बेंगलुरु में दुकानों के साइनबोर्ड पर 60% कन्नड़ जरूरी: 28 फरवरी लास्ट डेट, नियम नहीं माना तो लाइसेंस रद्द होगा

बेंगलुरु2 मिनट पहले

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कॉन्सेप्ट इमेज।

बेंगलुरु की सभी दुकानों, होटल्स और मॉल्स में लगे साइबोर्ड में 60% कन्नड भाषा होनी चाहिए। इसके लिए दुकानों के मालिकों को 28 फरवरी तक का समय दिया गया है। ऐसा न करने पर दुकानों का लाइसेंस रद्द किया जा सकता है। यह निर्देश बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (BBMP) ने दिए हैं।

BBMP के मुख्य आयुक्त तुषार गिरि नाथ ने कहा- इसे लागू कराने की जिम्मेदारी सिविक बॉडी की है। जिस इलाके में निर्देशों का पालन नहीं हुआ, वहां के सिविक बॉडी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

तुषार गिरि नाथ ने कहा कि शहर के 1400 किमी एरिया में मेन सड़कें और सब-वे हैं। इन सड़कों पर स्थित सभी दुकानों का सर्वे किया जाएगा। इस दौरान साइनबोर्ड में 60% कन्नड भाषा का इस्तेमाल न करने वालों को नोटिस दिया जाएगा। इसके बाद उन्हें 28 फरवरी तक का समय दिया जाएगा, जिससे वे साइनबोर्ड में बदलाव कर सकें। फिर भी नियमों का पालन नहीं हुआ तो कार्रवाई होगी।

कर्नाटक सरकार ने साल 2017 में ही दुकानों के साइनबोर्ड में कन्नड़ भाषा का इस्तेमाल करने से जुड़ा नियम बनाया था। इसके बावजूद कानून का पालन नहीं हो रहा है। इसके विरोध में कन्नड़ के संगठन प्रदर्शन कर रहे थे। जिसके बाद BBMP ने यह फैसला लिया है।

महिला इलाके के दुकानदारों को धमका रही है।

महिला इलाके के दुकानदारों को धमका रही है।

दुकानदारों को धमकाने का वीडियो वायरल
BBMP के इस आदेश के बीच कर्नाटक के एक स्थानीय संगठन की समर्थक महिला का दुकानदारों को धमकी देने का वीडियो वायरल हो रहा है। वीडियो में महिला कह रही है – यह कर्नाटक है। कन्नडिगा (कन्नड़ बोलने वाले लोग) इस राज्य का गौरव हैं। आप जाइए और अपने राज्य पर अपना गौरव दिखाइए। मारवाड़ियों, अगली बार जब आप कहेंगे कि आप कन्नड़ नहीं जानते, तो आप निशाने पर होंगे।

महिला की धमकी से वीडियो में दिख रहे लोग डरे हुए नजर आ रहे हैं। वीडियो में दिख रही दुकानों के साइनबोर्ड में कन्नड़ भाषा दिख रही हैं। हालांकि, कुछ साइनबोर्ड में हिंदू और अंग्रेजी भी लिखी है।

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अक्टूबर 2023 में कहा था- यहां कई भाषाएं बोलने वाले लोग आकर बस गए हैं, लेकिन हम सभी को कन्नड़ बोलनी चाहिए। उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा था- तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में स्थानीय भाषा सीखे बिना रहना मुश्किल है, लेकिन कर्नाटक में आप जिंदा रह सकते हैं। कन्नड़िगा दूसरे राज्यों के लोगों को अपनी भाषा सिखाने के बजाय उनकी भाषा सीख रहे हैं।

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