गुजरात के एक और महाठग का कारनामा आया सामने: PMO अधिकारी बनकर अस्पताल के एक ग्रुप को धमका रहा था, सीबीआई ने दर्ज किया केस

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अहमदाबाद26 मिनट पहले

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करीब चार महीने पहले वडोदरा में एक मामले में अरेस्ट किया था ठग मयंक तिवारी।

गुजरात के चर्चित महाठग किरण पटेल कांड के बाद पीएमओ के एक और फर्जी अधिकारी का मामला सामने आया है। किरण पटेल की तरह मयंक तिवारी भी खुद को पीएमओ में एडवाइजर होने की बात कहकर अधिकारियों को परेशान करता था। करीब चार महीने पहले वडोदरा पुलिस ने एक मामले में इसे अरेस्ट किया था।

अब एक हॉस्पिटल ग्रुप को धमकाने के चलते पीएमओ के संज्ञान लेने के बाद सीबीआई ने आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। आज सीबीआई की टीम मे उसके गुजरात स्थित कई ठिकानों पर छापेमारी भी की। पीएमओ से सीबीआई को भेजे गए पत्र में बताया गया है कि मयंक तिवारी खुद को प्रधानमंत्री कार्यालय में गर्वमेंट एडवाइजरी में डायरेक्टर होने की बात कहता था।

डॉ.अग्रवाल हेल्थ केयर लिमिटेड बड़ा हास्पिटल चेन है जिसके बीते छह दशकों में भारत और साउथ अफ्रीका में 100 से अधिक आई हॉस्पिटल हैं।

डॉ.अग्रवाल हेल्थ केयर लिमिटेड बड़ा हास्पिटल चेन है जिसके बीते छह दशकों में भारत और साउथ अफ्रीका में 100 से अधिक आई हॉस्पिटल हैं।

क्या है मामला, जिसमें पीएमओ ने संज्ञान लिया?
सीबीआई में दर्ज हुई एफआईआर के अनुसार प्रधानमंत्री कार्यालय में खुद को एडवाइजर बताते हुए मयंक तिवारी आईज हॉस्पिटल की चेन चलाने वाले अग्रवाल ग्रुप के सीईओ डॉ. अग्रवाल को धमका रहा था। दरअसल कुछ महीनों पहले डॉ. अग्रवाल और इंदौर में विनायक नेत्रालय चलाने वाले इंदौर के दो डॉक्टरों (डॉ. सिंह और डॉ. वर्मा) ने जनवरी 2020 में एक एमओयू साइन किया था।

एमओयू की शर्तो के मुताबिक, विनायक नेत्रालय की पूरी टीम डॉ. अग्रवाल हास्पिटल में ट्रांसफर होनी थी। लेकिन, एग्रीमेंट के बाद भी दोनों डॉक्टर्स ने डॉ. अग्रवाल के अस्पताल में काम नहीं किया। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि अस्पताल ने व्यवस्था के तहत दोनों डॉक्टर्स को 16.43 करोड़ रुपए का भुगतान किया।

डॉ. अग्रवाल ने कहा कि दोनों डॉक्टरों ने पैसे लेने और समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद इंदौर में डॉ. अग्रवाल के नेत्र अस्पताल में आने वाले मरीजों को अन्य नेत्र डॉक्टरों के पास भेजना शुरू कर दिया।

डॉ. अग्रवाल ने आरोप लगाया कि डॉ. सिंह और डॉ. वर्मा ने कुछ दूसरे डॉक्टरों के साथ मिलकर एक दूसरा हॉस्पिटल खोल लिया था। इसके बाद डॉ. अग्रवाल ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जुलाई 2022 में डॉ अग्रवाल के पक्ष में कोर्ट ने आदेश जारी कर इंदौर के दोनों डॉक्टरों को 30 दिनों के अंदर 16.43 करोड़ रुपए जमा करने का आदेश दिया। ट

लेकिन, इसी बीच इस मामले में ठग मयंक तिवारी की एंट्री हो गई। तिवारी ने आरोपी दोनों डॉक्टर्स की ओर से डॉ. अग्रवाल को धमकी देना शुरू कर दी कि वे रुपयों के लेनदेन को आपस में निपटा लें। इस दौरान उसने डॉ. अग्रवाल के सामने खुद को पीएमओ का एक अधिकारी बताया था।

अग्रवाल ग्रुप ने पीएमओ में की शिकायत
धमकी मिलने के बाद अग्रवाल ग्रुप ने मयंत तिवारी के खिलाफ पीएमओ में शिकायत कर दी और जांच में मयंक तिवारी के फर्जी अधिकारी होने की बात सामने आई और अब मयंक सीबीआई के शिकंजे में है। बता दें, डॉ.अग्रवाल हेल्थ केयर लिमिटेड बड़ा हास्पिटल चेन है जिसके बीते छह दशकों में भारत और साउथ अफ्रीका में 100 से अधिक आई हॉस्पिटल हैं।

खुद को पीएमओ का रणनीतिक सलाहकार बताने वाला ठग मयंक तिवारी।

खुद को पीएमओ का रणनीतिक सलाहकार बताने वाला ठग मयंक तिवारी।

अब जानिए, 4 महीने पहले किस मामले में अरेस्ट हुआ था?
ठग मयंक तिवारी ने खुद को पीएमओ का रणनीतिक सलाहकार बताते हुए वडोदरा के एक नामी प्राइवेट स्कूल में दो बच्चों का एडमिशन करा दिया था। मयंक ने दो बच्चों का स्कूल में एडमिशन करवाने के लिए स्कूल मैनेजमेंट से कहा था कि उसके पारिवारिक मित्र का ट्रांसफर हो रहा है।

आपके स्कूल में उनके दो बच्चों का एडमिशन होना है। आरोपी ने स्कूल के ट्रस्टी को लालच दिया कि वो इस स्कूल को शिक्षा अनुसंधान के क्षेत्र में शामिल करवाकर कई तरह के प्रोजेक्ट दिलवा सकता है। इसके बाद स्कूल प्रबंधन ने दोनों बच्चों को एडमिशन दे दिया था।

स्कूल प्रबंधन ने की पूछताछ में हुआ पर्दाफाश
बच्चों के एडमिशन के कुछ महीनों बाद स्कूल मैनेजमेंट ने आरोपी मयंक तिवारी के बारे में जानकारी जुटाना शुरू किया। स्कूल के ट्रस्टी ने आरोपी को लेकर कई लोगों से पूछताछ की, तब पता चला कि मयंक कोई PMO का अधिकारी नहीं है। इसके बाद स्कूल ने पुलिस में शिकायत दर्ज जिसके बाद यह ठग पकड़ा गया था। इस मामले में मयंक फिलहाल जमानत पर बाहर है।

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