कर्नाटक में मंकी फीवर से लड़की की मौत: कीड़े के काटने और बंदरों से फैलता है, तेज बुखार के साथ सिरदर्द सिम्प्टम्स

बेंगलुरुकुछ ही क्षण पहले

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भारत में पहली बार यह वायरस कर्नाटक के क्यासानूर जंगल में एक बंदर में पाया गया था।

कर्नाटक के शिवमोग्गा जिले में रहने वाली 19 साल की लड़की की मंगलवार को क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज (KFD) से मौत हो गई। आम भाषा में इसे मंकी फीवर के नाम से जाना जाता है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, तेज बुखार की शिकायत के बाद लड़की का KFD टेस्ट कराया गया, जिसका रिजल्ट 4 जनवरी को पॉजिटिव आया।

इसके बाद उसी दिन उसे उडुपी जिले के मणिपाल के KMC हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी मौत हो गई। विभाग का कहना है कि मंकी फीवर के कारण राज्य में हुई यह पहली मौत है।

1957 में मंकी फीवर का पहला केस आया था
मंकी फीवर, फ्लेविविरिडे वायरस का फैमिली मेंबर है। 1957 में इसका पहला केस सामने आया था। तब कर्नाटक के क्यासानूर जंगल में एक बीमार बंदर मिला था। उससे यह वायरस जेनरेट हुआ। इसके बाद यह वायरस इंसानों में भी फैलने लगा और अब हर साल 400-500 पॉजिटिव केस सामने आते हैं, जिनमें से करीब 20 की मौत भी हो जाती है। रिकॉर्ड के अनुसार मंकी फीवर से अनुमानित मृत्युदर 3 से 5% है।

मंकी फीवर एक वायरल हेमोरेजिक फीवर है। यह वेक्टर जेनरेडेट डिजीज है, जिसे टिक या कीड़े फैलाते हैं। अक्सर चूहों और बंदरों में यह बीमारी होती है। टिक बाइट या इन्फेक्टेड जानवरों के संपर्क में आने से यह इंसानों में फैलता है।

मंकी फीवर आमतौर पर बीमारी या हाल ही में मरे बंदर से फैल रहा है। अब तक KFD का ह्यूमन-टु-ह्यूमन ट्रांसमिशन नहीं देखा गया है। बकरी, गाय और भेड़ जैसे बड़े जानवर भी मंकी फीवर से संक्रमित हो सकते हैं, लेकिन इनसे संक्रमण नहीं होता है।

साइन और सिम्प्टम्स
मंकी फीवर से इन्फेक्टेड व्यक्ति को 3-8 दिन इन्क्यूबेशन पीरियड के बाद ठंड लगना, अचानक बुखार के साथ सिरदर्द होना शुरू हो जाता है। शुरुआती सिम्प्टम्स के 3-4 दिन बाद उल्टी, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल और ब्लीडिंग की प्रॉब्लम होती है। लो ब्लड प्रेशर, लो प्लेटलेट, रेड ब्लड सेल और वाइट ब्लड सेल काउंट में एब्नॉर्मल चेंज हो सकते हैं।

कुछ पॉजिटिव पेशेंट 1-2 हफ्ते बाद बिना कॉम्प्लिकेशन के स्वस्थ हो जाते हैं। हालांकि 10-20% पेशेंट्स में तीसरे हफ्ते में वायरस के सेकेंड वेव के सिम्प्टम्स दिखते हैं। उन्हें न्यूरोलॉजिकल मेनिफेस्टेशन, जैसे तेज सिरदर्द, मेंटल डिस्टर्बेंस, ट्रेमोर्स और कम दिखने लगता है।

डायग्नोसिस
मंकी फीवर को संक्रमण के शुरुआती दिनों में PCR से मॉलिक्यूलर डिटेक्शन या ब्लड से पहचाना जा सकता है। इसके बाद एंजाइम-लिंक्ड इम्युनोसॉरबेंट परख (ELISA) से सीरोलॉजिकल टेस्ट करना होता है।

ट्रीटमेंट
मंकी फीवर के लिए अब तक कोई स्पेशल ट्रिटमेंट नहीं है, लेकिन पॉजिटिव आने पर पेशेंट को जल्द हॉस्पिटल में भर्ती करवा कर सपोर्टिव थेरेपी शुरू कर देनी चाहिए। आम तौर पर डिहाइड्रेशन की समस्या होती है, जिसके लिए ड्रिप्स लगाई जाती हैं। वहीं हेमरेजिक ब्लीडिंग डिसऑर्डर वाले पेशेंट के लिए यूजुअल प्रिकॉशन जरूरी हैं। डॉक्टर ज्यादा पानी पीने और रिच प्रोटीन फूड लेने की सलाह देते हैं।

रोकथाम
मंकी फीवर के लिए वैक्सीन डोज उपलब्ध है। संक्रमित वाले एरिया में डोज लगाए जाते हैं। 7-65 वर्ष ऐज ग्रुप के लोगों को एक महीने में दो डोज लगाए जाते हैं। सबसे बड़ा बचाव है कि टीक और कीड़े वाली जगह में प्रोटेक्टिव कपड़े पहनें।

भारत में शुरुआत से ही मंकी फीवर कर्नाटक के पश्चिमी और मध्य जिलों तक ही सीमित रहा है। हालांकि नवंबर 2012 में राज्य के दक्षिणी जिले में भी इंसान और बंदरों के मंकी फीवर के पॉजिटिव केस मिले थे। साल 2022 में महाराष्ट्र में भी मंकी फीवर के केस सामने आए थे। नवंबर से जून तक ड्राई सीजन में KFD के मामले सबसे ज्यादा सामने आते हैं।

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