टीचर्स डे पर देश के 75 शिक्षकों को राष्ट्रपति सम्मान: किसी ने शराबियों से लड़कर बच्चों को पढ़ाया तो किसी ने मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग दी

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नई दिल्ली3 मिनट पहले

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अलवर में बच्चियों को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग देतीं टीचर आशा सुमन और जोधपुर में बच्चों को हाथ धोने की सीख देतीं प्रिंसिपल डॉ. शीला आसोपा।

देशभर से 75 शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक अवॉर्ड-2023 के लिए चुना गया है। उन्हें आज टीचर्स डे के मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की तरफ से सम्मानित किया जाएगा। दिल्ली के विज्ञान भवन में होने वाले कार्यक्रम में सभी शिक्षकों को पुरस्कार में 50 हजार रुपए नकद, प्रशस्ति पत्र, शॉल, श्रीफल दिया जाएगा।

अब पढ़िए अलग-अलग राज्यों के टीचर्स की कहानियां…

राजस्थान: राज्य की दो टीचर्स को आज राष्ट्रपति की तरफ से सम्मानित किया जाएगा। एक अलवर जिले की आशा सुमन और दूसरी जोधपुर में प्रिंसिपल डॉ. शीला आसोपा हैं।

1. अलवर: मूक-बधिर से रेप हुआ तो शुरू किया मिशन

अलवर में बच्चियों को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग देतीं टीचर आशा सुमन।

अलवर में बच्चियों को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग देतीं टीचर आशा सुमन।

अलवर जिले की आशा सुमन साल 2005 से बच्चों को बारहखड़ी और एबीसीडी (एल्फाबेट) सिखा रही हैं। 2014 में राजगढ़ के खरखड़ा गांव के सरकारी स्कूल के पास एक मूक-बधिर लड़की से खेत में रेप हो गया। इस घटना के बाद उन्होंने मूक-बधिर बेटियों को आत्मरक्षा सिखाने का निर्णय लिया। इसके लिए उन्होंने मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग ली। साल 2015 में उन्होंने मूक-बधिर लड़कियों और स्कूली छात्राओं को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग देना शुरू किया। अब तक वो 190 मूक बधिर लड़कियों, 6 हजार स्कूली छात्राओं, 2 हजार महिला टीचर्स और 246 पुरुष टीचर्स को वे सेल्फ डिफेंस में ट्रेंड कर चुकी हैं।

2. जोधपुर : 8 साल बाद जिले की किसी शिक्षक को राष्ट्रपति अवार्ड

स्कूली बच्चों के साथ तालाब की सफाई के काम में जुटीं प्रिंसिपल डॉ. शीला आसोपा।

स्कूली बच्चों के साथ तालाब की सफाई के काम में जुटीं प्रिंसिपल डॉ. शीला आसोपा।

जोधपुर के राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल बावड़ी की प्रिंसिपल डॉ. शीला बच्चों को पढ़ाने के लिए ब्लैक बोर्ड तक सीमित नहीं रहीं। 5 साल की कड़ी मेहनत कर उन्होंने 35 मिनट की डिजिटल बुक तैयार कराई है। इसमें साइन लैंग्वेज से बच्चों को शब्द ज्ञान कराया जाता है।

इस डिजिटल बुक में एनिमेटेड चित्रों के जरिए चैप्टर को समझाया गया है। इस बुक को अब राजस्थान की 10 हजार से ज्यादा निजी व सरकारी स्कूलों के 10 लाख से ज्यादा बच्चे पढ़ रहे हैं। सरकारी स्कूल के बच्चों की लर्निंग स्किल बेहतर हुई है। अब उन्हें राष्ट्रपति से नेशनल टीचर अवॉर्ड मिल रहा है। जोधपुर की किसी टीचर को यह राष्ट्रपति अवॉर्ड 8 साल बाद मिला है। इससे पहले 2015 में कल्पना दाधीच, 2014 में प्रिंसिपल अनिल कुमारी राठौड़ व शिक्षिका मीना जांगिड़ को यह अवॉर्ड मिला था। पूरी खबर पढ़ें …

उत्तरप्रदेश: राज्य के फतेहपुर जिले की आसिया फारुकी, मेरठ के सुधांशु शेखर और बुलंदशहर के चंद्र प्रकाश पुरस्कार के लिए चुने गए हैं।

1. फतेहपुर: बच्चों को पढ़ाने के लिए शराबियों से लड़ी

आसिया ने सिर्फ 4 साल में अपने स्कूल को फतेहपुर जिले का पहला मॉडल स्कूल बना दिया।

आसिया ने सिर्फ 4 साल में अपने स्कूल को फतेहपुर जिले का पहला मॉडल स्कूल बना दिया।

फतेहपुर के प्राथमिक विद्यालय अस्ती में आसिया के आने से पहले भी कई अध्यापकों की पोस्टिंग हुई, लेकिन ज्यादा दिन तक कोई भी टिक नहीं सका। यह स्कूल शराबियों का अड्डा था। यहां नशेड़ी जुआं खेलते थे और बाकी बची जगह में लोग अपने जानवर बांधते थे।आसिया ने स्कूल पहुंचकर सबसे पहले शराबियों से लड़कर उन्हें हटाया और जर्जर स्कूल को अच्छा बनाया। उन्होंने विद्यालय को सजाने के लिए अपनी आधी सैलरी तक दे डाली। आज स्कूल में 5 की जगह 250 बच्चे पढ़ रहे हैं। इन्हीं सब कामों के लिए आसिया को सम्मान मिल रहा है।

2. बुलंदशहर: चंद्र प्रकाश ने स्कूल में बना डाला स्पेस लैब

स्कूल में बनी स्पेस लैब में लड़कियों को लेक्चर देते चंद्र प्रकाश अग्रवाल।

स्कूल में बनी स्पेस लैब में लड़कियों को लेक्चर देते चंद्र प्रकाश अग्रवाल।

राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार पाने वाले यूपी के दूसरे टीचर बुलंदशहर के शिवकुमार जनता इंटर कॉलेज के चंद्र प्रकाश अग्रवाल हैं। चंद्र प्रकाश ने अपने विद्यालय को जिले का पहला हाईटेक स्कूल बना दिया। कॉलेज में लड़कियों को निःशुल्क शिक्षा दी जाती है। साथ ही विद्यालय की अपनी वेबसाइट भी है। स्कूल का अपना मोबाइल एप भी है। इसके साइंस स्टूडेंट्स के लिए ‘आर्यभट्ट खगोलीयशाला’ नाम की स्पेस लैब भी है। जहां बच्चों को खगोलीय शिक्षा के साथ प्रैक्टिकल साइंस के बारे में जानकारी मिलती है।

3. मेरठ: सुधांशु ने बच्चों में मॉडर्न लर्निंग स्किल बढ़ाई

सुधांशु शेखर बच्चों को कई स्टेट लेवल प्रतियोगिताओं में हिस्सा दिलवाते हैं।

सुधांशु शेखर बच्चों को कई स्टेट लेवल प्रतियोगिताओं में हिस्सा दिलवाते हैं।

मेरठ के केएल इंटरनेशनल स्कूल के सुधांशु शेखर भी पुरस्कार के लिए चुने गए हैं। सुधांशु इकोनॉमिक्स के विशेषज्ञ हैं। साल 2013 से वह केएल इंटरनेशनल स्कूल में बतौर प्रिंसिपल कार्यरत हैं। साथ ही CBSE बोर्ड में सिटी कोऑर्डिनेटर भी हैं। सुधांशु को बच्चों में रोचक तरीके से लर्निंग स्किल्स डेवलप करने के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार दिया जा रहा है। पूरी खबर पढ़ें…

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