नवोदय एंट्रेस में टॉपर था 16 साल का आतंकी बिलाल: कुलगाम एनकाउंटर में 4 आतंकियों के साथ मारा गया; टारगेट किलिंग में शामिल रहा

जम्मू12 मिनट पहलेलेखक: वैभव पलनीटकर

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इसी साल फरवरी महीने की बात है, कश्मीर घाटी के दक्षिणी जिले अनंतनाग में हम कश्मीरी पंडित बंटू शर्मा का घर ढूंढते हुए वानपोह गांव पहुंचे। फरवरी का महीना था तो पूरे कश्मीर में रुक-रुक कर बर्फबारी हो रही थी। बंटू शर्मा के बड़े भाई राकेश शर्मा से फोन पर रास्ता पूछते हुए हम वानपोह गांव की गलियां पार करते हुए बंटू के घर तक पहुंच गए। दो मंजिला घर था, लेकिन अब वीरान था, आंगन के बाहर ही दरवाजे पर ताला। कभी इस गांव में दर्जन भर कश्मीरी पंडित रहते थे, 1990 के दशक में कश्मीर मिलिटेंसी के बाद ज्यादातर कश्मीरी पंडित परिवार भाग गए थे, लेकिन बंटू शर्मा और उनका परिवार सितंबर 2021 तक टिका रहा। लेकिन फिर आया वो मनहूस दिन…

17 सितंबर 2021, शाम 6 बजकर 5 मिनट का वक्त। अनंतनाग के वानपो में रहने वाले पुलिसकर्मी और कश्मीरी पंडित बंटू शर्मा को घर से सिर्फ 200 मीटर दूर आतंकियों ने 5 गोलियां मारीं। उन्हें तुरंत हॉस्पिटल ले जाया गया, लेकिन वे बच नहीं सके। बंटू शर्मा की टारगेट किलिंग होने के बाद से उनके पूरे परिवार को खौफ की वजह से अपना पुश्तैनी घर छोड़कर जम्मू पलायन करना पड़ा। अब भी राकेश शर्मा दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं।

बंटू शर्मा पुलिस में फॉलोवर की रैंक पर थे, उनकी हत्या की जिम्मेदारी लोकल टेररिस्ट ग्रुप कश्मीर फ्रीडम फाइटर्स ने ली थी।

बंटू शर्मा के घर के ठीक सामने एक घर खुला दिखा, हमने उस घर में जोर-जोर से आवाज लगाई, कुछ देर बाद एक महिला आई और उसने बाड़ेबंदी का दरवाजा खोला। हम उस घर में बंटू शर्मा और उनके परिवार के बारे में पता करने गए थे कि उनके परिवार को ये गांव क्यों छोड़कर जाना पड़ा? गांव के मुसलमानों ने उस कश्मीरी पंडित परिवार को क्यों नहीं रोका? जब हम घर में दाखिल हुए तो एक नई कहानी पता चली।

ये घर था बिलाल भट का। बिलाल अपने घर में बैठकर 4-5 छोटे बच्चों को मैथ्स की ट्यूशन पढ़ा रहे थे। बिलाल ने बताया कि उनके दो बेटे हैं- 14 साल का यासिर और 12 साल का मो. अफनान। यासिर 5 मई 2022 को घर से बताकर निकला था कि वो पिकनिक जा रहा है, फिर नहीं लौटा। आज कुलगाम में हुए एनकाउंटर में यही यासिर मारा गया है।

जम्मू-कश्मीर में 24 घंटे के अंदर सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच दो एनकाउंटर हुए, जिसमें 6 आतंकी मारे गए। इनमें यासिर भट्ट भी शामिल है।

जम्मू-कश्मीर में 24 घंटे के अंदर सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच दो एनकाउंटर हुए, जिसमें 6 आतंकी मारे गए। इनमें यासिर भट्ट भी शामिल है।

कौन है यासिर बिलाल
15 साल का छोटा सा लड़का जो बाद में आतंकी बन गया, ये अनंतनाग के वानपोह का रहने वाला था। यासिर के बड़े पापा बताते हैं कि यासिर जहीन लड़का था। पांवची क्लास के बाद नवोदय में छठवीं में एंट्रेंस के लिए उसने जमकर तैयारी की थी, उसने नवोदय एंट्रेंस टेस्ट में टॉप भी किया था। यासिर के पिता बिलाल ने अपने बेटे का दाखिला दिल्ली पब्लिक स्कूल जैसे महंगे स्कूल में भी कराया था।

यासिर के बड़े पापा को जब एनकाउंटर के बारे में पता चला तो वो राजधानी श्रीनगर के पुलिस मुख्यालय अपने यासिर का चेहरा आखिरी बार देखने पहुंचे हैं। बिलाल के मां-पिता भी अपने बेटे का चेहरा एक आखिरी बार देखना चाहते हैं। कश्मीर में आतंकियों की बॉडी परिवार को देना काफी पहले बंद की जा चुकी है।

बिलाल के बड़े पापा नजीर कहते हैं कहते हैं कि ‘हमें कभी भनक ही नहीं लगी कि यासिर बुरी संगत में पड़ा हुआ है। वो एकदम जहीन लड़का था, सिर्फ 14-15 साल का लड़का यासिर अचानक एक दिन ये बताकर घर छोड़ गया कि वो पिकनिक पर जा रहा है। उस दिन के बाद से आज तक बिलाल को कोई अता पता नहीं चला। ना उसने कभी फोन किया और ना ही पुलिस वालों को उसका कोई सुराख लगा। हमारे फोन ट्रैकिंग पर होते हैं, अगर यासिर हमें फोन करता तो वैसे भी पुलिस को पता लग जाता। लेकिन यासिर का कभा फोन ही नहीं आया।’

फरवरी में ही हमने कुलगाम के SSP साहिल सारंगल से पूछा यासिर के बारे में पूछा था तब उन्होंने कहा- ‘बिलाल का बेटा यासिर आधिकारिक तौर पर मिलिटेंट है, पता चला है कि उसने लश्कर-ए-तैयबा तंजीम जॉइन की है।

बिलाल और उनकी पत्नी मानने को तैयार नहीं है कि उनका बेटा आतंकी बन गया, क्योंकि अभी उसकी उम्र महज 14 साल की थी।

बिलाल और उनकी पत्नी मानने को तैयार नहीं है कि उनका बेटा आतंकी बन गया, क्योंकि अभी उसकी उम्र महज 14 साल की थी।

बंटू शर्मा के भाई राकेश शर्मा को जब हमने यासिर बिलाल के एनकाउंटर में मारे जाने की बात बताई और फोटो भेजी तो उन्होंने यासिर को तुरंत पहचान लिया। बोले कि मैंने तो यासिर को बचपन से देखा है, वानपोह में मेरे घर के सामने ही रहता था। कभी नहीं लगा कि ये लड़का एक दिन आतंकी बन जाएगा।

‘मेरे भाई बंटू की जब से टारगेट किलिंग हुई हमने वो गांव छोड़ दिया और उसके बाद कभी लौटकर तक नहीं गए। गांव छोड़ने के कुछ दिन बाद ही खबर मिली थी कि यासिर मिलिटेंट बन गया है। इसके बाद तो और भी कभी जाने का मन नहीं किया। बिलाल मेरे पड़ोसी हैं, मेरा उनके घर रोज का उठना बैठना था, हमने साथ-साथ तीज-त्योहार मनाए हैं। लेकिन अब सब कुछ पीछे छूट चुका है। कश्मीर में कौन-क्या है कुछ पता नहीं चलता, काफी कुछ अंदर-अंदर चलता रहा है। मेरा मन तो करता है कि वापस कश्मीर के अपने घर लौटूं, लेकिन ये भी पता है कि अब नहीं लौट पाऊंगा।’

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