केरल में RSS कार्यकर्ता के मर्डर-केस में 14 को सजा-ए-मौत: PFI से जुड़े लोगों ने घर में घुसकर पीट-पीटकर कर मार डाला था

तिरुवनंतपुरम4 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

दिसंबर 2021 की एक सुबह कुछ हमलावर रंजीत के घर घुस आए और परिवार के सामने पीट-पीटकर उनकी हत्या कर दी।

केरल की एक कोर्ट ने प्रतिबंधित इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के 14 कार्यकर्ताओं को भाजपा नेता की हत्या के मामले में मौत की सजा सुनाई है। भाजपा के OBC विंग के नेता रंजीत श्रीनिवासन की 19 दिसंबर 2021 को हत्या कर दी गई थी।

मवेलीक्कारा एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज वीजी श्रीदेवी ने फैसला सुनाया। विक्टिम के वकील ने बताया कि सजा पाने वाले सभी आरोपी ट्रेंड किलर स्क्वॉड का हिस्सा थे। जिस क्रूर और निर्मम तरीके से विक्टिम को उनकी मां, पत्नी और बच्चे के सामने मारा गया था, ये रेयरेस्ट ऑफ रेयर क्राइम की श्रेणी में आता है।

रंजीत श्रीनिवास की अंतिम यात्रा के समय की तस्वीर।

रंजीत श्रीनिवास की अंतिम यात्रा के समय की तस्वीर।

सुबह-सुबह घर में घुसे हमलावर, पीट-पीटकर मार डाला
घटना को लेकर पुलिस ने बताया था कि 19 दिसंबर 2021 को जब रंजीत श्रीनिवास अलाप्पुझा सिटी के अपने घर पर मॉर्निंग वॉक के लिए तैयार हो रहे थे, तभी हमलावर उनके घर में घुस गए। इस दौरान उनकी मां, पत्नी और बच्चा भी घर में मौजूद थे।

इन हमलावरों ने भाजपा नेता की बेरहमी से पिटाई की। गंभीर चोटें आने की वजह से रंजीत ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। रंजीत ने कुछ समय पहले ही विधानसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार के तौर पर इलेक्शन लड़ा था। वह पेशे से वकील थे।

एक दिन पहले SDPI नेता की हत्या की गई थी
रंजीत श्रीनिवास की हत्या से एक दिन पहले ही सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) के नेता की हत्या की गई थी। SDPI के स्टेट सेक्रेटरी के एस शान जब 18 दिसंबर की रात बाइक से घर लौट रहे थे, तभी एक कार ने उन्हें टक्कर मार दी थी। इसके बाद उन पर चाकू से कई वार किए गए। घायल अवस्था में उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया।

सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) के नेता एस शान की हत्या रंजीत श्रीनिवास की हत्या से एक दिन पहले की गई थी।

सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) के नेता एस शान की हत्या रंजीत श्रीनिवास की हत्या से एक दिन पहले की गई थी।

BJP और SDPI ने एक-दूसरे पर आरोप लगाया
BJP और SDPI ने इन हत्याओं के लिए एक-दूसरे पर आरोप लगाया था। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सी टी रवि ने कहा कि CPM के नेतृत्व वाली केरल सरकार ने भगवान के देश को जिहादियों के स्वर्ग में बदल दिया है।वहीं, केंद्रीय मंत्री वी मुरलीधरन ने भी हमलों की निंदा की थी। उन्होंने केरल में गुंडाराज का आरोप लगाया और कहा कि राज्य हत्या के मैदान में बदल रहा है।

RSS कार्यकर्ताओं पर हमले की साजिश रचने का आरोप
SDPI ने RSS कार्यकर्ताओं पर हमले की साजिश रचने का आरोप लगाया था। पार्टी प्रमुख एमके फैजी ने सोशल मीडिया पर लिखा था, ‘ये घटनाएं राज्य में सांप्रदायिक हिंसा पैदा करने और सद्भाव को बिगाड़ने के लिए संघ परिवार के एजेंडे का हिस्सा है। हम RSS के आतंकवाद की निंदा करते हैं। केरल पुलिस का उदासीन रवैया RSS के लिए शॉट के रूप में काम करता है।’

PFI पर अगस्त 2022 में सरकार ने लगाया था बैन
केंद्र सरकार ने 27 अगस्त 2022 को PFI को 5 साल के लिए बैन कर दिया। सरकार ने UAPA (अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट) के तहत यह एक्शन लिया। PFI के अलावा 8 और संगठनों पर कार्रवाई की गई। सरकार ने कहा था कि PFI और उससे जुड़े संगठनों की गतिविधियां देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हैं। इन सभी के खिलाफ टेरर लिंक के सबूत मिले थे। पूरी खबर यहां पढ़ें…

ये खबरें भी पढ़ें…

6 राज्यों में PFI के ठिकानों पर NIA की छापेमारी:आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के चलते संगठन पर लग चुका बैन

नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) की टीम ने अक्टूबर 2023 में छह राज्यों UP, MP, राजस्थान, दिल्ली, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में छापेमारी की। एजेंसी ने पिछले साल PM मोदी की बिहार यात्रा के दौरान गड़बड़ी पैदा करने से संबंधित एक मामले में छापेमारी की। ये सर्च ऑपरेशन PFI के 20 ठिकानों पर चला। PFI को पिछले साल आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के चलते बैन कर दिया गया था। पूरी खबर यहां पढ़ें…

45 चेहरे जिन्होंने PFI को खड़ा किया:इनमें प्रोफेसर, वकील और कारोबारी भी, एक साल तक जांच एजेंसियां ट्रैक करती रहीं

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी PFI पर अगस्त 2022 को केंद्र सरकार ने 5 साल का बैन लगा दिया। देश भर में दो छापेमारी में मिले सबूतों के आधार पर ये फैसला लिया गया। हालांकि इसकी तैयारी 2021 से चल रही थी। इस दौरान जांच एजेंसियां PFI की टॉप लीडरशिप में शामिल 45 लोगों पर नजर रखे रहीं।

इनमें से ज्यादातर संगठन के फाउंडर मेंबर थे। इनमें वकील, प्रोफेसर और कारोबारी शामिल हैं। संगठन का चेयरमैन ओएमए सलाम इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड का सस्पेंड कर्मचारी है, जबकि उपाध्यक्ष ईएम अब्दुल रहमान बिजनेसमैन, पी कोया गवर्नमेंट कॉलेज में लेक्चरर और खालिद मोहम्मद एडवोकेट है। पूरी खबर यहां पढ़ें…

खबरें और भी हैं…