भास्कर ओपिनियन-बेंगलुरु में नया प्रयोग: प्रमुख सड़कों से पीक ऑवर्स में गुजरने वाली कारों पर ज़्यादा टैक्स लगाने की योजना

24 मिनट पहले

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बेंगलुरु में ट्रैफ़िक समस्या को कम करने के लिए एक नया फ़ॉर्मूला लाने की तैयारी चल रही है। पीक ऑवर्स में प्रमुख सड़कों से जो गाड़ियाँ गुजरेंगी उन पर अलग से ज़्यादा टैक्स लगेगा।

जगह- जगह बैरियर लगाने की सिफ़ारिश की गई है। पैसा फ़ास्ट ट्रैक के ज़रिए खुद ब खुद कट जाएगा। हालाँकि अभी यह फ़ैसला लागू नहीं हुआ है लेकिन जिस कमेटी को इस बारे में ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी, उसने इसे लागू करने की सिफ़ारिश कर दी है।

वैसे यह फ़ॉर्मूला नया नहीं है लेकिन देश में कहीं लागू नहीं है। पहले दिल्ली और मुंबई में इसे लागू करने की कोशिश की गई थी लेकिन राजनीतिक दबाव के कारण अमल में नहीं लाया जा सका।

दुनिया में सिंगापुर, लंदन और स्टॉकहोम में यह फ़ॉर्मूला लागू है।

दुनिया में सिंगापुर, लंदन और स्टॉकहोम में यह फ़ॉर्मूला लागू है।

दुनिया में सिंगापुर, लंदन और स्टॉकहोम में यह फ़ॉर्मूला लागू है। बेंगलुरु में लागू हो पाता है या यहाँ भी कोई राजनीतिक अड़चन आने वाली है, यह भविष्य में पता चलेगा। ख़ैर देर सबेर यह हालत हर शहर की होने वाली है। क्योंकि कारें बढ़ती जा रही हैं और इस होड़ पर न तो किसी का क़ाबू है और न ही कोई इस होड़ को रोकने में रुचि दिखाने को तैयार है।

कई घर हमारे आस- पास ऐसे हैं जिनमें रहते तो दो ही लोग हैं लेकिन उनके पास कारें पाँच या छह हैं या दो से अधिक हैं। जब तक सरकार इस बारे में कोई नीति नहीं बनाती, भीड़ का कोई इलाज नहीं हो पाएगा। इतना ही नहीं इतनी कारों को रखने के लिए उनके घरों में भी जगह नहीं हैं।

एक के बाद एक कार सड़क पर या कॉलोनी की गलियों पर पार्क कर दी जाती हैं। आने – जाने वालों का रास्ता रोककर पार्क की गई इन कारों को हटाने में भारी मशक़्क़त करनी होती है।

दिल्ली और मुंबई में इसे लागू करने की कोशिश की गई थी, लेकिन वो फेल रही।

दिल्ली और मुंबई में इसे लागू करने की कोशिश की गई थी, लेकिन वो फेल रही।

कारों की यह होड़ अगर रोकी नहीं गई तो शहरों का हाल बहुत बुरा होने वाला है। हो सकता है पैदल या साइकल पर चलने वाले के लिए कोई जगह ही नहीं बचे। हो सकता है सड़क दुर्घटनाएँ और भी बढ़ती जाएँ।

आख़िर इस होड़ का कोई तो इलाज करना ही होगा। क्योंकि टैक्स की मार या सख़्त क़ानून के बिना कोई मानने वाला तो है नहीं। इसलिए बेंगलुरु में जो पीक ऑवर्स में ज़्यादा टैक्स की योजना है, एक बार लागू हो जाए तो बाक़ी शहरों के लिए भी रास्ता खुल जाएगा।

हालाँकि हमारे देश में राजनीति और नेताओं पर कोई अंकुश नहीं है। उनके चार समर्थक अगर फ़ोन कर दें तो वे अच्छी भली योजना को तितर- बितर कर सकते हैं। मुंबई और दिल्ली में यही तो हुआ था। उद्देश्य भीड़ कम करने का था लेकिन भाई लोगों ने योजना को ही फेल कर दिया। राजनीति की इस मानसिकता पर भी अंकुश लगाने की ज़रूरत है।

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