पंजाब की सियासत में ‘गुरु’ की किसी से न जमी: जेटली को अमृतसर से टिकट देने से खफा होकर छोड़ी थी भाजपा, AAP के साथ बात नहीं बनी तो कांग्रेस के हो लिए

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  • अमृतसर से टिकट मिलने से खफा थे स्वर्गीय जेटली, राज्यसभा भी गए, लेकिन 82 दिनों में इस्तीफा दे दिया, अपनी पार्टी बनाई लेकिन आखिरकार 15 जनवरी 2017 को कांग्रेस में शामिल हो गए।

अमृतसर16 घंटे पहले

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पंजाब कांग्रेस के प्रधान पद से इस्तीफा दे चुके नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत अमृतसर से की थी। 2004 में पहली बार अमृतसर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा। अपने बोलने के लहजे और स्टार छवि के चलते 5 बार लोकसभा सांसद रह चुके रघुनंदन लाल भाटिया को भारी अंतर से हरा दिया।

पंजाब में भाजपा और अकाली दल में मतभेद पैदा करने का श्रेय भी सिद्धू को ही जाता है। सिद्धू ने 2014 से 2017 के बीच अकाली सरकार पर खूब निशाना साधा था और नशे को एक बड़ा मुद्दा बनाकर पेश किया। आइए नवजोत सिंह सिद्धू के सियासी करियर पर एक नजर डालते हैं..

नवजोत सिंह सिद्धू ने भाजपा के टिकट पर अमृतसर लोकसभा सीट से 2004 में चुनाव लड़ा और जीता। मगर सांसद बनते ही एक पुराने मामले पर हाईकोर्ट का फैसला आ गया। मामला 1988 में सिद्धू के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का एक मामला दर्ज हुआ था। उनके सांसद बनने के बाद यह केस फिर से खुल गया। दिसंबर 2006 में कोर्ट ने उनके खिलाफ फैसला सुना दिया और उन्हें 3 साल की सजा हुई। नियमों अनुसार सिद्धू को जनवरी 2007 में लोकसभा सांसद के पद से इस्तीफा देना पड़ा।

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला तो दोबारा लड़ा चुनाव
हाईकोर्ट के फैसले के बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने गैर इरादतन हत्या मामले में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुनवाई शुरु हुई तो फरवरी 2007 में सिद्धू एक बार फिर अमृतसर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का मौका मिला। यह चुनाव उन्होंने अब के उप-मुख्यमंत्री ओपी सोनी के खिलाफ लड़ा था। इसमें भी जीत हासिल की।

सीट नहीं मिलने से खफा हुए थे सिद्धू
2014 के चुनावों में बादल परिवार के कहने पर दिवंगत भाजपा नेता अरुण जेटली को अमृतसर से सीट मिल गई। जिसके बाद से ही सिद्धू बीजेपी से खफा नजर आने लगे। जेटली के सामने कैप्टन अमरिंदर सिंह चुनाव में खड़े हो गए और तकरीबन 2 लाख वोटों से जेटली को हार का मुंह देखना पड़ा। इसके बाद भी सिद्धू की नाराजगी कम न हुई। इसके बाद उनका मनमुटाव बादल परिवार से भी शुरु हो गया। उन्होंने बादल परिवार को नशे के खिलाफ निशाने पर लेना शुरु कर दिया।

अप्रैल 2016 में राज्यसभा सदस्य बने
अमृतसर से चुनाव न लड़ पाने की वजह से नवजोत सिंह सिद्धू काफी नाराज थे। इस बीच उनके भाजपा छोड़ने की खबरें आने लगीं। इसके बाद भाजपा ने उनके गुस्से को शांत करने के लिए अप्रैल 2016 में राज्यसभा भेज दिया। लेकिन वह उससे भी खुश नहीं हुए। पंजाब विधानसभा चुनाव में भी पार्टी की ओर से नजरअंदाज किए जाने पर सिद्धू ने जुलाई 2016 में बीजेपी और राज्यसभा की सदस्य‍ता से इस्तीफा दे दिया।

15 जनवरी 2017 जब नवजोत सिंह सिद्धू ने कांग्रेस जॉइन की थी।

15 जनवरी 2017 जब नवजोत सिंह सिद्धू ने कांग्रेस जॉइन की थी।

AAP से बातचीत चली, फिर कांग्रेस का हाथ थामा
भाजपा छोड़ने के बाद सिद्धू मजबूत पार्टी को ढूंढने में जुट गए। इस बीच उनके आम आदमी पार्टी (आप) में शामिल होने की अटकलें शुरु हो गई। कई बार सिद्धू ने आम आदमी पार्टी की तारीफें भी की। आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने भी सिद्धू से बातचीत की बात मानी। लेकिन अंत में 3 महीनों की बातचीत के बाद वह कांग्रेस में शामिल हो गए।

कब-कब हुई सिद्धू की कांग्रेस हाईकमान से मुलाकात
– सितंबर 2016 में राहुल गांधी से पहली मुलाकात की।
– 22 नवंबर 2016 को राहुल गांधी और फिर प्रियंका गांधी से मिले।
– 23 नवंबर 2016 को राहुल गांधी से दोबारा मुलाकात की।
– जनवरी 2017 के पहले हफ्ते कैप्टन से भी औपचारिक मुलाकात
– 10 जनवरी 2017 को सोनिया, राहुल और फिर प्रियंका से मिले।
– 15 जनवरी 2017 को राहुल से मुलाकात के साथ कांग्रेस में एंट्री।

जॉइनिंग के समय भी सिर्फ एक बार कैप्टन से मिले थे सिद्धू
कहा जाता है कि सिद्धू के कांग्रेस जॉइन करने के समय 3 महीनों तक हाईकमान से बातचीत हुई थी। हाई कमान से सिद्धू की पांच मुलाकातें हुई। लेकिन कैप्टन को वह पहले से ही कभी सिद्धू ने तवज्जो नहीं दी। बातचीत के बीच भी सिद्धू कैप्टन से मात्र एक बार ही मिले और 15 जनवरी 2017 को उन्होंने राहुल गांधी के पास जाकर कांग्रेस ज्वॉइनिंग की घोषणा कर दी थी।

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