दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा- गंदी औरत कहना अपराध नहीं: शब्द असभ्य, लेकिन इसे कहने के पीछे किसी का आपराधिक इरादा नहीं हो सकता

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नई दिल्ली7 घंटे पहले

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जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने कहा- किसी भी केस से जुड़े लोगों को केवल आरोपी और शिकायत करने वाले के रूप में देखना चाहिए। इन्हें किसी जेंडर से जोड़कर नहीं देखना चाहिए।

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार यानी 28 अगस्त को कहा कि किसी महिला को ‘गंदी औरत’ कहना या उसके साथ अभद्र व्यवहार करने को अपराध नहीं माना जाएगा। इन शब्दों को IPC की धारा 509 के तहत महिला के अपमान का अपराध नहीं माना जाएगा। यह बात जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने कही।

उन्होंने कहा- यदि अकेला ‘गंदी औरत’ शब्द कहा गया हो और कहने वाले का इरादा महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना ना हो तो यह अपराध नहीं है। एक महिला कर्मचारी ने सीनियर अधिकारी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। इसी केस की सुनवाई में जस्टिस स्वर्णकांता ने यह बात कही।

गंदी औरत शब्द से महिला को ठेस नहीं लगेगी
कोर्ट ने माना कि हालांकि गंदी औरत शब्द असभ्य है, पर इस शब्द से किसी महिला को ठेस नहीं पहुंच सकती। इस शब्द को कहने के पीछे किसी का आपराधिक इरादा नहीं हो सकता।

किसी भी कोर्ट केस को जेंडर से ना जोड़ें

कोर्ट ने कहा- किसी व्यक्ति की गरिमा के बारे में सभी के मत अलग हो सकते हैं। इसके अलावा व्यक्ति की गरिमा समाज पर भी निर्भर करती है।

कोर्ट ने कहा- किसी व्यक्ति की गरिमा के बारे में सभी के मत अलग हो सकते हैं। इसके अलावा व्यक्ति की गरिमा समाज पर भी निर्भर करती है।

कोर्ट ने कहा- अदालतों को जेंडर न्यूट्रल रहना होगा। जस्टिस स्वर्णकांता ने कहा- कानून ने महिलाओं को विशेष अधिकार दिए है, फिर भी निष्पक्ष न्याय करना हमारी जिम्मेदारी है। भारत में न्याय प्रक्रिया औरतों के फेवर में है और पुरुष इसे एक कॉम्पिटीशन की तरह देख सकते हैं। इसे केवल ऐसे देखना चाहिए कि एक शिकायत करने वाला है और एक आरोपी। इसमें जेंडर वाला प्रश्न नहीं आना चाहिए।

अपमान और असभ्य व्यवहार करना अपराध नहीं
इस मामले में कोर्ट ने महिला की गरिमा के बारे में भी विचार किया। कोर्ट ने कहा कि व्यक्ति की गरिमा कई बातों पर निर्भर करती है। इसलिए ऐसे मामलों में आरोपी का इरादा और दूसरी बातों को देखकर ही फैसला लेना चाहिए। जस्टिस स्वर्णकांता ने यह भी कहा कि महिला का अपमान करना, असभ्य व्यवहार करना, यह सब महिला की गरिमा का अपमान करने का अपराध नहीं माना जाएगा।

ये था मामला
एक महिला कर्मचारी ने अपने सीनियर अधिकारी के खिलाफ शिकायत की थी। महिला और अधिकारी के बीच ई-मेल पर कुछ विवाद चल रहा था। महिला ने वे ई-मेल भी कोर्ट से साझा किए थे। इन ई-मेल में अधिकारी महिला से ऑफिस और मीटिंग्स में आने के लिए कह रहा था। CrPC की धारा 164 के तहत महिला यह बात साबित नहीं कर पाई कि अधिकारी ने उसे गंदी औरत कहा। कोर्ट ने महिला के व्यवहार की जांच की।

कोर्ट ने फैसले में कहा कि यह साबित नहीं हो पाया कि अधिकारी का इरादा आपराधिक या अश्लील है। उसने बस कठोर और अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया।

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हाईकोर्ट ने कहा-15 साल की पत्नी से संबंध रेप नहीं

ट्रायल कोर्ट ने गवाही के दौरान महिला ने कहा था कि उसने 2014 में अपने जीजा से शादी की थी। इसके बाद दोनों की सहमति से उनके बीच शारीरिक संबंध बने।

ट्रायल कोर्ट ने गवाही के दौरान महिला ने कहा था कि उसने 2014 में अपने जीजा से शादी की थी। इसके बाद दोनों की सहमति से उनके बीच शारीरिक संबंध बने।

दिल्ली हाईकोर्ट ने 22 अगस्त को कहा कि 15 साल की पत्नी से शारीरिक संबंध बनाना रेप नहीं है। इसी तर्क के साथ एक कोर्ट मामले के आरोपी को बरी करने के खिलाफ की गई पुलिस की अपील को खारिज कर दिया था।कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि जब पति-पत्नी ने शारीरिक संबंध बनाए तो महिला की उम्र 15 साल थी। IPC की धारा 375 के तहत अगर पुरुष पत्नी के साथ संबंध बनाता है, जिसकी उम्र 15 साल से कम नहीं है, तो उसे क्राइम नहीं माना जा सकता। पूरी खबर पढ़ें

दिल्ली हाईकोर्ट ने रेप के मामला का खुद नोटिस लिया

कोर्ट ने वकील को आरोपी के खिलाफ प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड इन सेक्सुअल ऑफेंस ( POCSO) 2012 के तहत धारा 23 यानी मीडिया में नाम न उजागर हो, इसका भी पालन करें।

कोर्ट ने वकील को आरोपी के खिलाफ प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड इन सेक्सुअल ऑफेंस ( POCSO) 2012 के तहत धारा 23 यानी मीडिया में नाम न उजागर हो, इसका भी पालन करें।

दिल्ली हाईकोर्ट ने 8 अगस्त को 3 साल की बच्ची के रेप के मामले में खुद नोटिस लिया था। एक स्कूल के सफाईकर्मी पर रेप का आरोप है। इस मामले की सुनवाई अब 1 सितंबर को होगी। साउथ दिल्ली में पंचशील एनक्लेव के एक स्कूल में घटना हुई थी। इस मामले की शिकायत 2 अगस्त को हौज खास पुलिस स्टेशन में हुई थी। इसके बाद आरोपी पर पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया गया।​​​​​ पूरी खबर पढ़ें..

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