की मौत के एक हफ्ते बाद तक मैंने दुकान नहीं खोली। परिवार को हर वक्त चिंता रहती है। प्रशासन कह रहा है कि सभी प्रकार के सुरक्षा कदम उठाए गए हैं तो ये हत्याएं क्यों नहीं रुक रही हैं? परिवार के साथ श्रीनगर में रहने वाले कश्मीरी पंडित चुन्नीलाल कहते हैं कि कुछ भी हो जाए, हम घाटी नहीं छोड़ेंगे।

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