डिप्टी कलेक्टर की नियुक्ति: यूपी के चुन्नी लाल का केस 34 साल बाद बंद, सुप्रीम कोर्ट ने किया खात्मा

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली

द्वारा प्रकाशित: सुरेंद्र जोशी
अपडेट किया गया मंगल, 23 ​​नवंबर 2021 11:02 PM IST

सार

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को जारी अपने आदेश में कहा कि चूंकि प्रतिवादी अब सेवानिवृत्त हो गया है, इसलिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को लागू नहीं किया जा सकता।

कोर्ट (प्रतीकात्मक तस्वीर।)
– फोटो: आईस्टॉक

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उत्तर प्रदेश में डिप्टी कलेक्टर के पद पर नियुक्ति को लेकर 34 साल से कानूनी लड़ाई लड़ रहे चुन्नी लाल के केस को सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बंद कर दिया। चुन्नी लाल चूंकि 2019 में नौकरी से सेवानिवृत्त हो चुके हैं, इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट का आदेश अब लागू नहीं किया जा सकता।

चून्नी लाल के चर्चित केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2014 में उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया था कि वह तत्कालीन डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर चुन्नी लाल को डिप्टी कलेक्टर नियुक्त करे। इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था।

मंगलवार को जस्टिस एमआर शाह और बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि अब हाईकोर्ट के आदेश को लागू नहीं किया जा सकता, क्योंकि प्रतिवादी नंबर 1 को डिप्टी कलेक्टर के पद पर नियुक्त करने का कोई मतलब नहीं है। अदालत ने कहा कि वैसे भी दो लोगों को एक पद पर नियुक्ति नहीं दी जा सकती। ऐसे में हाईकोर्ट की ओर से जारी आदेश खारिज किए जाने योग्य है।

1985 में शुरू हुआ था कानूनी संघर्ष
उल्लेखनीय है कि 1985 में 35 डिप्टी कलेक्टर पद के लिए उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) ने परीक्षाएं आयोजित कराई थीं। 1987 में यूपीपीएससी ने दो उम्मीदवार जो नहीं आए थे, उन्हें छोड़कर सभी को नियुक्तियां दीं। इस मामले में आयोग ने दो अन्य उम्मीदवारों के नाम भेजे एक दिग्विजय सिंह और दूसरा चुन्नी लाल का। इसके बाद ही कानूनी संघर्ष शुरू हुआ।

इस बीच, अजय शंकर पांडेय नाम के उम्मीदवार ने हाईकोर्ट का रुख किया और वहां से जीतने के बाद उन्होंने 1989 में डिप्टी कलेक्टर के तौर पर पदग्रहण किया। उसके बाद यूपीपीएससी ने अपनी सिफारिश वापस ले ली, इसके विरोध में चुन्नी लाल हाईकोर्ट पहुंचे थे।

विस्तार

उत्तर प्रदेश में डिप्टी कलेक्टर के पद पर नियुक्ति को लेकर 34 साल से कानूनी लड़ाई लड़ रहे चुन्नी लाल के केस को सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बंद कर दिया। चुन्नी लाल चूंकि 2019 में नौकरी से सेवानिवृत्त हो चुके हैं, इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट का आदेश अब लागू नहीं किया जा सकता।

चून्नी लाल के चर्चित केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2014 में उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया था कि वह तत्कालीन डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर चुन्नी लाल को डिप्टी कलेक्टर नियुक्त करे। इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था।

मंगलवार को जस्टिस एमआर शाह और बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि अब हाईकोर्ट के आदेश को लागू नहीं किया जा सकता, क्योंकि प्रतिवादी नंबर 1 को डिप्टी कलेक्टर के पद पर नियुक्त करने का कोई मतलब नहीं है। अदालत ने कहा कि वैसे भी दो लोगों को एक पद पर नियुक्ति नहीं दी जा सकती। ऐसे में हाईकोर्ट की ओर से जारी आदेश खारिज किए जाने योग्य है।

1985 में शुरू हुआ था कानूनी संघर्ष

उल्लेखनीय है कि 1985 में 35 डिप्टी कलेक्टर पद के लिए उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) ने परीक्षाएं आयोजित कराई थीं। 1987 में यूपीपीएससी ने दो उम्मीदवार जो नहीं आए थे, उन्हें छोड़कर सभी को नियुक्तियां दीं। इस मामले में आयोग ने दो अन्य उम्मीदवारों के नाम भेजे एक दिग्विजय सिंह और दूसरा चुन्नी लाल का। इसके बाद ही कानूनी संघर्ष शुरू हुआ।

इस बीच, अजय शंकर पांडेय नाम के उम्मीदवार ने हाईकोर्ट का रुख किया और वहां से जीतने के बाद उन्होंने 1989 में डिप्टी कलेक्टर के तौर पर पदग्रहण किया। उसके बाद यूपीपीएससी ने अपनी सिफारिश वापस ले ली, इसके विरोध में चुन्नी लाल हाईकोर्ट पहुंचे थे।

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