भास्कर ओपिनियन – मतदान आज: नेताओं की गर्जना बंद, अब राजस्थान में मतदाता बोलेंगे

22 मिनट पहलेलेखक: नवनीत गुर्जर, नेशनल एडिटर, दैनिक भास्कर

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राजस्थान में बड़े दिनों से बादल गरज रहे थे। ओले और बारिश की भी संभावना है। बादलों की तरह ही नेता भी गरज-बरस रहे थे। अब सबकी बोलती बंद हो गई है। शनिवार को मतदान है और इस दिन केवल मतदाता बोलेगा। और कोई नहीं। वैसे तो राजस्थान में लम्बे अरसे से ‘तू चल, मैं आया’ यानी हर बार सरकार बदलने वाली परम्परा चली आ रही है। भाजपा ने वैसे कुछ ख़ास किया नहीं है, लेकिन उसे इस परम्परा का बड़ा आसरा है।

पिछले पाँच चुनावों से अब तक यहाँ एक बार वसुंधरा राजे और दूसरी बार अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बनते रहे। इस बार कई साल बाद भारतीय जनता पार्टी ने अपना भावी मुख्यमंत्री घोषित नहीं किया। कांग्रेस की सरकार रिपीट होती है तो अशोक गहलोत के रिपीट होने की संभावना ज्यादा है, लेकिन सरकार का गणित भाजपा के पक्ष हमें बैठता है तो मुख्यमंत्री कौन बनेगा, यह तय नहीं है।

दूसरी ओर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हर बार सरकार बदलने की परम्परा वाली बात मानने को तैयार नहीं हैं। वे कहते हैं हमारी योजनाएँ, हमारी घोषणाएं ऐसी हैं कि इस बार राज्य का मतदाता अपनी ही परम्परा को बदल देगा।

भाजपा कांग्रेस सरकार की योजनाओं और घोषणाओं की कमियाँ-ख़ामियाँ गिनाने में लगी रही। चुनाव आयोग का नियम है छत्तीस घंटे पहले चुनाव प्रचार बंद हो जाता है। सो हो गया। अब दोनों ही पक्ष चुप्पी साधे बैठे हैं। घरों, मोहल्लों में जाकर लोगों को मना रहे हैं। दोनों ही पार्टियों के बड़े नेता अब तेलंगाना जा धमके हैं।

वहाँ वोटिंग तीस नवंबर को होनी है। सो प्रचार के लिए पाँच में से अब एक मात्र तेलंगाना ही बचा है। कहते हैं वहाँ इस बार कांग्रेस का ज़ोर है। भारत राष्ट्र समिति हालाँकि अपर हैंड पर मानी जाती रही है, लेकिन यह सच है कि भाजपा की ज़्यादा ताकत तेलंगाना में दिखाई नहीं दे रही है।

बहरहाल, मौसम ठंड का है। सर्दी बढ़ रही है और तमाम पक्षों के सभी नेताओं के कान खड़े हो गए हैं। तीन दिसंबर इन सब नेताओं की परीक्षा के परिणाम का दिन होगा। फेल- पास के इस गणित में कौन कहाँ रहता है, यह तीन दिसंबर को ही पता चल पाएगा।

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