जानिए ओमिक्रॉन वायरस का मैकेनिज्म: पहले से इंसानी शरीर में मौजूद जुकाम के वायरस से किया म्यूटेशन, धोखा खा जाता है इम्यून सिस्टम

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9 मिनट पहले

कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के शरीर के इम्यून सिस्टम और एंटीबॉडीज को धोखा देने का कारण बहुत हद तक पता चल गया है। एक साइंटिफिक रिसर्च में सामने आया है कि इस वैरिएंट ने ऐसे किसी अन्य वायरस के जेनेटिक मटीरियल के साथ म्यूटेशन कर लिया है, जिसे इंसानी शरीर का इम्यून सिस्टम पहले से पहचानता है। रिसर्चर्स का मानना है कि यह म्यूटेशन सामान्य सर्दी-जुकाम फैलाने वाले वायरस के साथ किए जाने की संभावना सामने आ रही है।

इस रिसर्च को मैसाचुसेट्स-बेस्ड डेटा एनालिटिक्स फर्म नेफरेंस लीड कर रही है, जिसने रिसर्च के फैक्ट्स गुरुवार को ओएसएफ प्रीप्रिंट्स पर शेयर किए हैं।

पुराने किसी वैरिएंट में नहीं मिला ओमिक्रॉन जैसा जेनेटिक सीक्वेंस
बता दें कि ओमिक्रॉन की जीनोम सीक्वेंसिंग में इसका निर्माण कोरोना वायरस के मूल वैरिएंट SARS-CoV-2 में 30 म्यूटेशन के बाद होने की बात सामने आई थी। रिसर्चर्स का कहना है कि ओमिक्रॉन जैसा जेनेटिक सीक्वेंस कोरोना वायरस के अब तक सामने आ चुके डेल्टा, अल्फा, बीटा या किसी अन्य वैरिएंट में नहीं पाया गया है।

हालांकि यह सीक्वेंस सामान्य तौर पर इंसानी शरीर में हर समय मौजूद रहने वाले सर्दी-जुकाम के वायरस HCOV-229E से मेल खा रहा है। इसी के आधार पर यह लग रहा है कि इंसानी शरीर में ओमिक्रॉन के म्यूटेंट होते समय उसी संक्रमित सेल में सर्दी-जुकाम का वायरस भी मौजूद रहा होगा, जिससे ओमिक्रॉन का मेल हो गया।

इस गुण ने बनाया ज्यादा संक्रामक वायरस
नेफरेंस की तरफ से इस रिसर्च टीम को लीड कर रहे वेंकी सुंदरराजन के मुताबिक, सर्दी-जुकाम के वायरस को इंसानी शरीर का इम्यून सिस्टम सामान्य वायरस के तौर पर पहचानता है और इसके खिलाफ ज्यादा रिएक्शन नहीं देता है।

उन्होंने कहा, इस वायरस जैसे जेनेटिक गुण वाले म्यूटेशन के साथ ही ओमिक्रोन ने खुद को “अधिक मानवीय” बना लिया है, जो इसे इंसानी इम्यून सिस्टम के हमले से बचने में मदद करेगा। इसी कारण यह वायरस ज्यादा तेजी से एक से दूसरे व्यक्ति में फैलने वाला बन सकता है। हालांकि इसके चलते ओमिक्रॉन केवल हल्के या बिना लक्षण वाली बीमारी भी बन सकता है।

अभी नहीं पता कि यह कितना खतरनाक साबित होगा
रिसर्चर्स ये नहीं बता सके कि ओमिक्रॉन कोरोना के दूसरे वैरिएंट्स से ज्यादा संक्रामक साबित होगा या नहीं। उन्होंने यह भी कहा कि अभी यह भी कहना मुश्किल है कि यह वैरिएंट पहले आ चुके वैरिएंट्स से ज्यादा खतरनाक साबित होगा या नहीं। इन सवालों का जवाब पाने के लिए अभी कुछ सप्ताह का इंतजार करना होगा।

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