चुनाव कर्मचारी सुविधा केंद्रों पर ही वोट करेंगे: पहले पोस्टल बैलट घर ले जाते थे, अब तय समय में लौटाना होगा

नई दिल्ली4 घंटे पहले

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इलेक्शन कमीशन ने कहा था अगर किसी वोटर के पास पोस्टल बैलट लंबे वक्त तक रहता है तो वह राजनीतिक दलों के दवाब में आकर वोट कर सकता है। (कॉन्सेप्ट इमेज)

इस साल के अंत में राजस्थान, छत्तीसगढ़, मिजोरम, मध्य प्रदेश और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव होने हैं। जिसमें चुनाव ड्यूटी में तैनात कर्मचारियों को सुविधा केंद्रों पर ही पोस्टल बैलट से वोट करना होगा। 23 अगस्त को इससे जुड़ा संशोधन लागू हो गया है।

चुनाव आयोग ने सितंबर 2023 में केंद्रीय कानून मंत्रालय को चुनाव संचालन नियम 1961 में बदलाव करने की सिफारिश की थी। जिससे तय किया जा सके कि चुनाव ड्यूटी पर तैनात कर्मचारियों को सुविधा केंद्र पर भी मतदान कर सकें।

इस पर इलेक्शन कमीशन ने कहा था अगर किसी वोटर के पास पोस्टल बैलट लंबे वक्त तक रहता है तो वह राजनीतिक दलों के दवाब में आकर वोट कर सकता है। वोटर्स के मत के संभावित दुरुपयोग को रोकने के लिए कानून मंत्रालय चुनाव संचालन नियमों में संशोधन के लिए एक अधिसूचना लाया था।

अब नियमों में बदलाव कर एक नई धारा 18A जोड़ी गई है। इसमें कहा गया है कि चुनाव ड्यूटी पर तैनात कर्मचारी को पोस्टल बैलट दिया जाएगा। कर्मचारी को वोट करने के बाद निर्धारित समय के भीतर ही पोस्टल बैलट सुविधा केंद्र में रिटर्निंग ऑफिसर को देना होगा।

पहले कर्मचारी पोस्टल बैलट घर ले जाते थे
यह नियम आने से पहले चुनावी ड्यूटी में तैनात कर्मचारी कई बार सुविधा केंद्र पर वोट नहीं करते थे, बल्कि वे पोस्टल बैलट अपने घर ले जाते थे। कर्मचारियों के पास वोटों की गिनती से शुरू होने से पहले पोस्टल बैलट जमा करने का समय होता था। ऐसे में वे काउंटिंग शुरू होने से पहले पोस्टल बैलट किसी भी बैलट बॉक्स में डाल देते थे।

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में पहले चरण का मतदान 11 अप्रैल 2019 को हुआ था। जबकि वोटों की गिनती 23 मई को हुई थी। एक अधिकारी ने बताया कि मतदाताओं के लिए बनाए गए सुविधा केंद्रों पर वोट करने से चुनाव प्रक्रिया स्वतंत्र, पारर्दशी और निष्पक्ष होगी।

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