भास्कर ओपिनियन- क्रिकेट: वर्ल्ड कप फ़ाइनल की समीक्षा को समर्पित रहा ये सोमवार

8 मिनट पहलेलेखक: नवनीत गुर्जर, नेशनल एडिटर, दैनिक भास्कर

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सोमवार समीक्षा में बीता। वर्ल्ड कप फ़ाइनल की। लगा रहा देशभर। ये न होता तो नहीं हारते। वो हो जाता तो जीत जाते। रोहित शर्मा ने जब छक्के और चौके से दस रन ठोक लिए थे, फिर अगली बॉल पर गलत शॉट खेलने की क्या ज़रूरत थी? विराट और राहुल जैसे बैट्समैन बीस ओवर में एक चौका ही लगा पाए! ये कौनसी बैटिंग थी? ऑस्ट्रेलिया वाले तो खूब मार रहे थे। हमें क्या हो गया था?

हेड का वो कैच क्यों नहीं लिया गया। बॉल पकड़ लेते तो मैच पकड़ में आ जाता। स्पिनर तो हमारे चले ही नहीं। सूर्या पूरे वक्त टुच- टुच करते रहे और जब मारने की बारी आई तो आउट हो गए। इनसे तो कुलदीप यादव और सिराज ने ठीक- ठाक रन जोड़ दिए! कई तरह की बातें? तरह- तरह के उलाहने और तर्क- वितर्क भी।

वर्ल्ड कप हारने के बाद निराश भारतीय कप्तान रोहित शर्मा और विराट कोहली।

वर्ल्ड कप हारने के बाद निराश भारतीय कप्तान रोहित शर्मा और विराट कोहली।

कोई यह सब रोते- रोते कह रहा था। कोई यह सब कहते- कहते रो रहा था। अब गई बात चार साल पर। जाने तब रोहित और विराट टीम में रहेंगे भी या नहीं! हो सकता है जडेजा भी तब तक टीम में न रहें। उम्मीदें ही टूट गईं। अब कौन लाएगा वर्ल्ड कप?

ख़ैर, ये सवाल, ये चर्चा तीन दिन और रहेंगी। 23 नवंबर से इंडिया-ऑस्ट्रेलिया के बीच टी20 सीरीज़ खेली जानी है। वर्ल्ड कप की हार का बदला हम इस सीरीज़ में लेना चाहेंगे और हमारे हर रन और उनके हर विकेट पर फिर से ज़ोर- ज़ोर से तालियाँ बजाने वाले हैं। जहां तक वर्ल्ड कप में हमारी हार का सवाल है, यही दुख दक्षिण अफ्रीका और न्यूज़ीलैंड ने भी झेला है।

ऑस्ट्रेलिया बड़ी जाँबाज़ टीम है। प्रोफेशनल भी। उसके खिलाड़ी बड़े मैचों में ज़्यादा ताकतवर होकर उभरते हैं। वे किसी दबाव में नहीं आते या कह सकते हैं बहुत कम आते हैं।

हमारे खिलाड़ियों पर भावनात्मक दबाव कुछ ज़्यादा ही रहता है। वे उसी के भार में दबे रह जाते हैं। लीग मैचों में हमारा कोई जवाब नहीं, लेकिन बड़े मैच आते ही पैर धूजने लगते हैं। खिलाड़ियों के भी और क्रिकेट प्रेमियों के भी।

ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम ने रविवार को छठी बार वर्ल्ड कप का खिताब जीता।

ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम ने रविवार को छठी बार वर्ल्ड कप का खिताब जीता।

रविवार को कई प्रशंसक तो हमारी बैटिंग के तीस ओवर बाद ही टीवी छोड़ निराश हो चुके थे। कुछ ने बाद में सूर्या से आस लगाई। इनमें से भी कुछ ऐसे थे जो सूर्या के फेल हो जाने पर शमी से आस लगाए बैठे रहे। शमी ने पहली ही बॉल पर विकेट लेकर आस जगाई भी, लेकिन बाद में ज़्यादा कुछ कर नहीं पाए।

कुल मिलाकर बीता रविवार हमारे लिए नहीं बना था। कुछ लोगों ने तो यह तर्क भी दिया कि ऑस्ट्रेलिया पाँच वर्ल्ड कप जीत चुका था, हमारे लिए ये एक हार भी जाता तो उसका क्या बिगड़ जाता। छोटा सा तो देश है। इतने वर्ल्ड कप रखेगा कहाँ?