भास्कर इन्वेस्टिगेशन-कश्मीरी पंडितों की वापसी 370 हटने पर भी मुश्किल: पुनर्वास के लिए 8465 करोड़ का बजट है, लेकिन खर्च के लिए ग्रीन सिग्नल नहीं

श्रीनगर18 मिनट पहले

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घाटी पर अत्याचार को लेकर कश्मीरी पंडित 1990 से आवाज उठाते आए हैं।

अनुच्छेद 370 हटने के बाद भी घाटी में कश्मीरी पंडितों की वापसी मुश्किल बनी हुई है। 419 परिवारों ने बिना सरकारी मदद के घाटी में लौटने के लिए हिम्मत दिखाई और केंद्रीय गृह मंत्रालय में आवेदन दिया, लेकिन 5 साल बाद भी उन्हें जवाब नहीं मिला। ये 419 उन 60 हजार परिवारों में से ही हैं, जिन्होंने 1989 के आतंकी हमलों के चलते घाटी छोड़ दी थी।

बड़ी बात यह है कि फरवरी 2021 में गृह मंत्रालय राज्य प्रशासन से कह चुका है कि पंडितों के कश्मीर में पुनर्वास के लिए राज्य बजट का 2.5% हिस्सा खर्च करें। फिर भी प्रशासन ने अब तक कुछ नहीं किया और इस नीतिगत योजना को लागू भी नहीं किया।

बीते दिनों उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने एक कार्यक्रम में पुनर्वास जल्द शुरू होने के संकेत दिए थे, लेकिन ये कब से शुरू होगा, इस पर प्रशासन चुप है।फिलहाल केंद्रशासित जम्मू-कश्मीर में 2019 से उप राज्यपाल का शासन है, इसलिए बजट का पैसा केंद्र से उप राज्यपाल और फिर वित्त विभाग के पास आता है।

बीते तीन साल में केंद्र से राज्य को 3.38 लाख करोड़ रु. मिले। यदि इस बजट का 2.5% पैसा पुनर्वास के लिए मिला होता तो 8465 करोड़ रुपए खर्च होते, लेकिन प्रशासन ने इसके लिए पैसा जारी किया, न पुनर्वास हुआ।

फोटो 2003 नदिमार्ग नरसंहार की है, पुलवामा जिले के नदिमार्ग गांव में आतंकियों ने 24 हिंदुओं को मौत के घाट उतार दिया था, इनमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल थीं।

फोटो 2003 नदिमार्ग नरसंहार की है, पुलवामा जिले के नदिमार्ग गांव में आतंकियों ने 24 हिंदुओं को मौत के घाट उतार दिया था, इनमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल थीं।

कश्मीरी पंडित बोले- घर हम बना लेंगे, सिर्फ सरकार जमीन दे दे…
1989 में उत्तर कश्मीर के बारामूला जिले में रहने वाले भरत काचरू अभी जम्मू में रह रहे हैं। काचरू कहते हैं कि उत्तर, मध्य और दक्षिण कश्मीर में बसने के लिए हमने तीन जगह सरकार को बताई हैं। हमें सिर्फ जमीन उपलब्ध हो जाए तो घर हम बना लेंगे। वहीं, कश्मीरी प्रवासियों की वापसी, सुलह व पुनर्वास मामलों से संबंधित समिति के अध्यक्ष महालदार कहते हैं कि 6 महीने पहले 76 पंडित परिवारों ने भी सरकार से यही बात कही थी। साथ ही, इस काम में मदद के लिए एक नोडल ऑफिसर नियुक्त करने की मांग की थी, लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ।

अफसर खामोश… पुनर्वास कब से?
इसका जवाब देने से कतरा रहेभास्कर के इस सवाल पर कश्मीर के डिवीजनल कमिश्नर विजय कुमार बिधूरी बोले- सही जवाब राहत एवं पुनर्वास विभाग ही दे सकता है। जब पुनर्वास विभाग के अधिकारी ललित भट्‌ट से पूछा तो उन्होंने कहा कि 2.5% बजट की बात प्रक्रिया में है। बाकी बात विभाग के कमिश्नर बता देंगे।

उधर, कमिश्नर कुलदीप कृष्ण सिद्धा ने कहा- मेरा ट्रांसफर हो गया है। इस पर कुछ नहीं बता पाऊंगा।नए कमिश्नर डॉ. अरविंद करवानी से पूछा तो वो बोले- मैंने अभी ज्वाइन किया है। वैसे मेरे लिए इस मुद्दे पर बोलना उचित नहीं होगा।

पीएम पैकेज का लाभ सिर्फ उन्हें मिल रहा, जिन्हें इस योजना के तहत नौकरी मिली
कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति के अध्यक्ष संजय टिक्कू ने बताया कि साल 2008 और 2016 में पीएम पैकेज के तहत राज्य को अब तक 922 करोड़ रु. मिले हैं, जिनमें 6000 छोटे घर बन रहे हैं। यहां 5600 कश्मीरी पंडित रहेंगे, जिन्हें इस पैकेज के तहत रोजगार मिला है। लेकिन, ये पैसा पुनर्वास बजट में शामिल नहीं है। ये घर भी सरकारी प्रॉपर्टी हैं, जो कर्मचारी काम छोड़ेगा, उसे यह क्वार्टर भी छोड़ना पड़ेगा।सतीश महालदार कहते हैं कि हम पीड़ित हैं और हमें वापसी की सुविधा देना सरकार का दायित्व है।

आरटीआई से पुनर्वास बजट का पता चला, लेकिन ये लागू नहीं
दिल्ली में रहकर पुनर्वास और वापसी की लड़ाई लड़ रहे संगठन के चेयरमैन सतीश महालदार कहते हैं कि 3 दशक में जो भी सरकार आई, सबने वापसी का सपना दिखाया, लेकिन वापसी की तारीख नहीं बताई। राहत एवं पुनर्वास विभाग में अप्रैल 2022 में आरटीआई लगाई तो पता चला कि राज्य बजट का 2.5% हिस्सा हमारे पुर्नवास पर खर्च करने का फैसला नीतिगत है, लेकिन ये अभी लागू नहीं हुआ है। विभाग का तर्क है कि जब भी सरकार इस पर निर्णय लेगी, तब लागू करेंगे।

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